संस्कृत के लिए संस्कृत यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन, संस्कृत में नारेबाजी, संस्कृत में ही जताया आक्रोश, देखिये VIDEO
प्रदेश शासन की नीतियों के खिलाफ संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में छात्रों ने मंगलवार को जमकर आक्रोश व्यक्त किया। दक्षिणी द्वार पर धरना दिया। पुलिस ने उनका मार्च कैम्पस से बाहर नहीं जाने दिया।...
प्रदेश शासन की नीतियों के खिलाफ संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में छात्रों ने मंगलवार को जमकर आक्रोश व्यक्त किया। दक्षिणी द्वार पर धरना दिया। पुलिस ने उनका मार्च कैम्पस से बाहर नहीं जाने दिया। कैम्पस का गेट बंद कर दिया। छात्र संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की मांग कर रहे थे। खास यह रहा कि छात्रों का पूरा विरोध प्रदर्शन संस्कृत में ही चलता रहा। नारेबाजी से लेकर आक्रोश भी संस्कृत मे ही जताया गया।
परिसर में संस्कृत संरक्षण मंच के बैनर तले छात्रों का धरना कई दिनों से चल रहा है। इसी क्रम में वे मंगलवार के मार्च निकाल रहे थे। उनका मार्च जिला मुख्यालय तक जाना था। प्रशासन को इसकी भनक लग गई थी। जैसे ही छात्र केंद्रीय कार्यालय से होते हुए दक्षिणी द्वार की तरफ आए, वहां भारी पुलिस बल के साथ मौजूद सीओ चेतगंज और एसीएम तृतीय ने गेट बंद कर मार्च को रोक दिया। इस पर छात्रों और पुलिस में नोकझोंक हुई। छात्र वहीं धरने पर बैठ गए। उन्होंने प्रदेश शासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। गंगाजल लेकर शांतिपाठ किया।
छात्रों का कहना था कि प्रदेश शासन की नीतियां संस्कृत विरोधी हैं। संस्कृत विद्यालयों में बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली हैं। उनको भरने की बजाय नियुक्ति को सरकार उलझाने में लगी है। इससे संस्कृत पढ़े-लिखे युवाओं को भी नुकसान हो रहा है। विद्यालयों में नियुक्ति का अधिकार आयोग को दिया जा रहा है। इससे भर्ती प्रक्रिया लंबी हो जाएगी। नियुक्ति का अधिकार पहले की तरह विश्वविद्यालय को ही दिया जाए। करीब घंटा भर धरना देने के बाद वे केंद्रीय कार्यालय के पास चले आए। वहां धरना देने लगे। मंच ने तय किया है कि जल्द ही सभी जिलों के मुख्यालय पर प्रदर्शन किया जाएगा। धरना-प्रदर्शन में डा. साकेत शुक्ला, राजेश सचान, गिरिजानंद चौबे, जनकनंदिनी शरण, विनय मिश्र, डा. अवधराम पांडेय, डा. विपिन चंद्र पांडेय, मिथिलेश शुक्ला, रामदयाल पांडेय, डा. राजेश मिश्रा, प्रदीप पांडेय, विनय गिरी आदि शामिल थे।
काली पट्टी बांध कर जताया विरोध
वहीं, शास्त्रार्थ संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। शासन की बुद्धि-शुद्धि के लिए हवन और पाठ किया। विरोध प्रदर्शन में विजय शंकर पांडेय, आचार्य चूड़ामणि शास्त्री, डा. राघव शरण मिश्र, डा. उमाशंकर त्रिपाठी, विकास दीक्षित, पवन शुक्ला, शिवम शुक्ला आदि शामिल थे।
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