सीनियर प्रोफेसर पद वरिष्ठता नहीं, यूजीसी ने किया साफ
Varanasi News - वाराणसी में बीएचयू के विभागाध्यक्ष पद की वरिष्ठता को लेकर चल रही खींचतान खत्म हो गई है। यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि सीनियर प्रोफेसर का पद वरिष्ठता का मापदंड नहीं है, और विश्वविद्यालय में वरिष्ठता केवल...

वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। बीएचयू के विभिन्न संकायों में विभागाध्यक्ष पद पर वरिष्ठता को लेकर चल रही खींचतान का पटाक्षेप हो गया है। यूजीसी की तरफ से जारी पत्र में बीएचयू प्रशासन को स्पष्ट किया गया है कि सीनियर प्रोफेसर का पद वरिष्ठता का पैमाना नहीं। विश्वविद्यालय में वरिष्ठता सिर्फ तीन पदों प्रोफेसर, एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर पर ही निर्धारित होगी। यूजीसी के पत्र के बाद बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग सहित कई विभागों में विभागाध्यक्ष की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। कुलसचिव की तरफ से प्रोफेसर और सीनियर प्रोफेसर पदों को लेकर यूजीसी से निर्देश मांगा गया था।
8 अप्रैल को भेजे गए कुलसचिव के पत्र पर यूजीसी के उप सचिव डॉ. निखिल कुमार का जवाब गुरुवार को मिला। उप सचिव ने स्पष्ट किया है कि सीनियर प्रोफेसर कोई पद नहीं बल्कि वेतनमान का सिर्फ एक एकेडमिक स्तर है। विश्वविद्यालय में सिर्फ तीन पद ही मान्य हैं और वरिष्ठता भी इन्हीं के आधार पर तय होगी। इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से 2017 में दी गई व्यवस्था का भी हवाला दिया गया है। वरिष्ठता क्रम का यह विवाद बीएचयू के कला संकाय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग से उठा था। जब विभागाध्यक्ष का कार्यकाल पूरा होने पर वरिष्ठता और चक्रानुक्रम में सबसे ऊपर प्रो. एमपी अहिरवार की जगह संकाय प्रमुख को विभाग का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। इसके बाद कई अन्य विभागों में भी ऐसे मामले सामने आए थे। प्रो. अहिरवार सहित अन्य शिक्षकों ने इसपर आपत्ति दर्ज कराई थी।
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