एनईपी के पाठ्यक्रमों को विद्वत परिषद की हरी झंडी
बीएचयू में नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रमों को विद्वत परिषद की स्वीकृति मिली। पीएचडी पंजीकरण में बदलाव किया गया है, जिसमें छात्रों को अब दोबारा रजिस्ट्रेशन करना होगा। नए पाठ्यक्रमों में पर्यावरण...
वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। बीएचयू में इस सत्र से शुरू होने वाले नई शिक्षा नीति आधारित पाठ्यक्रमों को विद्वत परिषद (एकेडमिक काउंसिल) की स्वीकृति मिल गई। पीएचडी की पंजीकरण प्रक्रिया में भी बदलाव किया गया। छह साल में शोध पूरा न कर पाने वाले छात्रों को पहले एक्सटेंशन दिया जाता था मगर अब दो साल के लिए इनका दोबारा रजिस्ट्रेशन करना होगा। कुलपति की अध्यक्षता में विज्ञान संस्थान में चार घंटे तक चली मैराथन बैठक में नए पाठ्यक्रम, छात्रवृत्ति, शोध और एनईपी आधारित चार वर्षीय स्नातक कोर्सेज के सिलेबस पर लंबी चर्चा हुई। एनईपी पाठ्यक्रमों के मेजर और माइनर विषयों में पर्यावरण विज्ञान, योग, भारतीय ज्ञान परंपरा, हिंदू अध्ययन जैसे नए विषय जोड़ने और कुछ पुराने विषयों में बदलाव पर सहमति बनी। एनईपी के सभी पाठ्यक्रमों को विद्वत परिषद की स्वीकृति मिल गई। विद्वत परिषद के 245 पेज के एजेंडा में पीएचडी और छात्रवृत्ति भी प्रमुख विषय रहे। तय हुआ कि संबद्ध महाविद्यालयों के सभी अध्यापक एक-एक शोधछात्र के निर्देशक बन सकेंगे। पहले महाविद्यालयों को सिर्फ पांच विद्यार्थियों को शोध कराने की अनुमति दी। जेआरएफ क्वालीफाई न कर पाने वाले शोधछात्रों को महाविद्यालय ही अध्येतावृत्ति प्रदान करेगा। इसी तरह प्रोबेशन काल में भी शिक्षक एक छात्र को शोध करा सकेंगे। शोध के लिए पंजीकृत छात्रों को छह महीने में फीस जमा करनी होगी। ऐसा न होने पर उनका पंजीकरण रद्द माना जाएगा।
विद्वत परिषद की बैठक में अंतरविषयी पाठ्यक्रमों पर भी चर्चा हुई। आईएमएस में नर्सिंग के पाठ्यक्रमों पर भी लंबी चर्चा चली। बीएससी नर्सिंग के साथ एमएससी नर्सिंग कोर्स शुरू करने पर चर्चा हुई। इसके अलावा दो कोर्स करने वालों को अनुमति देने पर भी चर्चा हुई।
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