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महादेव ही बदल सकते हैं भाग्य का लेखा

Varanasi News - वाराणसी में कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्र ने बताया कि बाबा विश्वनाथ के दर्शन से 10 अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। कथा में पारो नाम की महिला की कहानी सुनाई गई, जिसमें भगवान की शक्ति और भक्ति से भाग्य बदलने...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीTue, 26 Nov 2024 12:37 AM
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वाराणसी, मुख्य संवाददाता। बाबा विश्वनाथ के एक बार दर्शन से 10 अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त हो जाता है। वहीं अन्य सभी यज्ञों का हजारों-हजार गुना फल दर्शन करने वाले को प्राप्त हो जाता है।

यह बातें मध्यप्रदेश के सीहोर से आए कथावाचक पं. प्रदीप मिश्र ने कहीं। वह सोमवार को गंगा पार डोमरी में हो रही श्रीशिवमहापुराण कथा के छठे दिन प्रवचन कर रहे थे। श्रीसातुआ बाबा गौशाला डोमरी में महामंडलेश्वर संतोष दास सातुआ बाबा के सानिध्य में हो रही कथा में उन्होंने कहा भाग का लेख बदलने की क्षमता सिर्फ महादेव में है। शिव की महिमा का वर्णन करने वाली पारो नाम की महिला की कथा सुनाई। गरीबी में गुजारा करने वाली पारो के बच्चे ने उससे कहा कि हमारे पास कुछ नहीं है। बच्चे को बल देते हुए पारो ने कहा हमारे पास भगवान की शक्ति और उनका नाम है। तू नारायण की भक्ति कर। लक्ष्मी जी के कहने पर नारायण ने उसे हीरे का हार दे दिया। उसने ब्रह्मा पूजा तो उन्होंने एक अंगूठी दे दी। लौटते वक्त पानी पीते समय बच्चे की अंगूठी जल में गिर गई। बच्चा रोने लगा तो मां ने समझाया तू शंकर के पास चल। बच्चा बोला वो भला हमें सोना-चांदी कहां से देंगे। वे तो खुद ही औघड़ संत हैं। मां ने कहा वो हमें सोना-चांदी नहीं देंगे लेकिन वही एकमात्र हैं जो तेरे भाग्य बदल देंगे। ब्रह्मा का लेखा बदलने की शक्ति सिर्फ और सिर्फ महादेव के पास ही है।

सुनाई काशी की महिमा

काशी का वर्णन करते हुए कहा कि मां पार्वती को लेकर भगवान भोले शंकर काशी आए। उन्होंने भगवती पार्वती को इस भूमिका दर्शन कराते हुए कहा कि इसका दर्शन कीजिए यह सहज भूमि नहीं है। इसका दर्शन मात्र सारे पापों को क्षीण कर देता है। कथा के अंत में भगवान भोलेनाथ की झांकी और आरती के साथ कथा का समापन हुआ।

किया शिवनाम संकीर्तन

शिव महापुराण कथा के प्रारंभ से पहले गणेश वंदना, ‘ओम नमः शिवाय का संकीर्तन, हनुमान चालीसा, ‘श्रीरामचंद्र कृपाल भजमन एवं ‘श्रीराम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में भजन संगीत मंडली ने प्रस्तुत किए। शिवनाम संकीर्तन के दौरान भक्तगण आनंदन विभोर होकर नृत्य करने लगे।

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