बीएचयू ट्रामा सेंटर व अस्पताल की इमरजेंसी सेवा भी ठप
बीएचयू सर सुन्दरलाल चिकित्सालय में मरीज के परिजनों और छात्रों के साथ मारपीट के बाद हड़ताल पर गए जूनियर रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल बुधवार को व्यापक हो गई। हड़ताली डॉक्टरों ने ओपीडी के बाद इमरजेंसी और...
बीएचयू सर सुन्दरलाल चिकित्सालय में मरीज के परिजनों और छात्रों के साथ मारपीट के बाद हड़ताल पर गए जूनियर रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल बुधवार को व्यापक हो गई। हड़ताली डॉक्टरों ने ओपीडी के बाद इमरजेंसी और ट्रामा सेंटर की भी सभी सेवाएं ठप कर दीं। इससे हालात बिगड़ चले हैं।
बुधवार को डीएम सुरेन्द्र सिंह और एसएसपी आनंद कुलकर्णी ने 24 घंटे में बीएचयू अस्पताल व ट्रामा सेंटर में सुरक्षा के लिए पुलिस बल की तैनाती का आश्वासन दिया मगर हड़ताली चिकित्सक नहीं माने। उन्होंने चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) प्रो. वीएन मिश्र की अपील भी ठुकरा दी।
हड़ताली चिकित्सक सुरक्षा की लिखित गारंटी मांग रहे हैं। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को 48 घंटे की मोहलत दी है। इसके बाद उन्होंने हड़ताल को देशव्यापी बनाने की चेतावनी दी है। उन्होंने एम्स, यूनियन ऑफ जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (यूआरडीए ) तथा फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (फोर्ड) से संपर्क भी शुरू कर दिया है।
हड़ताली चिकित्सकों को मनाने डीएम व एसएसपी बुधवार को ट्रामा सेंटर पहुंचे। वहां एसएसपी ने 24 घंटे में ट्रामा सेंटर व सर सुन्दरलाल अस्पताल की सुरक्षा में पुलिस बल तैनात करने का आश्वासन दिया। एमएस ने हड़तालियों से आग्रह किया कि अस्पताल की सुरक्षा में निजी सुरक्षा एजेंसी लगाने की योजना है लेकिन इसमें समय लगेगा। तब तक मरीजों के हित को ध्यान में रखकर चिकित्सकीय सेवा बहाल करें पर जूनियर रेजीडेंट एकमत नहीं हुए।
उधर सर सुन्दरलाल अस्पताल में मरीजों व परिजनों की पीड़ा देखने वाला कोई नहीं है। सीनियर डॉक्टर देर शाम तक ओपीडी में परामर्श दे रहे हैं जबकि अस्पताल की अन्य सेवाएं जूनियरों की हड़ताल के चलते बाधित है।
मेडिकल हॉस्टल का हो अलग कैंपस
जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि मेडिकल छात्रों के हॉस्टल एक जगह कर के उनका अलग कैंपस बना दिया जाए। उनका आर्ट फैकेल्टी के हॉस्टलों से सम्पर्क न रहे। यदि कैंपस बनाने में परेशानी हो तो मेडिकल के सभी छात्रावासों की बाउंड्री इतनी ऊंची कर दी जाए कि दूसरे हॉस्टलों सम्पर्क न रहे।
बीएचयू अस्पताल में घटी संख्या
बीएचयू अस्पताल में सामान्य दिनों में रोज करीब छह हजार पर्ची कटती है। करीब सात हजार पंजीकरण होते हैं। दो सौ से अधिक भर्ती व ऑपरेशन किए जाते हैं। हड़ताल से बुधवार को 2420 पर्ची कटी, पंजीकरण 3035 हुए। 35 मरीज भर्ती कराए गए जबकि 106 डिस्चार्ज हुए। इमरजेंसी ओपीडी में 40 मरीज भर्ती हुए। 27 मरीजों के ऑपरेशन हुए। 2017 के रक्त की जांच हुई।
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