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कोरोना: 22 मार्च की सुबह चार बजे तक चलीं ट्रेनें आएंगी, स्टेशनों पर रुकना भी प्रतिबंधित

कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण सभी ट्रेनें 31 मार्च तक के लिए रद कर दी गई हैं। रविवार को भी कोई ट्रेन शुरू ही नहीं हुई। लेकिन रविवार यानी 22 मार्च की सुबह चार बजे के पहले चलाई जा चुकीं ट्रेनें अपने...

Yogesh Yadav वाराणसी कार्यालय संवददाता, Mon, 23 March 2020 02:15 AM
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कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण सभी ट्रेनें 31 मार्च तक के लिए रद कर दी गई हैं। रविवार को भी कोई ट्रेन शुरू ही नहीं हुई। लेकिन रविवार यानी 22 मार्च की सुबह चार बजे के पहले चलाई जा चुकीं ट्रेनें अपने रूट से आएंगी और निर्धारित स्टेशनों पर रुकते हुए गंतव्य तक जाएंगी। इसके बाद इनका भी परिचालन बंद हो जाएगा। रद की गईं सभी ट्रेनों के टिकटों का पूरा पैसा 21 जून तक यात्री प्राप्त कर सकेंगे। प्रभावित यात्रियों को परेशानी से बचाने और टिकट रिफंड के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी।

वहीं, अब किसी स्टेशन पर रुकने की अनुमति नहीं होगी। एडीआरएम रवि प्रकाश चतुर्वेदी ने बताया कि लोग अपने घर जाएं। सभी ट्रेनें रद हैं, इसलिए भीड़ जुटाने की जरूरत नहीं है। रविवार को दूसरी जगहों के अनेक यात्री कैंट स्टेशन पर अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई जाने के लिए पहुंचे थे। ट्रेन रद होने के बाद अगले दिन के लिए टिकट बुक करा लिया। 31 तक ट्रेनें रद होने की सूचना पर वे परेशान दिखे। 

पाबंदियां शुरू होने से हर समय गुलजार रहने वाला कैंट रेलवे स्टेशन 31 मार्च तक पूरी तरह सन्नाटे में रहेगा। यहां एक यात्री नहीं दिखेगा क्योंकि न ट्रेनों का परिचालन होगा और न ही उनके संबंध में प्रसारण होगा। यहां केवल जरूरी काम के लिए 50 फीसदी से भी कम स्टाफ को आने की अनुमति दी जा सकती है। 

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए 31 मार्च तक पूर्वोत्तर रेलवे की ओर से चलाई जाने वाली 72 ट्रेनें भी रद की गई हैं। इनमें मंडुवाडीह-गोरखपुर इंटरसिटी, छपरा-वाराणसी सिटी-छपरा इंटरसिटी, शिवगंगा एक्सप्रेस, जबलपुर-मंडुवाडीह एक्सप्रेस, मंडुवाडीह- रामेश्वरम एक्सप्रेस, काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस, मंडुवाडीह-उधना एक्सप्रेस, पटना जनशताब्दी एक्सप्रेस, मंडुवाडीह-लोकमान्य तिलक टर्मिनल एक्सप्रेस, सारनाथ एक्सप्रेस, छपरा-सूरत सरयुजमुना एक्सप्रेस, छपरा-लखनऊ एक्सप्रेस, लखनऊ-छपरा एक्सप्रेस हैं। छपरा, गोरखपुर, भटनी, बलिया, आजमगढ़, जौनपुर , औड़िहार, शाहगंज, मंडुवाडीह-प्रयागराज रामबाग, मंडुवाडीह-भटनी, मंडुवाडीह-बक्सर, गाजीपुर सिटी-वाराणसी सवारी ट्रेन शामिल हैं। कैंट स्टेशन से जनता एक्सप्रेस, गरीब रथ, महाकाल एक्सप्रेस, साबरमती, बेगमपुरा, मरुधर, रांची इंटरसिटी, लखनऊ इटरसिटी, वरुणा एक्सप्रेस समेत पटना, सुल्तानपुर, पं. दीनदयाल, प्रयागराज आदि जगहों की सवारी ट्रेनें रद हुई हैं। 

वाराणसी मंडल को प्रतिदिन दो करोड़ का घाटा
पैसेंजर ट्रेनों के परिचालन रुकने से रेलवे को बड़ी चपत भी लगेगी। पैसैंजर ट्रेनों से पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल की दैनिक औसत आय 2.01 करोड़ रुपये है। ऐसे में 10 दिन में 20 करोड़ रुपये की चपत लगेगी। वहीं कैंट स्टेशन को रोज 50 लाख रुपये की चपत लगेगी। 

रिक्शा, ऑटो व टैक्सी चालक भी प्रभावित
कैंट स्टेशन से रोजाना औसतन 75 हजार, मंडुवाडीह से 25 और वाराणसी सिटी से 15 हजार यात्रियों का आवागमन होता है।  इन तीनों स्टेशनों के आसपास एक हजार ऑटो, करीब 200 टैक्सियां, 300 से अधिक पैडल रिक्शा आदि बराबर बने रहते हैं। इनकी आय भी 10 दिनों तक बंद रहेगी। 

मानव जाति के लिए जरूरी है ट्रेनों को रोकना
एनई रेलवे मजदूर यूनियन के जनरल सेक्रेटरी रहे 103 वर्षीय केएल गुप्ता जार्ज फर्नांडीज के रेल आंदोलन समेत कई बड़े आंदोलनों में शामिल रहे हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए 31 मार्च तक देश में सभी ट्रेनों का परिचालन बंद करने की घोषणा को उन्होंने जरूरी माना। रविवार को ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में उन्होंने याद किया कि 1974 में जार्ज फर्नांडीज के समय 27 दिनों तक रेल चक्काजाम निश्चित रूप से ऐतिहासिक था लेकिन आज जो रेलों का पहिया थमा है, इसका उद्देश्य दूसरा है। उस समय कर्मचारी हितों के लिए 27 दिनों तक ट्रेनें नहीं चली थीं। लेकिन मानवता के लिए उसका महत्व नहीं था। आज 31 मार्च तक ट्रेनों को रद किया गया है, यह मानव जाति, देश को बचाने के लिए निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा, यह अभूतपूर्व है और मानव जाति के लिए ग्लोबल स्ट्राइक है। 

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