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बोले काशी : कोर्स के साथ कैंपस हो आधुनिक, तब सार्थक हो पॉलिटेक्निक

Varanasi News - वाराणसी की राजकीय महिला पॉलिटेक्निक की छात्राओं ने खराब सुविधाओं और प्लेसमेंट की कमी पर चिंता जताई है। छात्राओं का कहना है कि कॉलेज में इंटर्नशिप, स्वास्थ्य सुविधाएं, और आधुनिक प्रयोगशालाओं का अभाव...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीMon, 17 Feb 2025 08:17 PM
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बोले काशी : कोर्स के साथ कैंपस हो आधुनिक, तब सार्थक हो पॉलिटेक्निक

वाराणसी। कभी पॉलिटेक्निक का ‘चार्म हुआ करता था। तब वहां से टेक्निकल हैंड निकलते थे। वे कॅरियर की ऊंची उड़ान का बेस बनाते थे। इसे ध्यान में रखते हुए बनारस में राजकीय महिला पॉलिटेक्निक की स्थापना हुई। शुरुआत में उत्साही छात्राएं अब चुनौतियों का सामना कर रही हैं। पुराने कोर्स के आधार पर प्लेसमेंट की संभावना घट गई है। इंटर्नशिप की व्यवस्था नहीं है। कॉलेज परिसर में खराब सड़क, कॉलेज और हॉस्टल में गंदगी, चिकित्सा सुविधा का अभाव उन्हें अखरता है। प्रदूषित जलापूर्ति, मेस का खाना मजबूरी बन गया है। पॉलिटेक्निक कोर्स में विद्यार्थियों की रुचि पहले की अपेक्षा कम हो रही है। कई ट्रेड हैं जिसमें स्कोप न के बराबर है। विद्यार्थी विकल्प नहीं होने की वजह से मजबूरी में प्रवेश तो ले रहे लेकिन प्लेसमेंट नहीं मिलने से परेशान हैं। इसके अवाला इंटर्नशिप, प्लेसमेंट की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से पॉलिटेक्निक में छात्राओं का रुझान घट रहा है। ऐसे में पॉलिटेक्निक करने वाली छात्राएं अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। पढ़ाई के दौरान आने वाली तमाम समस्याओं से जुझ रही सुंदरपुर स्थित राजकीय महिला पॉलिटेक्निक की छात्राओं ने हिन्दुस्तान से अपनी मन की बात कही। कभी जर्जर हॉस्टल तो कभी मेस का खाना उन्हें परेशान करता है। हॉस्टल में आरओ नहीं होने से शुद्ध पेयजल की समस्या मुंह बाये खड़ी रहती है।

सोनाली सिंह, उदिता पांडेय ने कहा कि पॉलिटेक्निक को आधुनिकता से जोड़ने की जरूरत है। सरकार की ओर से आईटीआई में उद्योग जगत की जरूरतों के अनुसार कोर्स चलाए जा रहे हैं। नए लैब बन रहे हैं। आईटीआई करने वाले युवाओं को उसी के अनुसार प्रशिक्षण मिल रहा है। इससे आईटीआई में अब भी युवाओं की रुचि है। इसी तरह पॉलिटेक्निक में व्यवस्था होनी चाहिए। प्रैक्टिकल नॉलेज के लिए अत्याधुनिक लैब की व्यवस्था हो।

प्लेसमेंट का स्कोप घटा

खुशी, सलोनी पांडेय, रिया चौबे ने बताया कि पॉलिटेक्निक में प्लेसमेंट का स्कोप कम है। हर साल एक-दो कंपनियां ही आती हैं। वे भी कम पैकेज में दूसरे शहरों का ऑफर देती हैं। ऑफर मिलने के बाद भी कई छात्राएं स्वीकार नहीं करतीं। अनुष्का चौहान, रागिनी सिंह ने कहा कि पढ़ाई के दौरान अच्छी कंपनियों में इंटर्नशिप का मौका मिले तो प्रतिभा निखरेगी और नौकरी आसानी से मिल सकेगी।

अत्याधुनिक लाइब्रेरी बने

प्रांजलि मिश्रा, नौशीन खान ने जरूरत बताई कि परिसर में अत्याधुनिक लाइब्रेरी बननी चाहिए। वहां हॉस्टल की छात्राओं को रात में भी पढ़ने की सुविधा रहे। अभी कॉलेज की लाइब्रेरी में कक्षाएं चलने तक पढ़ने की सुविधा है। इससे हॉस्टल की छात्राओं को परेशानी होती है। वे बाहर किसी लाइब्रेरी में भी नहीं जा सकतीं।

