पेज 3 लीड: धन-धान्य की कामना से लक्ष्मी-गणेश का पूजन
वाराणसी में दीपावली पर सनातनी परिवारों ने लक्ष्मी-गणेश का विधिपूर्वक पूजन किया। पूजा के बाद परिवार के सभी सदस्यों ने आरती की। महिलाओं और बच्चों ने दलिद्दर को घर से बाहर किया। मंदिरों में दीपदान के लिए...
शोल्डर: ज्योति पर्व पर धन-एश्वर्य की देवी और मंगल कारक देव के समक्ष नतमस्तक हुए सनातनी वाराणसी, मुख्य संवाददाता।
धन धन्य और वैभव की कामना से सनातनी परिवारों में दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश का विधान पूर्वक पूजन-अर्चन गुरुवार को किया गया। घरों से लेकर छोटे-बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों में दोपहर बाद से लेकर रात्रि तक अलग-अलग मुहूर्तों में दीपार्चन किया गया। पूजन के बाद परिवार के सभी सदस्यों ने मिलकर आरती उतारी।
पूजा की चौकी पर लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमाएं पश्चिम की ओर मुख करके रखी गईं। देवी लक्ष्मी को भगवान गणेश के दाहिनी ओर स्थान दिया गया। मूर्तियों के आगे अक्षत रख कर उसपर वरुण के प्रतीक रूप में कलश की स्थापना की गई। कलश पर लाल कपड़े में नारियल लपेट कर रखा गया। रिद्धि और सिद्धि के प्रतीक के रूप में दो दीपक रखे गए। कई घरों में दीपक की जगह ग्वालिन को स्थान मिला।
एक दीपक को घी और दूसरे को सरसों के तेल से भरा गया। प्रधान दीपक भगवान गणेश के चरणों में रख कर शुभ, लाभ और कल्याण की कामना की। विधि-विधान पूर्वक पूजन करने वालों ने नवग्रह और 16 मातृका का भी आवाहन किया। इसके आगे पूजा की थाल सजा कर रखी गई। इस थाल में ग्यारह दीपक, खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चंदन का लेप, सिंदूर, कुकुम, सुपारी, पान, फूल, दूर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती रखी गई। फिर विधान पूर्वक पूजन किया गया। कुछ लोगों ने बहीखाता, कलम और दवात, नकदी की संदूकची, थालियां, जल के पात्र भी पूजा के स्थान पर रख कर पूजन अर्चन किया।
घर से बाहर दलिद्दर खदेड़ा गया
दीपावली की मध्यरात्रि में महिलाओं और घर के बच्चों ने मिलकर दलिद्दर खदेड़ने की परंपरा निभाई। सूप, थाली और कनस्तर पीटते हुए घर के दरवाजे के पास रखे कूड़े को पुराने झाड़ू से मोहल्ले के बाहर किया गया। ग्रामीण सीमा से सटे शहरी इलाकों में इस परंपरा का निर्वाह प्रमुखता से किया गया।
मंदिरों में किया दीपदान
गुरुवार की शाम नए कपड़ों में सजधर कर महिलाओं और बच्चों का समूह मंदिरों में दीपदान के लिए पहुंचा। नगर के सभी प्रमुख देवालयों में गोधूली बेला में अचानक भीड़ बढ़ गई। केदारेश्वर मंदिर, चिंतामणि गणेश मंदिर, महिषासुर मर्दिनी, वनखंडी महादेव, दुर्गामंदिर, दुर्गविनायक, संकटमोचन, बड़ा गणेश, गायत्री मंदिर में स्थानीय लोगों ने दीपक जलाए। मछोदरी स्थित स्वामी नारायण मंदिर में गुजराती समाज की महिलाओं और युवतियों ने सामूहिक दीपदान कर पर्व की शुरुआत की। मंदिर की छत पर आकर्षक दीपमालिका सजाई गई।
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