सीएनजी नहीं लकड़ी से संस्कार कराने को प्राथमिकता
हरिश्चंद्र घाट स्थित सीएनजी शवदाह गृह में बुधवार से दूसरी भट्टी से भी संस्कार शुरू हो गया। इस घाट पर अब कुछ दिनों पहले जैसी मारामारी नहीं है और...
वाराणसी। कार्यालय संवाददाता
हरिश्चंद्र घाट स्थित सीएनजी शवदाह गृह में बुधवार से दूसरी भट्टी से भी संस्कार शुरू हो गया। इस घाट पर अब कुछ दिनों पहले जैसी मारामारी नहीं है और अस्थाई घाटों के संचालन से शवों की संख्या भी कम हुई है।
हरिश्चंद्र घाट पर बुधवार को शव लेकर पहुंचने वालों ने गैस से संस्कार की बजाए लकड़ी का विकल्प चुना और पर्ची कटवाकर लकड़ी से संस्कार कराया। नगर निगम की ओर से नि:शुल्क संस्कार की सुविधा के चलते लोगों ने लकड़ी का विकल्प चुना है। बुधवार को शाम पांच बजे तक सीएनजी शवदाह गृह में 23 पर्चियां काटी गईं। जिनमें केवल नौ संस्कार गैस से किया गया। दोनों गैस चैंबर शुरू होने के बाद भी भट्टियां खाली रहीं और मृतकों के परिजन लकड़ी से संस्कार कराते रहे। परिजन इसके लिए लंबा इंतजार भी करना स्वीकार कर रहे हैं और संक्रमण का खतरा ज्यादा होने के बाद भी विकल्प चुन रहे हैं। कुछ दिनों पहले तक शवों की संख्या ज्यादा होने व लकड़ी की मनमानी कीमत वसूले जाने के कारण ज्यादातर लोग सीएनजी से शवदाह करा रहे थे। हरिश्चंद्र घाट पर बुधवार को लकड़ी से 60 से ज्यादा शवों का संस्कार हुआ। मणिकर्णिका घाट पर यह संख्या 125 से ज्यादा रही। और सामनेघाट स्थित अस्थाई घाट पर 15 से ज्यादा शवों का संस्कार हुआ।
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