विश्वनाथ कॉरिडोर पर कोरोना का साया, काम पिछड़ा
कोरोना संक्रमण से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट को भी बड़ा झटका लगा है। काम शुरू होने के बाद दो बार प्रोजेक्ट बाधित हुआ...
वाराणसी। वरिष्ठ संवाददाता
कोरोना संक्रमण से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट को भी बड़ा झटका लगा है। काम शुरू होने के बाद दो बार प्रोजेक्ट बाधित हुआ है। छुट्टी पर गांव गये मजदूर अब तक नहीं लौटे और बाहर से मजदूर व एक्सपर्ट भी नहीं आ रहे हैं। इससे एक अप्रैल से अब तक यानी डेढ़ माह में केवल 2.5 फीसदी काम हो पाया है। लिहाजा, अक्तूबर में परियोजना के पूरा होने पर भी तलवार लटकने लगी है।
काशी विश्वनाथ मंदिर से लालिता घाट और मणिकर्णिका घाट के बीच में करीब 50 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में निर्माणाधीन 'काशी विश्वनाथ धाम' (कॉरिडोर) का शिलान्यास सात मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। 600 करोड़ की परियोजना पर गुजरात की कंसल्टेंट कम्पनी एचसीपी और कार्यदायी एजेंसी पीएसपी ने युद्धस्तर पर काम शुरू किया। तमाम बाधाओं को पार पाते हुए पिछले वर्ष मार्च तक 30 फीसदी तक काम पूरा हो गया था। पूर्ण लॉकडाउन लगने के बाद काम पूरी तरह ठप हो गया। जून में अनुमति मिलते ही परियोजना ने रफ्तार पकड़ी तो 30 मार्च 2021 तक 50 फीसदी काम पूरा हो गया था। पहले अगस्त और फिर लॉकडाउन के बाद अक्तूबर- 2021 में काम पूरा करने की शासन ने समयसीमा निर्धारित कर दी थी।
इस दौरान लोक निर्माण विभाग और काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद के अधिकारियों की निगरानी में काफी तेजी से कार्य कराए गये। इस वर्ष मार्च के बाद अचानक संक्रमण की दूसरी लहर ने फिर कॉरिडोर पर संकट के बादल ला दिये। होली की छुट्टी में गये न तो मजदूर लौटे और न ही दूसरे प्रांतों से आने वाले एक्सपर्ट आ पाये। हालांकि विगत दिनों में काफी सुरक्षा के बीच कॉरिडोर के कार्य को जारी रखा गया। हर हफ्ते जांच और सोशल डिस्टेंसिंग के बीच सिविल व बेस वर्क जारी है, लेकिन कार्य में अपेक्षित गति नहीं मिलने का असर परियोजना की डेडलाइन पर पड़ने लगी है।
आंशिक कर्फ्यू हटने के बाद पूरे प्रोजेक्ट की बनेगी सर्वे रिपोर्ट
सीईओ का कहना है कि वर्तमान में निर्माण एजेंसी प्रोजेक्ट की रिपोर्ट तैयार करती है, लेकिन आंशिक कर्फ्यू हटने के बाद पूरे प्रोजेक्ट की सर्वे रिपोर्ट तैयार होगी। इसमें एक-एक भवन व ढांचे का कार्य प्रगति का आकलन और कितना समय लग सकता है, यह सब समायोजित किया जाएगा। इसके बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि यह परियोजना कब तक पूरा हो पाएगी।
खूबसूरत पत्थरों व बिल्डिंग मैटेरियल्स की आवक रुकी
दूसरे प्रांतों में लॉकडाउन और आंशिक कर्फ्यू की वजह से बिल्डिंग मैटेरियल की उपलब्धता भी कम हुई है। वहीं दीवारों पर लगाये जाने वाले पत्थर भी लॉकडाउन के कारण नहीं आ पाये हैं। कार्यदायी संस्था के अधिकारियों का कहना है कि प्रोजेक्ट में सबसे ज्यादा कार्य फिनिशिंग का बचा है। लिहाजा, इसे कार्यक्षमता बढ़ाकर निर्धारित समय में पूरा किया जा सकता है।
कोरोना काल में जेटी और भवनों में क्लेडिंग को मिला मुकाम
पीडब्ल्यूडी में काशी विश्वनाथ खंड के एक्सईएन संजय गोरे ने बताया कि इस वर्ष के कोरोना काल में गंगा किनारे लालिता घाट पर जेटी का काम पूरा कर लिया गया है। इसके साथ ही 60 मीटर में घाट का निर्माण भी अंतिम चरण में है। वहीं मंदिर परिसर, मंदिर चौक, टॉयलेट ब्लॉक सहित कई भवनों बालेश्वर पत्थरों के क्लेडिंग (दीवारों पर लगाने) का कार्य भी पूरा हुआ है। आधा दर्जन भवनों की छत की ढलाई भी हुई और फिनिशिंग तेजी से हो रही है।
कोट
कोरोना ने निश्चित ही काम पर काफी असर डाला है। फिर भा लगातार काम जारी रखा गया है। पूरा प्रयास है कि इसी वर्ष परियोजना को लोकार्पित करा दिया जाये। यहां के कार्यों के बारे में शासन के अधिकारियों को भी अवगत कराया जाता रहा है।
सुनील कुमार वर्मा, सीईओ-काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।