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बोले काशीः जुर्माना और धौंस से उबार दें तो फल-फूल उठे अंगड़िया कारोबार

बनारस में अंगड़िया समाज की व्यापारिक स्थिति गंभीर संकट में है। जीएसटी विभाग और पुलिस की मनमानी से परेशान, वे कहते हैं कि उनकी गलतियों के लिए उन्हें दंडित किया जाता है। ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीSun, 17 Nov 2024 05:50 PM
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वाराणसी। जब कूरियर की आज जैसी व्यवस्थित, संगठित सर्विस नहीं थी, ट्रांसपोर्टेशन आज की तरह विकसित नहीं था तब बनारस से दूसरे जिलों को बनारसी साड़ियों, स्वर्णाभूषण आदि की सप्लाई ‘अंगड़िया करते थे। उन्होंने भरोसा एवं ईमानदारी के बल पर व्यापार जमाया। लगभग पांच दशकों की उनकी कारोबारी यात्रा इन दिनों गंभीर पीड़ा से गुजर रही है। उनके मुताबिक वह पीड़ा राज्य जीएसटी विभाग और पुलिस की कार्यशैली से पैदा हुई है। इस पीड़ा से उबर जाएं तो न सिर्फ उनका अस्तित्व बना रहेगा बल्कि उनका कारोबार भी फल-फूल उठेगा। बनारस का अंगड़िया समाज गुजरात-महाराष्ट्र से दशकों पुराने व्यापारिक रिश्ते का भी गवाह है। व्यापार के भी सिलसिले में गुजरात से लोग बनारस आते रहे। यहां के पक्का महाल (चौक क्षेत्र) में गुजरातियों का एक मुहल्ला आबाद हो गया। उसी क्षेत्र में अंगड़ियों ने अपना कारोबार जमाया क्योंकि वह क्षेत्र बनारस का एकमात्र प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। बनारसी साड़ी की प्रसिद्धि में अहम कड़ी अंगड़िया को अब बहुतेरे लोग, यहां तक कि व्यापार जगत की नई पीढ़ी ‘ट्रांसपोर्टर के रूप में जानती-पहचानती है। ये लोग जीएसटी विभाग के सचल दल की मनमानी से परेशान हैं।

चौक स्थित एक प्रतिष्ठान में जुटे अंगड़ियों ने ‘हिन्दुस्तान के साथ चर्चा में कहा कि जहां भी जब जैसी मर्जी हुई, सचल दल धमक पड़ता है और उत्पीड़न करता है। उसकी मनमानी हर रोज दिखती है, जिससे हम आजिज आ गए हैं। मजेदार बात यह है कि ये अंगड़िया जीएसटी में पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें व्यवसायियों की तरह रिटर्न भी नहीं भरना पड़ता लेकिन कभी व्यवसायियों की गलतियों तो कभी पुलिस वालों के कारण सचल दल उनसे जबरन पूछताछ करता है, गाड़ियां जब्त कर ली जाती हैं। जुर्माना लगा दिया जाता है।

माल लोड हुए बिना एक्शन

अंगड़ियों ने उदाहरण के साथ समझाया। शहर में कई जगह ट्रैफिक की गंभीर समस्या रहती है। दुकानों या गोदाम से सामान चढ़ाते या उतारते समय यदि पुलिस वालों ने ट्रक या छोटे मालवाहकों को आगे बढ़ा दिया तो सचल दल की टीम उसे पकड़कर जब्त कर लेता है। वे ट्रांसपोर्टरों से बिना बिल के सामान ले जाने की बात कहकर कार्रवाई करते हैं या पैसे मांगते हैं। सचल दल वालों को दिखाई नहीं देता कि वाहन पर पूरा सामान लोड भी नहीं हुआ है, ट्रांसपोर्टर के हाथ में ई-वे बिल समेत अन्य दस्तावेज मौजूद हैं लेकिन वे कार्रवाई करने पर तुल जाते हैं। हम पर राजस्व चोरी तक का आरोप लगा दिया जाता है।

छोटी भूल पर भारी जुर्माना

बनारसी साड़ी ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अंजनी कुमार मिश्रा ने बताया कि राज्यकर विभाग की सचल दल टीम मानवीय भूलों पर भी भारी जुर्माना लगा रही है। अधिकारियों को हमारी दिक्कतों को समझना चाहिए। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पुनीत धवन एवं महामंत्री राम अग्रवाल ने कहा कि यदि हमारी गलती हो तो कार्रवाई करें लेकिन केवल गलती निकालने का काम न किया जाए। सहायक मंत्री मोती सिंह, ट्रांसपोर्टर रमेश पाण्डेय, राकेश सिंह, संजय कुमार, प्रतीक जैन, स्नेह कुमार सिंह ने भी कहा कि ई-वे बिल बनने के बाद भी पार्टी के बिल पर यदि गलती से मुहर छूट गई तो पूरी गाड़ी जब्त हो जाती है। उन्होंने विभाग के अधिकारियों से गुजारिश की-कार्रवाई के पहले देख लें कि क्या वास्तव में कर चोरी हो रही है या केवल मानवीय भूल हुई है?

