आईएमएस बीएचयू लेगा कानूनी सलाह
वाराणसी में भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन के दुष्प्रभावों पर शोध करने वाले 11 वैज्ञानिकों और जर्नल पर 5 करोड़ रुपये का मानहानि दावा किया है। आईएमएस बीएचयू के प्रो. शंख शुभ्रमा चक्रवर्ती के नेतृत्व में किए...
वाराणसी, कार्यालय संवाददाता। कोवैक्सीन के दुष्प्रभाव पर शोध करने वाले आईएमएस बीएचयू सहित 11 वैज्ञानिकों और इसे प्रकाशित करने वाले जर्नल पर भारत बायोटेक ने पांच करोड़ रुपये की मानहानि का दावा किया है। इस मामले में आईएमएस बीएचयू अब कानूनी सलाह लेगा। फिर आगे पत्राचार किया जाएगा।
आईएमएस बीएचयू के जीरियाट्रिक विभाग के प्रो. शंख शुभ्रमा चक्रवर्ती सहित 11 वैज्ञानिकों ने कोवैक्सीन के प्रभाव पर शोध किया था। इसमें 1024 लोगों पर परीक्षण किया गया था। इसमें 635 किशोर और 291 वयस्क शामिल थे। शोध में 30 फीसदी से ज्यादा किशोरों और वयस्कों पर दुष्प्रभाव का दावा किया गया था। कंपनी ने इस शोध को ही गलत बताया है और जर्नल ने भी इस शोध को हटा दिया था। कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने 13 सितंबर को जर्नल और बीएचयू के प्रो. शंख शुभ्रा चक्रवर्ती समेत 11 वैज्ञानिकों पर पांच करोड़ की मानहानि का दावा किया है। आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने कहा कि इस मामले में पूर्व में कमेटी गठित की गई थी। शोध के लिए नए प्रोटोकॉल भी आईएमएस में बनाए गए हैं।
आईसीएमआर ने दिया था नोटिस
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मई 2024 में को-वैक्सीन के दुष्प्रभाव को नकार दिया है। इस शोध पर चार सवाल उठाए हैं। शोध करने वाले दो डॉक्टरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। पत्र में कहा कि पेपर में आईसीएमआर की बात को गलत और भ्रामक तरीके से स्वीकार किया गया है।
कमेटी ने उठाए थे सवाल
आईसीएमआर ने इस शोध पर चार सवाल उठाए थे। बाद में आईएमएस बीएचयू ने भी इस मामले में एक जांच कमेटी गठित कर दी थी। कमेटी ने भी आईसीएमआर के चार सवालों को सही माना था। इनमें फोन पर डाटा लेना, अध्ययन में टीकाकृत और गैर-टीकाकृत समूहों के बीच तुलना नहीं होने सहित अन्य सवाल उठाए गए थे। बाद में संबंधित डॉक्टरों ने भी खेद जताया था।
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