बोले काशी : मारवाड़ी महिला समाज: यह जाम अभी कर रहा बेहाल तो महाकुंभ में क्या होगा हाल
Varanasi News - काशी में पर्यटन क्षेत्र में खुशहाली दिख रही है, लेकिन स्थानीय महिलाओं का कहना है कि वीआईपी कल्चर और ट्रैफिक की समस्याओं के कारण आम श्रद्धालुओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। होटल और गेस्ट हाउस...
वाराणसी। काशी में इंद्रधनुषी विकास हो रहा है। विश्वनाथ धाम के चलते पर्यटन सेक्टर में खुशहाली दिख रही है। वहीं, मानकों को ताख पर रखकर धड़ाधड़ होटल-गेस्ट हाउस और होम स्टे खुलते जा रहे हैं। यह एहसास भी दिनोंदिन तल्ख हो रहा है कि बाबा विश्वनाथ बनारसियों से ही दूर होते जा रहे हैं। ‘स्मूद ट्रैफिक का कोई कंक्रीट प्लान नहीं है। 10-15 दिनों बाद महाकुंभ की भीड़ का पलट प्रवाह शुरू होगा तब शहर का क्या हाल होगा-यह चिंता है मारवाड़ी महिला समाज की।
महिलाएं सिर्फ राजनीतिक और आर्थिक रूप से ही जागरूक नहीं हुई हैं। उनकी पैनी नजर विकास, उसके परिणामों और दुष्परिणामों पर भी है। विभिन्न क्षेत्रों में रहनेवाली मारवाड़ी समाज की महिलाएं अपने उद्यमी-व्यवसायी परिवार की धुरी हैं। वे परिवार के मुखिया के कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं। इसलिए शहर में क्या हो रहा है, क्या होने वाला है और क्या होना चाहिए- इन बिंदुओं पर भी उनकी स्पष्ट सोच है। उन्हें बनारस के बहुमुखी विकास से खुशी है तो वीआईपी कल्चर से बेहद कष्ट भी। वे बाबा विश्वनाथ ही नहीं, काशी के कोतवाल कालभैरव के साथ मृत्युंजय महादेव के दरबार में भी ‘गर्दनिया दर्शन से आहत हैं। उन्हें लग रहा है कि तीर्थयात्रियों और दर्शनार्थियों की रिकार्ड संख्या बनाने के चक्कर में कहीं न कहीं काशी की छवि दांव पर लगाई जा रही है। त्रिदेव मंदिर परिसर में ‘हिन्दुस्तान के साथ चर्चा में उन्होंने कहा कि वीआईपी मूवमेंट के नाम पर चौक क्षेत्र में सामान्य वाहनों पर रोक से पूरे इलाके के व्यापार एवं कारोबार प्रभावित हो रहे हैं। वीआईपी कल्चर शहर पर भारी पड़ रहा है।
बाबा के दरबार में कौन खास, कौन आम
उषा केजरीवाल, निधि अग्रवाल ने काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन के दौरान कई कड़ुवे अनुभव साझा किए। सवाल उठाया- ‘महादेव के दरबार में कौन खास है? ‘अगर मानें तो वहां हर दर्शनार्थी खास है वरना सब आम हैं। प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों को कहां से अधिकार मिल गया किसी को वीआईपी बनाने या मानने की? अब हमें धाम जाने के पहले कई बार सोचना पड़ता है। कई सदस्यों ने कहा कि यदि आपकी ‘सेटिंग नहीं है तो बाबा का सहज दर्शन असंभव है। घंटों लाइन लगाने के बाद गर्भगृह के सामने सुरक्षाकर्मियों के धक्के झेलने पड़ते हैं। बोलीं, देश के विभिन्न प्रांतों के लोगों का आना खराब बात नहीं है। वे खूब आएं और काशी का गुणगान करें मगर धाम में उनका भी यदि ‘जुगाड़ नहीं है तो सुरक्षाकर्मियों के ‘गर्दनियां का शिकार होना तय है। ऐसी स्थिति में वे कैसी छवि बनाकर कैसी याद लेकर लौटते होंगे, इसे समझना कठिन नहीं है। विनिता अग्रवाल ने कहा कि कई बार पुरुष पुलिसकर्मी मंदिर के गर्भगृह में या बाहर भी महिला दर्शनार्थियों को बांह पकड़ कर आगे बढ़ाते दिखते हैं।
पर्यटन जैसा इन्फ्रा का विकास नहीं