फैशन डिजाइन में प्रवेश कम

पॉलिटेक्निक के कई ट्रेड का स्कोप कम होने से छात्र-छात्राओं का रुझान घट रहा है। कई बार विकल्प नहीं मिलने पर वे मजबूरी में प्रवेश ले लेते हैं लेकिन इसका फायदा नहीं मिलता। अंजली बिंद, अदिती सिंह ने बताया कि फैशन डिजाइन में कोई स्कोप नहीं है। न तो प्लेसमेंट के लिए कंपनियां आती हैं। इससे छात्राओं को परेशानी होती है। खुशी मिश्रा, प्रांजलि मिश्रा ने कहा कि फैशन डिजाइन का कोर्स आधुनिक जरूरतों के हिसाब से संशोधित होना चाहिए। इसमें किताबी शिक्षा से ज्यादा प्रैक्टिकल पर जोर होना चाहिए। इससे नई संभावनाएं बनेंगी। बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री में काम करने का मौका मिलेगा।

मिले इलाज की सुविधा

हॉस्टल में रहने वाली अनुष्का चौहान, रागिनी सिंह, पायल श्रीवास्तव ने बताया कि रात में बीमार होने पर परेशानी होती है। वे खुद बाहर नहीं जा सकतीं। उन्हें ले जाने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए जरूरी है कि रात के वक्त स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें होने पर छात्राओं को अस्पताल ले जाने का प्रबंध हो।

गंदा पानी से बीमारी

छात्राओं ने बताया कि हॉस्टल में पीने का पानी गंदा होता है। इससे कई छात्राएं बीमार हो गई हैं। अंजली बिंद, अदिती सिंह ने कहा कि गंदा पानी पीने से कई प्रकार की बीमारियां होती है। बचाव के लिए स्वच्छ जल का इंतजाम होना चाहिए।

हर माह लगे हेल्थ कैंप

छात्राओं ने कहा कि कैंपस में हर माह स्वास्थ्य विभाग की ओर से कैंप लगना चाहिए ताकि उन्हें आसानी से जांच आदि की सुविधाएं मिल सकें। हॉस्टल की छात्राओं को हॉस्पिटल आने जाने में परेशानी होती है। हेल्थ कैंप से उन्हें सहूलियत होगी।

रोज सफाई नहीं, शौचालय गंदा

हॉस्टल में स्वच्छता नहीं है। रोज सफाई नहीं होती। शौचालय गंदा रहता है। कॉलेज परिसर में कचरा जमा रहता है। कुत्ते पूरे परिसर और हॉस्टल में गंदगी फैलाते हैं। वे कई बार कक्षाएं चलने के दौरान आ जाते हैं। इससे बाधा आती है। हॉस्टल में भी वे बेरोक-टोक आते हैं।

जर्जर हॉस्टल में लगता है डर

अंजली बिंद, अदिती सिंह ने ध्यान दिलाया कि हॉस्टल की बिल्डिंग जर्जर हो गई है। इससे डर बना रहता है। बारिश के दिनों में चिंता बढ़ जाती है। कई कमरों की खिड़कियां टूटी हुई हैं। हॉस्टल में व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं है। बिल्डिंग की मरम्मत होनी चाहिए। छात्राएं अपने घर से दूर पढ़ने के लिए आती हैं। ऐसे में जर्जर भवन में रहना चिंता का विषय है।

परिसर के अंदर सीवर का पानी

कॉलेज परिसर के अंदर हॉस्टल के पास सीवेज बहता है। बारिश के दिनों में हॉस्टल से कॉलेज तक जाने में परेशानी होती है। यह समस्या कई सालों से है। रागिनी सिंह, पायल श्रीवास्तव ने बताया कि तब हम चप्पल पहनकर कॉलेज आने-जाने को मजबूर रहते हैं। सीवर की बदबू से जीना मुश्किल हो जाता है। सफाई नहीं होती है। कॉलेज आने वाली सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है। इससे आवागमन में परेशानी होती है। कई बार छात्राएं चोटिल हो जाती हैं।

मेस में मिले पौष्टिक खाना

छात्राओं ने बताया कि मेस में सही खाना नहीं मिलता। डर की वजह से वे शिकायत नहीं कर पाती हैं। मेस के खाने की निगरानी के एक टीम होनी चाहिए। हॉस्टल में पौष्टिक और शुद्ध आहार मिलना सुनिश्चित होना चाहिए।