एक नग के बिल में कमी, पूरा ट्रक सीज

ट्रांसपोर्टर विनीत शाह, जयप्रकाश, अमित मिश्रा ने बताया कि एक ट्रक में कई व्यापारियों का सामान भेजा जाता है। लेकिन सचल दल के लोग एक दो नग के बिल में कोई कमी मिलने पर पूरा ट्रक जब्त कर देते हैं। इससे दूसरे व्यापारी परेशान हो जाते हैं। चेतगंज में दो-तीन तो कभी चार दिन ट्रक खड़ा हो जाता है, तब समय से डिलीवरी नहीं हो पाती है। इसका कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

पैकिंग के लिए हम जिम्मेदार कैसे?

अंगड़िया राकेश सिंह ने कहा कि व्यापारी हमको सामान पैक करके देते हैं। उसमें क्या सामान है, इसकी जानकारी हमें नहीं होती है। जबकि जीएसटी अधिकारी हमसे उसके बारे में पूछताछ करते हैं। अब हम कैसे उसकी जानकारी दे सकते हैं।

नो व्हीकल जोन की धमकी

अंगड़ियों का कहना है कि पुलिस अक्सर नो व्हीकल जोन के नाम पर परेशान करती है। इससे व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों में चिंता रहती है। उन्होंने सवाल किया आखिर 30 हजार से ज्यादा व्यापारी और पांच लाख लोगों की रिहाइश वाले क्षेत्र को नो व्हीकल जोन कैसे बनाया जा सकता है? यह व्यावहारिक नहीं है। व्यापारियों से विचार विमर्श करके प्रशासन ठोस निर्णय क्यों नहीं ले लेता ताकि रोज की किचकिच न हो। उन्होंने ध्यान दिलाया कि मैदागिन से गोदौलिया के बीच पार्किंग सबसे बड़ी समस्या है। नीचीबाग घंटाघर की जमीन सरकारी है, वहां भूमिगत पार्किंग बनाकर सैकड़ों बाइक की पार्किंग कराई जा सकती है। उसके पीछे राजस्थान सरकार की जमीन है जिसका उपयोग पार्किंग के लिए हो सकता है।

ट्रॉली में सूजा घोंपते हैं, चालक को मारते हैं

मैदागिन से गोदौलिया के बीच ट्रैफिक कंट्रोल के नाम पर पुलिस वाले ट्रॉली चालकों को मारते हैं, धमकाते हैं। जिससे डर के कारण कई ट्रॉली चालक यहां आना नहीं चाहते हैं। पुलिस वाले मनमाने तरीके से अक्सर ट्रॉली के पहियों में सूजा घोंप देते हैं। जबकि वीआईपी गाड़ियों के लिए न तो कोई ट्रैफिक नियम है न ही चालान किया जाता है। जबकि मुश्किल से 40-50 ट्रॉलियां दिनभर में आती जाती हैं और यह जाम का कारण भी नहीं बनती हैं।

शहर के बाहर बसाएं मंडी

ट्रांसपोर्टरों का सुझाव है कि सरकार को शहर के बाहरी इलाके में बनारसी साड़ी व्यवसाय शिफ्ट करना चाहिए। रियायती दर पर जमीन मिले और बुनियादी सुविधाएं दी जाएं। अमरावती, सूरत आदि शहरों में ऐसा हुआ है। अंगड़ियों ने कहा कि हाल के वर्षों में चौक क्षेत्र से साड़ी मंडी बिखरी है। रथयात्रा, महमूरगंज, रवींद्रपुरी, भेलूपुर, लक्सा आदि क्षेत्रों में व्यवसायी चले गए हैं। इससे अब ज्यादा घूमकर सामान लोड करना पड़ता है। इससे लागत बढ़ती है, अधिक समय भी लगता है।

बातचीत-

नो वेहिकल जोन से व्यापारी ही नहीं, हम भी काफी तनाव महसूस करते हैं।

- अंजनी कुमार मिश्रा

व्यापारियों का सामान लादने वाले रिक्शा चालक को प्रशासन प्रताड़ित करता है। वाहन के पहिए को किल से पंचर भी कर दिया जाता है। चालक को लाठी मारकर भगा भी देते हैं।

- पुनीत धवन

पार्किंग नहीं होने से व्यापारियों को सामान लादने और उतारने में दिक्कतें होती हैं। सड़क पर वाहन खड़ा कर सामान लादा जाता है तो प्रशासन चालान कर देती है।

- राम अग्रवाल

एक ट्रक में 40 व्यापारियों का पार्सल आता है। जबकि किसी एक व्यापारी के पार्सल में गड़बड़ी पायी जाती है, तो सभी व्यापारियों का पार्सल प्रशासन जब्त तक लेती है। इससे व्यापारी परेशान होते हैं। - अमित मिश्रा

