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बोले काशी : दानियालपुर (फुलवरिया): एक अदद पुल के अभाव में टापू बना एक शहरी इलाका

Varanasi News - वाराणसी के दानियालपुर निवासी वर्षों से पुल के अभाव में परेशान हैं। बांस के पुल से आवागमन मुश्किल है, जिससे बीमारियों और आपात स्थितियों में सहायता नहीं मिल पाती। गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीWed, 15 Jan 2025 09:02 PM
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वाराणसी। वाराणसी शहर से सटी, वरुणा किनारे घने पेड़ों के बीच बसी आबादी। एक अदद पुल के अभाव में किसी टापू जैसा माहौल। टापू जैसी मजबूरियों की बेड़ियों से बंधी दिनचर्या- यह किसी हॉरर फिल्म का स्क्रिप्ट नहीं बल्कि तल्ख सच्चाई है। उसे फुलवरिया फोरलेन के पुल से ही दानियालपुर में देखा और महससू किया जा सकता है। बीते 78 वर्षों के दौरान बांस के पुल से वरुणा को आर-पार करते तब के बच्चे अब बूढ़े हो चुके हैं। बाकी दिनचर्या कितनी सहज होगी, इसकी कल्पना भी कठिन है।

नगर निगम के सीमा विस्तार के दौरान शहर के पश्चिम, फुलवरिया से शिवपुर के बीच वरुणा तटीय जो इलाके नवशहरी बने, उनमें दानियालपुर भी है। यह तीन ओर से वरुणा से घिरा है। एक सिरे से शहर की दूरी 10 किमी पड़ती है। अचानक कोई बीमार हो जाए, प्रसव पीड़ा होने लगे या पुलिस के सहयोग की जरूरत आ पड़े तो तत्काल मदद मिलनी असंभव है। दानियालपुर के नागरिकों ने ‘हिन्दुस्तान के साथ चर्चा में वर्षों से एक पुल के अभाव और उसके चलते कई समस्याओं से जुड़े भावुक करने वाले किस्से बयां किए। उन्होंने बताया कि लगभग चार दशक पहले लोगों ने अपने गांव से फुलवरिया के गेट नंबर पांच की ओर जाने के लिए वरुणा पर बांस का पुल बनवाया। इसे ‘चह कहते हैं। हालांकि उससे कैंटोंमेंट की दूरी डेढ़ किमी और कैंट रेलवे स्टेशन की दूरी तीन किमी रह जाती है। पुल न रहे तो कैंट स्टेशन की दूरी 8 से 10 किमी हो जाती है क्योंकि काफी घूम कर शिवपुर के रास्ते आना पड़ता है। वहां तक पहुंचने का रास्ता कई जगह बेहद सकरा हो जाता है। प्राय: हर साल बारिश में बांस का पुल बह जाता है। तब लगभग 15 हजार की आबादी को कई दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं। बिजली है मगर स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं। सड़क है आधी-अधूरी। सीएचसी तीन किमी दूर है। दानियालपुर निवासी नेशनल रेसर कमलकांत ने कहा कि विकास हमारे गांव से तब भी दूर था जब हम पंचायतीराज व्यवस्था से जुड़े थे। नगर निगम का हिस्सा बनने के बाद भी विकास की चर्चा छिड़ने पर लोगों के चेहरे तमतमा उठते हैं। बोले, केवल चुनाव के समय पूछ होती है हमारी। वर्षों से पुल बनवाने का आश्वासन मिल रहा है। अब तक कोई पहल नहीं दिखी।

कभी नाव से होते थे आर-पार

वरुणा नदी में पहले नाव चलती थी। इससे नागरिकों को आवागमन में सहूलियत थी। अजीत सिंह, गणेश राजभर ने बताया कि करीब 13 साल पहले नाव चलती थी। इससे दानियालपुर के आसपास के भी लोगों को आवागमन में सहूलियत होती है। बाद में नौका संचालन बंद हो गया। एक वैकल्पिक रास्ता है। उससे लंबी दूरी तय करके आना-जाना आसान नहीं है। कई जगह रोड नहीं बनी है। कई जगह रास्ता इतना संकरा है कि वाहन पलटने का खतरा रहता है।

...तब महिला को गंवानी पड़ी थी जान

पिछले साल दानियालपुर की एक गर्भवती महिला की समय से अस्पताल न पहुंच पाने से मृत्यु हो गई थी। निर्मला पटेल, मीनू राजभर, कुसुम ने बताया कि आस-पास कोई अस्पताल नहीं है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति ठीक नहीं थी। महिला को दर्द हुआ पुल से उसे पैदल लेकर ही घर वाले अस्पताल जा रहे थे। दर्द से महिला बेहोश हो गई। अस्पताल पहुंचते पहुंचते प्रसव तो हुआ लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। कमलकांत, शशिकांत भारद्वाज, अमरावती ने बताया कि बीमारी में ग्रामीणों को अस्पताल जाने के लिए कई बार सोचना पड़ता है।