हॉस्टल में लगे वेंडिंग मशीन

अंजली बिंद, अदिती सिंह ने कहा कि हॉस्टल में छात्राओं के लिए वेंडिंग मशीन लगना चाहिए। शाम के बाद छात्राएं बाहर नहीं जा सकती हैं। ऐसे में अगर कभी रात में समस्या आ गई तो क्या करेंगी। कम से कम एक कॉलेज परिसर में और एक हॉस्टल के पास मशीन लगनी चाहिए।

छात्राओं के बोल

हॉस्टल में वेंडिंग मशीन लगे। शाम के बाद छात्राएं बाहर नहीं जा सकतीं। अगर रात में समस्या आ गई तो क्या करेंगी। - सोनाली सिंह

आईटीआई की तरह पॉलिटेक्निक में भी आधुनिक कोर्स होने चाहिए ताकि छात्राएं समय के अनुसार अपडेट हो सकें। - उदिता पांडेय

हॉस्टल में प्रतिदिन सफाई नहीं होती। शौचालय गंदा रहता है। कॉलेज परिसर में कचरा जमा रहता है। - खुशी

कॉलेज में कुत्ते घूमते हैं। कई बार पढ़ाई के समय वे कक्षा में आ जाते हैं। हॉस्टल में भी कुत्तों का आतंक रहता है। - सलोनी पांडेय

कॉलेज में हर माह हेल्थ चेकअप कैंप लगना चाहिए। हॉस्टल की छात्राओं को बाहर निकलने में दिक्कत होती है। - रिया चौबे

परिसर में सीवर का पानी बहता है। बारिश के दिनों में हॉस्टल से कॉलेज पहुंचने में परेशानी होती है। - अनुष्का चौहान

अत्याधुनिक लाइब्रेरी बने तो शिक्षा बेहतर होगी। हॉस्टल की छात्राओं को रात में भी लाइब्रेरी में पढ़ने की सुविधा मिले। - रागिनी सिंह

कॉलेज आने वाला मार्ग खराब है। बारिश में परेशानी बढ़ जाती है। कई बार छात्राएं घायल हो जाती हैं। - पायल श्रीवास्तव

कैंपस प्लेसमेंट और इंटर्नशिप की उचित व्यवस्था हो। अच्छी कंपनी में इंटर्नशिप का मौका मिलना चाहिए। - खुशी मिश्रा

परिसर से साथ हॉस्टल और शौचालय में प्रतिदिन सफाई होनी चाहिए। शौचालय की स्थिति खराब है। -प्रांजलि मिश्रा

सुझाव

1- कॉलेज की तरफ आने वाले मार्ग की जल्द से जल्द मरम्मत कराई जाए। इससे पैदल और वाहन से आने वाली छात्राओं को सहूलियत होगी।

2- कैंपस में झाड़ू लगने के साथ ही प्रतिदिन कूड़ा उठे और शौचालयों की सफाई कराई जाए।

3-स्वच्छ जल और मेस में शुद्ध पौष्टिक खाने की व्यवस्था हो। पानी के लिए सभी हॉस्टल में आरओ लगना चाहिए।

4-हॉस्टल की बिल्डिंग काफी पुरानी है। कोई हादसा हो, उसके पहले इसकी मरम्मत कराई जानी चाहिए।

5-कैंपस प्लेसमेंट में ज्यादा से ज्यादा कंपनियां आएं ताकि सभी छात्राओं को अवसर मिले। इससे नौकरी के भी अवसर बढ़ेंगे।

शिकायतें :

1- कॉलेज की तरफ आने वाला मार्ग क्षतिग्रस्त है। कई बार छात्राएं गिरकर घायल हो जाती हैं। बारिश के दिनों में परेशानी बढ़ जाती है।

2- हॉस्टल और कॉलेज में सफाई की उचित व्यवस्था नहीं है। शौचालय में गंदगी रहती है। कुत्ते का आतंक रहता है। इससे परेशानी होती है।

3- पीने का पानी साफ नहीं आता है। मेस में खाना भी सही नहीं मिलता। इससे बीमारियों का खतरा रहता है। हॉस्टल की छात्राएं गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।

4- हॉस्टल की बिल्डिंग जर्जर हो गई है। इससे हमेशा अनहोनी का डर रहता है। कई कमरों और कक्षाओं की खिड़कियां टूटी हुई हैं।

5-कैंपस प्लेसमेंट में एक-दो कंपनियां ही आती हैं। इंटर्नशिप की भी उचित व्यवस्था नहीं है। खुद से एप्रोच करना पड़ता है। इससे परेशानी होती है।

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