निधि अग्रवाल, शालिनी अग्रवाल ने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम बनने के बाद पर्यटन में जिस तरह उछाल आया है, उस तरह इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास नहीं हुआ। उदाहरण दिया कि रामकटोरा, सिद्धिगिरीबाग, सोनिया आदि क्षेत्रों में हाल के महीनों में कई होटल, लॉज खुले हैं लेकिन उन्होंने पार्किंग की जगह नहीं बनाई है। गलियों और सड़क पर ही टूरिस्ट वाहन खड़े होते हैं। इससे स्थानीय लोगों को स्कूटी निकालने में भी दिक्कत होती है। उषा केजरीवाल ने कहा कि गलियों में होटल या लॉज का लाइसेंस ही नहीं जारी होना चाहिए। स्मिता लोहिया ने जोड़ा-‘घनी आबादी के बीच होम स्टे की अनुमति देने के जल्द ही कई गलत परिणाम दिखेंगे। सदस्यों ने कहा कि यदि कॉलोनियों में भी होटल आदि के लाइसेंस जारी होते हैं तो शासन, प्रशासन को वहां सड़क-सीवर और सफाई आदि व्यवस्थाओं के भी विकास का ध्यान देना चाहिए। एक उदाहरण दिया कि इस साल भरत मिलाप के पहले रामकटोरा से मृत्युंजय महादेव तक की सड़क बन गई लेकिन उसके दोनों ओर की कॉलोनियों की महीनों से खराब खराब सड़कों की ओर ध्यान नहीं दिया गया।
स्कूटी से भी निकलना मुश्किल
मारवाड़ी समाज की महिला सदस्यों को शहर में प्रभावी ट्रैफिक प्लान न होना अखरता है। श्रुति राय, मेघा यादुका, मीना अग्रवाल ने कहा कि हम स्कूटी से भी निकलना आसान नहीं रहा। हर ओर जाम और पब्लिक परेशान-यह हर दिन का नजारा है। इससे किसी भी बाजार में आप न तो खरीदारी कर सकती हैं न किसी जगह पांच मिनट रुक सकती हैं। कहीं रुके तो तुरंत चालान करने वाले हाजिर हो जाते हैं। दो-तीन जगह बड़े पार्किंग स्थल बने मगर ऑटो-टोटो और ई रिक्शों पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। स्मिता लोहिया ने कहा कि शहर से रिक्शे जाम लगने की वजह मानकर बाहर कर दिए गए, अब वही समस्या ऑटो और टोटो से हो रही है। जहां-तहां ऑटो स्टैंड बना दिए जा रहे हैं। याद दिलाया कि नगर निगम और वीडीए ने चौराहों को चौड़ा बनाने की प्लानिंग की, पुलिस आयुक्त कई बार कर चुके हैं कि चौराहों के सौ-दो सौ मीटर के दायरे में ऑटो आदि नहीं खड़े होंगे लेकिन कहीं दिखती है किसी की प्लानिंग या घोषणा? हम नहीं, पूरा शहर परेशान है। विनिता प्रसाद ने कहा कि 12 जनवरी के बाद जब महाकुंभ के तीर्थयात्रियों को रेला प्रयागराज से काशी लौटेगा तब क्या स्थिति होगी?
खर्चे बढ़ गए, कमाई नहीं
मारवाड़ी समाज की महिलाओं ने अनुभव बताए कि एक दशक के दौरान बनारस के मध्यम वर्गीय परिवार कई तरह के दबाव में आ गए हैं। स्मिता लोहिया की टिप्पणी-‘मिडिल क्लॉस की कमाई नहीं बढ़ी है, खर्चे जरूर बढ़ गए हैं। स्कूल की फीस हो या खाने पीने का सामान, सब महंगा हो गया है। विनीता प्रसाद, मीना अग्रवाल, मधु अग्रवाल ने बताया कि सरकार स्मार्ट प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने पर जोर दे रही है। सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हुआ लेकिन संसाधनों की कमी नहीं दूर हो रही है। अच्छे शिक्षकों की कमी है। जब बेहतर शिक्षा नहीं मिलेगी तो लोग सरकारी स्कूलों में बच्चों क्यों पढ़ाएंगे।
छुट्टा पशुओं और बंदरों का आतंक
मेघा यादुका, अर्चना, मीना अग्रवाल ने बताया कि गोदौलिया, लंका, रामकटोरा, सुंदरपुर समेत शहर के कई इलाकों में छुट्टा पशुओं और बंदरों का आतंक गंभीर समस्या बन चला है। नगर निगम इस दिशा में गंभीर नहीं है। आए दिन बंदर लोगों को घायल कर रहे हैं। लोग भागने के चक्कर में चोटिल हो रहे हैं। इस समस्या का स्थाई समाधान होना चाहिए।
कैसे बढ़े महिला उद्यमिता
मारवाड़ी समाज की महिलाएं महिला स्वावलंबन की दिशा में मौजूदा सरकारों की योजनाओं एवं प्रयासों से खुश हैं लेकिन सरकारी विभागों की कार्यशैली से उतनी ही नाखुश भी। संगीता अग्रवाल, अर्चना, मधु अग्रवाल ने बताया कि महिलाओं को आसानी से बैंक लोन नहीं मिलता। कई बार चक्कर लगाने पड़ते हैं। फिर इतनी कागजी औपचारिकताओं का बंधन लगा दिया जाता है जिससे पार पाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि ऋण स्वीकृति के नियम आसान हों तो महिलाएं स्वरोजगार एवं उद्यम की ओर तेजी से बढ़ेंगी।
वेंडिंग जोन में ही दिखें ठेला-खोमचा