दूषित हुआ पानी, दुर्गंध से परेशान रहवासी

दानियालपुर के सामने लोहता से आ रहा एक बड़ा नाला वरुणा से मिलता है। लोहता और फुलवरिया क्षेत्र का सीवेज उसी नाले से वरुणा में आता है। रामकुमार पटेल, सोनी राजभर, सीमा देवी ने बताया, वरुणा का पानी इतना गंदा और बदबूदार हो गया है कि पास में खड़ा होना भी मुश्किल है। दिन-प्रतिदिन स्थिति बदतर होते जा रही है। अजीत कुमार सिंह, आदित्य साहनी ने कहा कि एक तरफ गंगा को स्वच्छ बनाने की पहल हो रही है। दूसरी ओर वरुणा में सीवेज बह रहा है। यह नदी का अपमान भी है। ऐसे भला कैसे स्वच्छता होगी।

कहां पढ़ें और कैसे आगे बढ़ें

दानियालपुर के आसपास कोई इंटर कॉलेज नहीं है। पढ़ने के लिए लड़के-लड़कियों को दूर जाना पड़ता है। मीनू राजभर, कुसुम, सुनीता ने बताया कि दूरी के कारण कई बच्चों की शिक्षा पूरी नहीं हो सकी। दानियालपुर से परिवहन की खास व्यवस्था नहीं है। फुलवरिया के गेट नंबर पांच, कैंट या कैंटोंमेंट पहुंचने पर ही वाहन मिलता है। 10 किमी की दूरी तय करके पहुंचना और ऑटो से पढ़ने जाना बहुत मुश्किल होता है। इस वजह से शिक्षा भी चुनौतीपूर्ण है। बहुत सी लड़कियां पढ़ना और आगे बढ़ना चाहती हैं लेकिन अहम सवाल कि कहां पढ़ें?

दो हजार के बीच एक स्ट्रीट लाइट

दानियालपुर के वैकल्पिक मार्ग पर एक स्ट्रीट लाइट लगी है। बाकि अंदर जाते समय पोल तो दिखेंगे लेकिन स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं। अजीत सिंह ने बताया कि आवागमन में परेशानी होती है। संकरे रास्ते पर अंधरे में लोग गिर जाते हैं। कई बार घटनाएं हुई हैं। आदित्य साहनी, कमलकांत ने कहा कि शहर में शामिल होने के बाद भी परेशानी बरकरार है।

आधे घरों तक सीवर लाइन नहीं

दानियालपुर में दो हजार से ज्यादा मकान है। उनमें आधे को सीवर लाइन की सुविधा है। आधे घरों को सीवरलाइन से जोड़ा नहीं गया है। सोनी राजभर, सीमा देवी, विनोद पटेल ने बताया कि खुले स्थानों पर सीवर बहाने से लोगों को परेशानी होती है। मच्छरों के साथ बीमारियां भी बढ़ रही हैं।

प्रतियोगिताओं में कैसे मारें ‘मैदान

दानियालपुर में कई युवा राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में शिरकत कर चुके हैं। पदक भी जीते हैं। इसके लिए उन्हें अपने घर, मोहल्ले से कहीं दूर जाकर तैयारियां करनी पड़ी थीं। क्योंकि क्षेत्र में खेल का मैदान नहीं है। रेसलिंग में नेशनल लेवल के खिलाड़ी कमलकांत ने बताया कि मैदान का अभाव युवाओं को हतोत्साहित करत है। अभ्यास के लिए मैदान ही नहीं होगा तो प्रतिभाएं आगे कैसे बढ़ेंगी? गणेश राजभर ने बताया कि वर्तमान पार्षद गोविंद सिंह पटेल जब ग्राम प्रधान थे, तब उन्होंने खेल मैदान की मांग की थी। पार्षद होने के बाद सदन में मांग कर चुके हैं पर अब तक मांग पूरी नहीं हो सकी है।

सीएचसी तीन किमी दूर, व्यवस्थाएं भी नहीं

दालियालपुर से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तीन किलोमीटर दूर है। वहां व्यवस्थाएं भी सही नहीं हैं। अजीत सिंह, गणेश राजभर, आदित्य साहनी, कमलाकांत ने बताया कि आसपास कोई अस्पताल नहीं है। बीएचयू जाने के लिए 16 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। इमरजेंसी में जान मुश्किल में पड़ जाती है। दानियालपुल में कहीं कही रास्ता इतना सकरा है कि एंबुलेंस अंदर नहीं आ पाती है। वहीं बांस के पुल से मरीज को ले जाना संभव नहीं होता है।

