डीरेका कर्मचारी की हत्या: बच्चे बोले, डैडी को चोट लग गई
डीरेका स्थित जलालीपट्टी का ब्लाक डी। रात 10.10 बजे का वक्त था। ठंड के चलते कर्मचारी आवास टीवी देख रहे थे या फिर सोने की तैयारी में थे। अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा परिसर दहल उठा। पहले तो लोगों को...
डीरेका स्थित जलालीपट्टी का ब्लाक डी। रात 10.10 बजे का वक्त था। ठंड के चलते कर्मचारी आवास टीवी देख रहे थे या फिर सोने की तैयारी में थे। अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा परिसर दहल उठा। पहले तो लोगों को लगा कि पास में चल रही सरस्वती पूजा में पटाखे छूट रहे हैं। किसी को पता नहीं था कि उनके आवास के पास गोलियां चल रही हैं।
गोलियों की आवाज सुनने के बाद कुछ लोगों ने बालकनी व खिड़की से झांककर देखा। कुछ दूरी पर अंधेरा होने के कारण समझ में नहीं आया। किसी को नहीं पता था कि उनके साथ रोजाना मॉनिंग वॉक करने एवं आफिस जाने वाले ताराधीश कुमार मुकेश (टीके मुकेश) की हमलावरों ने हत्या कर दी है। पत्नी प्रियंका भी गोलियों की आवाज सुनकर बाहर निकली। कार का गेट खुला था और पति को खून से लथपथ देख चिल्लाने लगी। उनकी चीख-पुकार सुनते ही पड़ोसी बाहर निकले और तुरंत उन्हें डीरेका अस्पताल पहुंचाया। हत्या क्यों की गई इसे लेकर पड़ोसी भी स्तब्ध हैं। पड़ोसियों की माने तो टीके मुकेश काफी मिलनसार थे। वह अपनी पत्नी प्रियंका एवं दो बच्चों बेटी नंदिनी (10) एवं बेटा अभिनव छह साल के साथ रहते थे।
सुबह रोजाना वह अपनी आईट्वेटी कार से खुद ड्राइव करते हुए आफिस जाते थे। अमूमन रात आठ बजे तक घर लौटते थे। रात दस बजे तक वह कहां और किसके साथ थे यह किसी को भी नहीं मालूम। घटना को लेकर तरह-तरह की चर्चांए डीरेका में थी।
ठेकदारी को लेकर हत्या की आशंका
मुकेश की हत्या के पीछे ठेकेदारी विवाद की भी चर्चाएं हैं। एक चर्चा यह भी है कि जिस विभाग में मुकेश की तैनाती थी उसमें मेंटनेंस के लिए आने वाले पार्ट की आपूर्ति पूर्वांचल के दो माफियाओं के गुर्गे पहले करते थे। सूत्रों की माने तो मेंटनेंस के पार्ट की डीरेका में करोड़ों की सप्लाई है। पुलिस की छानबीन इस बिंदु पर भी टिकी है। इस संबंध में कर्मचारी यूनियन के अलावा पड़ोसियों एवं उनके साथ काम करने वालों से भी जानकारी ली।
कार में पहले से था कोई सवार
कार में पुलिस को अत्याधुनिक असलहा नाइन एमएम के दो खोखे भी मिले हैं। आशंका जतायी जा रही है कि मुकेश की कार में अगली सीट पर कोई बैठा था। मुकेश को बांयी ओर से चार गोलियां मारी गई हैं। जबकि दो गोली दाहिनी ओर ड्राइविंग सीट की ओर से चलायी गई है। इलाके में चर्चा रही कि मुकेश के पीछे कोई चार पहिया वाहन से भी था। जबकि हत्यारे बाइक से थे। बदमाश पहले से घात लगाए थे और दरवाजा खोलते ही उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया। कंदवा गेट पर खड़े लोगों का कहना है कि घटना के तुरंत बाद पीछे आ रही चार पहिया वाहन बैक होकर तेजी से भागी। जब तक लोगों को हत्या के बारे में जानकारी मिलती तब तक काफी देर हो चुकी थी।
आवास बदलने वाले थे मुकेश
कर्मचारी यूनियन का सदस्य बनने के बाद मुकेश अगले सप्ताह अपना आवास बदलने वाले थे। इसबारे में पड़ोसियों व कर्मचारियों को बताया था। लेकिन आवास बदलने के पहले ही उनकी हत्या कर दी गई।
घटना के वक्त मौजूद जवानों से होगी पूछताछ
घटनास्थल से दो सौ मीटर की दूरी पर कंदवा गेट है। गेट पर आरपीएफ के दो जवानों की तैनाती रहती है। एसएसपी की माने तो यह पता किया जा रहा है कि गेट पर कौन जवान थे और क्या कर रहे थे। गेट रात तक खुला रहता है। लिहाजा यह भी आश्ंाका है कि हमलावर इसी गेट से फरार हुए होंगे।
बच्चे बोले, डैडी को चोट लग गई
टीके मुकेश की हत्या से पत्नी बदहवास होकर सभी से पूछती रही कि यह कैसे हुआ। अस्पताल में डाक्टरों एवं पड़ोसियों से रो-रोकर उन्हें बचाने की गुहार लगाती रही। पत्नी की चीत्कार सुनकर आसपास के लोगों के आंखों में आंसू थे। अधिकारियों के अलावा पास-पड़ोस की महिलाओं की हिम्मत नहीं पड़ी कि किस तरह से उन्हें समझाएं। वहीं दोनों बच्चे भी अस्पताल पहुंचे। बोले, डैडी को चोट लग गई है। हमे मिलना है... बच्चों की बात सुनकर मौजूद सभी लोग भावुक हो उठे।
कर्मचारी यूनियन में थे सदस्य
पिछले दिनों कर्मचारी यूनियन के चुनाव में संयुक्त सचिव पद पर दूसरे नंबर पर रहने के कारण मुकेश को कर्मचारी परिषद का मनोनीत सदस्य चयनित किया गया था। वह न केवल कर्मचारी यूनियन कार्यालय में बैठते थे बल्कि कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर अफसरों से मिलते थे।
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