महिलाओं ने कहा कि शहर में वेडिंग जोन की संख्या बढ़नी चाहिए। नगर निगम और पुलिस प्रशासन को उसका कड़ाई से अनुपालन भी करवाना चाहिए। लंका, गोदौलिया, सिगरा, मैदागिन, कैंट, इंगलिशिया लाइन के साथ शहर के कई इलाकों में सड़कों पर ठेला-खोमचे लगते हैं। इससे भी जाम लग रहा है।
कलर कोड की तरह रेट लिस्ट भी
निधि अग्रवाल, स्मिता लोहिया ने ध्यान दिलाया कि प्रशासन ने ऑटो और ई रिक्शों के लिए जिस तरह कलर कोड अनिवार्य बना दिया है, उसी तरह उनका रेट लिस्ट भी अनिवार्य होना चाहिए। इससे मनमाना किराया वसूली पर रोक लगेगी। इन दिनों ऑटो व ई रिक्शा चालक बहुत मनमानी कर रहे हैं। उन्हें पुलिस का भी खौफ नहीं है।
शिकायतें
1.पार्किंग न होने से लोग परेशान हैं। सड़क पर गाड़ियां खड़ी करने पर चालान होता है। इससे ग्राहक दुकान पर नहीं आते हैं।
2.लंका, गोदौलिया, सिगरा आदि क्षेत्रों में सड़कों पर ठेले लग रहे हैं। इससे जाम लग रहा है।
3.वैवाहिक समारोहों में डीजे से रात एक-दो बजे तक असहनीय शोर से नींद डिस्टर्ब होती है। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है।
4.रामकटोरा, कबीरनगर में बंदरों के आंतक से लोग परेशान हैं। आए दिन वे बच्चों-बड़ों को घायल कर देते हैं।
5.विश्वनाथ धाम में किसी भी समय वीआईपी दर्शन के लिए घंटों ट्रैफिक रोक दी जाती है। आम दर्शनार्थी बहुत परेशान होते हैं।
सुझाव
1. पार्किंग स्थल बनने तक वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। हर क्षेत्र में वाहनों को पार्क करने की जगह तय हो।
2.काशी विश्वनाथ धाम में वीआईपी दर्शन का समय तय हो। वहां आम दर्शनार्थियों के साथ अच्छे व्यवहार के लिए सुरक्षाकर्मियों को सख्त हिदायत दी जाए।
3.मांगलिक कार्यक्रमों में निर्धारित समय तक डीजे बजाने की अनुमति मिले। रात 10 बजे के बाद बजने पर कठोर कार्रवाई हो।
4.बंदरों को पकड़ने के लिए मिलने वाले फंड का सही इस्तेमाल होना चाहिए। बंदरों से कॉलोनियों को मुक्ति मिले।
5.ऑटो और ई रिक्शा चालकों के लिए विभिन्न रूट पर किराया सूची लेकर चलना अनिवार्य किया जाए। इसकी समय-समय पर जांच हो।
सब ओर नजर
पाइपों के लिए लंबे समय तक सड़कें खोद कर छोड़ दी जाती हैं। इससे बहुत दिक्कत होती है। -ऊषा केजरीवाल
विश्वनाथ धाम में आम श्रद्धालुओं के साथ छलावा हो रहा है। सही ढंग से दर्शन नहीं मिल पाता है। - स्मिता लोहिया
गिरजाघर के पास टोटो पर रोक है लेकिन वीआईपी गाड़ियां आती हैं। नियम सबके लिए समान हो।
- विनीता प्रसाद
रामकटोरा में आए दिन बंदर किसी ना किसी को घायल कर रहे हैं। शिकायत के बाद भी समाधान नहीं हो रहा है। - निधि अग्रवाल
रात 10 बजे के बाद कहीं भी डीजे नहीं बजना चाहिए। इससे बेहद परेशानी होती है।
- शालिनी अग्रवाल
हरियाली के लिए नगर निगम की ओर से पौधे तो लगाए जाते हैं, लेकिन उनकी देखरेख नहीं होती।
- संगीता अग्रवाल
नए होटल खुल रहे हैं लेकिन पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।
- मीना अग्रवाल
विश्वनाथ धाम में दर्शन के लिए स्थानीय लोगों की अलग से लाइन लगे। बनारस के लोगों के लिए दर्शन मुश्किल हो गया है।- मधु अग्रवाल
नगर निगम की ओर से फॉगिंग नहीं कराई जाती। इससे मच्छर से होने वाली बीमारियां बढ़ रही हैं।
- श्रुति राय
खोजवां में स्ट्रीट लाइटों की कमी है। इससे शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। इससे आवागमन में परेशानी होती है।
- मेघा यदुका
लंका से रश्मि नगर जाने के लिए बीएचयू गेट तक चक्कर लगाना पड़ता है। यहां डिवाइडर के बीच कट होना चाहिए।
- अर्चना
बच्चों से भीख मंगवाने का गैंग चल रहा है शहर में। इससे शहर की छवि खराब हो रही है। लोग परेशान हैं।
- सृष्टि
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