वाराणसी : सिटी मजिस्ट्रेट को दोबारा धमकी, एक दिन में आई 32 कॉल
वाराणसी में एक धार्मिक स्थल से जुड़े मुकदमे के मामले में सिटी मजिस्ट्रेट को दोबारा फोन पर धमकी मिलने से प्रशासनिक महकमे में सनसनी है। सिटी मजिस्ट्रेट के सीयूजी नंबर पर तीन दिन पहले कॉल आई थी।...
वाराणसी में एक धार्मिक स्थल से जुड़े मुकदमे के मामले में सिटी मजिस्ट्रेट को दोबारा फोन पर धमकी मिलने से प्रशासनिक महकमे में सनसनी है। सिटी मजिस्ट्रेट के सीयूजी नंबर पर तीन दिन पहले कॉल आई थी। कॉल करने वाला वही अज्ञात व्यक्ति है, जिसने बीते 12 मार्च को भी धमकी दी थी। पहले तो सिटी मजिस्ट्रेट ने कॉल नहीं उठाई, लेकिन लगातार आ रही कॉल को देखते हुए उन्होंने नंबर को ब्लॉक मोड में डाल दिया। बावजूद इसके उसने 32 बार कॉल किया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सिटी मजिस्ट्रेट ने पूरे मामले की जानकारी डीएम योगेश्वर राम मिश्र को दी। डीएम ने कॉल करने वाले की छानबीन शुरू करा दी है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कॉल करने वाले का पता लगाने के लिए मोबाइल कंपनियों से भी संपर्क करने को कहा है।
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बीते 12 मार्च को सिटी मजिस्ट्रेट डा. विश्राम के मोबाइल पर रात 1.12 बजे एक कॉल आई थी। कॉल करने वाले का नंबर + 92 3155061388 था। ट्रू कॉलर पर पता चला कि यह नंबर पाकिस्तान का है। कॉल करने वाले ने खुद को पीएमएल ग्रुप का सदस्य बताया था और कहा था जिस धार्मिक स्थल के मुकदमे की सुनवाई कर रहे हैं, उसमें पक्ष विशेष में फैसला दें। दूसरे दिन 13 मार्च को भी तीन बार कॉल आई थी। तब मामले की छाबनीन क्राइम ब्रांच को सौंपी गई।
केन्द्रीय व राज्य खुफिया एजेंसियों ने भी सिटी मजिस्ट्रेट से कॉल करने वाले के बारे में जानकारी ली थी मगर अब तक यह पता नहीं चल पाया कि कॉल करने वाला कौन है? इस बीच राष्ट्रपति के आगमन के तीन दिन पहले उसी नंबर से दोबारा कॉल आई। नंबर देखते ही सिटी मजिस्ट्रेट ने नजर अंदाज कर दिया। मगर कॉल करने वाला लगातार मोबाइल पर घंटी बजाता रहा।
पाकिस्तान से आई थी कॉल
पहली बार जब सिटी मजिस्ट्रेट को धमकी मिली थी तो क्राइम ब्रांच की टीम ने कॉल करने वाले की छानबीन की। पता चला कि नंबर तो पाकिस्तान का है मगर सिम का प्रयोग भारत के किसी शहर से किया जा रहा है। उसके बाद क्राइम ब्रांच एवं खुफिया एजेंसियों ने चुप्पी साध ली। अब दोबारा उसी नंबर से कॉल आने के बाद सिटी मजिस्ट्रेट समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों में सनसनी है। इस मामले में क्राइम ब्रांच से लगायत खुफिया एजेंसियों की कार्यशैली पर भी अब सवाल खड़े होने लगे हैं। चर्चा तो यह भी है कि एक वरिष्ठ अधिकारी को धमकी देने वाले अज्ञात शख्स का जब अब तक पता नहीं लग पाया तो बाकी लोगों का क्या होगा?
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