एक भी पार्सल या वाहन का नंबर मेल पर गलत चढ़ जाता है तो चेकिंग के दौरान सचल दल वाहन रोक देती है। व्यापारियों द्वारा पूरा कागजात दिखाने के बावजूद वाहन को वाहन को नहीं छोड़ती है और चालान कर देती है।

- मोती सिंह

जाम, खराब सड़क के कारण कई बार देर हो जाती है लेकिन सचल दल की टीम इन दिक्कतों को नहीं समझते। ई-वे एक्सटेंशन बिल में भी खामियां हैं।

- स्नेह कुमार सिंह

मैदागिन से गौदोलिया के बीच में 30 हजार व्यापारी एवं 2.50 जनता अपने जीवन का जीविकोपार्जन करती है। प्रशासन की मनमानी करने से उनके सामने तनाव एवं भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

- प्रतीक जैन

कुछ व्यापारी समय पर अपना पार्सल नहीं ले जाती हैं, जिससे पार्सल एक्सापयर हो जाता है और इवे विल में दिक्कते आती हैं। पार्सल वापस ले जाते समय सचल दल के हाथ लग जाने पर चलान हो जाता है। इससे व्यापारियों को पैसा अपनी जेब से भरना पड़ता है।

- राकेश पांडेय

ट्रैफिक पुलिस व्यापारियों के नो पार्किंग बोलकर वाहन को आगे भेज देता है, तभी सचल दल वाले उस वाहन का चालान भी कर देते हैं।

- जयप्रकाश

घंटाघर और बांसफाटक फूल मंडी व घंटाघर के पीछे भूमिगत पार्किंग बनायी जा सकती है। पार्किंग बनने से 30 प्रतिशत तक समस्या का सामाधान हो जाएगा।

- संजय कुमार मोहले

ई-वे बिल में समयसीमा बढ़ानी चाहिए। ऐसा नहीं होने से बड़ी समस्या होती है।

विनीत शाह

पुणे, सूरत, अमरावती की तर्ज पर मंडी से बाहर साड़ी व्यवसाय शिफ्ट किया जाए। रियायती दर पर जमीन मिले।

राकेश सिंह

समस्या

1. राज्यकर विभाग के सचल दल ने तंग कर रखा है। एक व्यापारी के पार्सल में गड़बड़ी पर एक गाड़ी में रखे सभी व्यापारियों का पार्सल जब्त कर देते हैं।

2. मैदागिन से गोदौलिया क्षेत्र में पार्किंग नहीं होने से सामान लादने और उतारने में दिक्कतें होती हैं।

3. पुलिस प्रशासन समय-समय पर नो व्हीकल जोन की घोषणा कर देता है। इससे व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों में चिंता बनी रहती है।

4. व्यापारियों की ओर से ई-वे बिल में कोई गलती की जाती है तो उसका खामियाजा हम भुगतते हैं। जबकि हमारी कोई भूमिका नहीं होती।

5. सचल दल गाड़ियां चेक करने के नाम पर उत्पीड़न करता है। कागजात में व्यापारी की गलती का खामियाजा भी ट्रांसपोर्टरों को भुगतना होता है।

सुझावः

1. राज्यकर विभाग को चाहिए कि जिस पार्सल में गड़बड़ी पायी जाती है केवल उसे जब्त करे। अन्य व्यापारियों के सामानों को छोड़ दे। इससे कारोबार नहीं चौपट होगा।

2. घंटाघर में पार्किंग बनाई जाए। बांसफाटक फूल मंडी में भी जिला प्रशासन पहल करे तो पार्किंग बन सकती है। वहां केयर टेकर कुछ शर्तों के साथ तैयार हैं।

3. पुलिस प्रशासन और व्यापारियों की नियमित रूप से बैठक होनी चाहिए। जो पक्का महाल के हैं या पीढ़ियों से व्यापार कर रहे हैं, उनकी राय ली जाए।

4. किसी दूसरे की गलती की सजा ट्रांसपोर्टरों को नहीं देनी चाहिए। जिससे गलती हुई है उससे पूछताछ करें।

5. राज्यकर विभाग के सचल दल को ट्रांसपोर्टरों की व्यवहारिक दिक्कतों को समझना चाहिए। केवल परेशान करने के लिए काम नहीं करना चाहिए।

बोले अफसर

सचल दल को दिया गया है निर्देश

सचल दल को मानवीय भूलों, व्यावहारिक दिक्कतों पर सख्त कार्रवाई से परहेज करने को कहा गया है। किसी व्यापारी को कोई शिकायत है तो प्रमाण के साथ प्रस्तुत करें। उनके साथ व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाता है। जहां तक उत्पीड़न की बात है, कोई लिखित शिकायत करे तो उसकी जांच कराई जाएगी।

डीएन सिंह, एडिशनल कमिश्नर, राज्यकर विभाग

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