सफाई तो दूर, कूड़ा उठान भी नहीं होता

क्षेत्र के लोग खुले में कूड़ा फेंकने को मजबूर हैं। यहां सफाई व्यवस्था नहीं पहुंच सकी है। माला साहनी, हेमंती देवी, निर्मला पटेल, मीनू राजभर ने कहा कि सफाई तो दूर कूड़ा उठान भी नहीं होता है। लोग खुले में कूड़ा फेंकते हैं। उन्होंने कहा कि सफाई भले न हो, कूड़ा उठान तो होना चाहिए। इससे खुले में कूड़ा फेंकने से लोग बचेंगे।

दूर से सुनते हैं पुलिस के सायरन

दानियालपुर में पुलिस गश्त नहीं होती है। कुसुम, सुनीता पटेल, टिंकल पटेल ने कहा कि दूर से पुलिस की गाड़ियों से सायरन सुनाई देता है। उन्होंने कहा कि पुलिस भी शायद लंबा रास्ता तय करके क्षेत्र में नहीं आना चाहती होगी। अजीत कुमार सिंह, गणेश राजभर ने बताया कि पुलिस गश्त हो तो लोगों में सुरक्षा का एहसास जगेगा। अप्रिय घटनाओं की संभावना कम होगी।

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शिकायते

1-बांस के पुल से आवागमन, चुनौती ही नहीं बल्कि खतरनाक भी है। दिनचर्या प्रभावित होती है। वैकल्पिक रास्ते से दूरी 8-10 किमी बढ़ जाती है।

2. ग्राम सभा के समय से खेल मैदान की मांग हो रही है। मैदान के अभाव में बच्चों की प्रतिभा निखर नहीं पाती है। वे पीछे रह जाते हैं।

3-स्ट्रीट लाइट न होने से दानियालपुर में शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। अंदर जाने वाले रास्ते पर एक ही जगह लाइट है।

4-वरुणा में गिरता सीवेज परेशानी बन गया है। उसकी दुर्गंध से रहना मुश्किल है। अब पानी नाले के पानी की तरह दिखता है।

5-पुलिस गश्त नहीं होती है। दानियालपुर तीन तरफ से जल और एक तरफ जंगल से घिरा है। ऐसे में खतरा बना रहता है। पुलिस के सायरन दूर से सुनाई देते हैं।

सुझाव

1-दानियालपुर में पक्का पुल का निर्माण कराया जाए। उसके बनने तक पीपा पुल लगाया जाए ताकि जरूरी सेवाएं प्रभावित न हों।

2- खेल मैदान बनने से युवाओं को अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिलेगा। प्रतिभावान युवा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन करेंगे।

3-क्षेत्र में स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएं। सभी पोल पर लाइटें लगें तो आवागमन में आसानी होगी। अनहोनी की संभावना कम होगी।

4-लोहता नाले से सीवेज के वरुणा गिरने पर रोक लगे। नदी का पानी गंदा होना ठीक नहीं है। उससे दुर्गंध भी दूर होगी।

5-क्षेत्र में पुलिस गश्त होना चाहिए। इससे सुरक्षा का एहसास होगा। अप्रिय घटनाएं रूकेंगी। लोगों को राहत होगी।

हमारा दर्द

दानियालपुर के आसपास इंटर कॉलेज नहीं है। पढ़ने के लिए बच्चों को दूर जाना पड़ता है।

- अजीत सिंह

पुल न होने से रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है। वैकल्पिक रास्ते से दूरी बढ़ जाती है।

- गनेश राजभर

दानियालपुर के आधे घर सीवरलाइन नहीं जुड़े हैं। उन्हें खुले स्थानों पर सीवर बहाना मजबूरी है।

- आदित्य साहनी

वरुणा में 13 साल पहले नाव चलने से आवागमन में सहूलियत थी। वह भी चलनी बंद हो गई। - कमलकांत

बड़ी आबादी वाले क्षेत्र में पुलिस की गश्त बहुत जरूरी है। इससे सुरक्षा का एहसास होगा।

-शशिकांत भारद्वाज

लोग खुले में कूड़ा फेंकने को मजबूर हैं। यहां तक सफाई व्यवस्था नहीं पहुंच सकी है।

- अमरावती

दानियालपुर के दो हजार से ज्यादा मकान में आधे को सीवरलाइन से जोड़ा नहीं गया है।

- माला साहनी

तीन किमी दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। इमजेंसी में बहुत परेशानी होती है।

- हेमंती देवी

बांस के पुल के रास्ते दानियालपुर से कैंट स्टेशन की दूरी करीब 8 किमी हो जाती है।

- निर्मला पटेल

लोहता नाले से वरुणा में सीवेज गिरना रोका जाए। नदी का पानी दूषित हो रहा, दुर्गंध भी उठती है।

- मीनू राजभर

पुल सबसे जरूरी है। यह क्षेत्र की सबसे बड़ी जरूरत है। उससे कई समस्याएं खत्म हो जाएंगी।

- कुसुम

अधूरी सड़क निर्माण पूरा कराया जाए। कई जगह वह खराब हो गई है। इसका समाधान होना चाहिए।

- सुनीता

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