बोले काशीः तीर्थयात्रियों और पर्यटकों में करें फर्क वरना पर्यटन का बेड़ा गर्क हो जाएगा
वाराणसी में विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि हुई है, जबकि पर्यटकों की आमद कम हो रही है। होटल और टूर ऑपरेटर इस स्थिति से चिंतित हैं।
यह अवधारणा बन गई है कि विश्वनाथ धाम बनने के बाद काशी में पर्यटकों और होटल-लॉज की संख्या लगातार बढ़ रही है, होटलों में धनवर्षा हो रही है। टूर ऑपरेटर बम-बम हैं। इसे टूरिज्म ट्रेड से जुड़े लोग ‘अधूरा सच या मिथक मानते हैं। उनके मुताबिक टूरिस्ट नहीं, तीर्थयात्रियों की आमद बढ़ी है। टूरिस्ट तो बिदक रहे हैं। खासकर पैकेज लेकर चलने वाले टूरिस्ट। इसलिए ट्रेड से जुड़े लोगों पर एक डर तारी हो रहा है कि बनारस के होटलों का आगरा जैसा हाल न हो जाए। पिछले एक दशक के दौरान बनारस को पर्यटन मानचित्र पर चमकाने की दृष्टि से जितने भी प्रयास हुए हैं, उससे होटेलियर और टूर ऑपरेटर संतुष्ट नहीं हैं।
उनका कहना है कि उन प्रयासों से धार्मिक पर्यटन में बूम आया है। ज्यादातर लोग दर्शन करने आ रहे हैं, यहां घूमने आने वालों की संख्या कम है। उनकी शिकायत है कि सरकार, शासन और प्रशासन के प्रतिनिधियों ने हमारी व्यावहारिक दिक्कतों, अवरोधों को न तो कभी जानने की कोशिश की और न ही उन्हें दूर करने का प्रयास होता है। यहां तक कि उद्योग बंधु का उन्हें सदस्य तक नहीं बनाया गया है। बावजूद इसके कि होटल-टूर एंड ट्रैवेल्स को भी ‘इंडस्ट्री का दर्जा दिया गया है।
सोनिया (मौलवी बाग) में जुटे उद्यमियों ने टूरिज्म सेक्टर की वस्तुस्थिति पर बेबाक चर्चा की। इनमें वाराणसी होटल एसोसिएशन औेर वाराणसी टूरिज्म गिल्ड से जुड़े लोग भी थे। टूरिज्म गिल्ड में टूर एंड ट्रैवेल्स संचालक भी शामिल हैं। इन दोनों संगठनों के संरक्षक और ‘दी क्लाक् र्स के एमडी उपेन्द्र गुप्ता की (जिम्मेदारों से) टिप्पणी- ‘इस सेक्टर को ‘फ्लरिश होते देखना चाहते हैं तो उसे नियम-कानूनों की जकड़न मुक्त करें। उन्होंने जोड़ा- ‘सरकारी विभागों का रवैया सकारात्मक और सहयोगात्मक होना चाहिए। नोचने की प्रवृत्ति खत्म होनी चाहिए।
नई पर्यटन नीति पर हो वर्कशॉप
होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष गोकुल शर्मा मानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के नाते काशी का कायाकल्प हुआ है। दिव्य काशी की भव्यता बढ़ी है। प्रदेश सरकार की नई पर्यटन नीति की घोषणाएं भी स्वागतयोग्य हैं लेकिन इसका अब तक सीधा लाभ होटेलियर्स को कम हुआ है। इसकी मुख्य वजह यह है कि नई पर्यटन नीति का पर्यटन से संबंधित विभागों-पुलिस, ट्रैफिक, फायरब्रिगेड, नगर निगम और विकास प्राधिकरण-में जानकारी का अभाव है। इन विभागों के लिए भी कार्यशाला होनी चाहिए। इससे पर्यटन हित में उनके आपसी समन्वय की मजबूत भूमिका भी बनेगी। बनारस में दर्शनार्थियों की संख्या बेहिसाब बढ़ी है। तीर्थाटन पर आने वाले आमतौर पर कम बजट वाले होटल-लॉज और धर्मशालाओं को प्राथमिकता देते हैं। होटल उद्यमी विजय मोदी ने कहा कि आप थ्री स्टॉर, फाइव स्टॉर होटलों में घूम लीजिए। हाउसफुल या ठसाठस जैसी स्थिति नहीं है। यहां तक कि देवदीपावली में भी यह स्थिति नहीं बनी है। उद्यमी प्रवीण त्रिपाठी ने कहा कि यही स्थिति गोदौलिया से अस्सी के बीच गंगा के तटवर्ती होटलों की भी है।
विदेशी पर्यटकों से ही जीडीपी ग्रोथ
उपेन्द्र गुप्ता मानते हैं कि टूरिज्म सेक्टर के जरिए जीडीपी ग्रोथ विदेशी पर्यटक से ही संभव है। देवदीपावली जैसा पर्व या कोई विशिष्ट आयोजन इस सेक्टर के लिए एक पड़ाव होता है जब आम दिनों की अपेक्षा होटलों में बुकिंग अधिक होती है। यह एक कटु सच्चाई है कि शुरुआती वर्षों में विदेशी पर्यटकों में देवदीपावली का जो आकर्षण होता था और वे खिंचे चले आते थे, वैसा इधर कुछ वर्षों से नहीं दिख रहा है। उनका ग्राफ गिरा है। इसके लिए वह स्थानीय वजहों को भी जिम्मेदार मानते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर चार या गोदौलिया तक पर्यटकों के वाहनों-बसों की समयावधि सुबह नौ बजे तक होनी चाहिए। अभी सुबह आठ बजे तक वाहनों को अनुमति है लेकिन पुलिस सात बजे से ही रोकटोक शुरू कर देती है। इससे उद्यमी आशीष साहू, अखिलेश त्रिपाठी भी सहमत दिखे।
नमो घाट की ओर प्रतिबंध क्यों
वाराणसी टूरिज्म गिल्ड के अध्यक्ष संतोष कुमार सिंह, महासचिव अनिल त्रिपाठी ने कहा कि गोदौलिया-मैदागिन क्षेत्र में रोकटोक की वजह हम एक बार क्राउड या ट्रैफिक प्रेशर को मान सकते हैं। इसका विकल्प नमो घाट है। वहां पार्किंग स्पेस भी है लेकिन ट्रैफिक पुलिस गोलगड्डा चौराहे से आगे टूरिस्ट वाहनों को जाने नहीं देती। पदाधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में हम कमिश्नर, पुलिस कमिश्नर से लेकर पुलिस उपायुक्त-ट्रैफिक तक से लिखित अनुरोध कर चुके हैं। उन्हें बता चुके हैं कि नमो घाट से रविदास घाट तक मोटर बोट-नावों के जरिए पर्यटकों के आवागमन की व्यवस्था हो जाए तो बीच शहर का ट्रैफिक लोड कम हो सकता है। नाविकों को भी फायदा होगा। पर्यटक ललिता, दशाश्वमेध या अस्सी घाट से शहर के प्रमुख स्थलों का भ्रमण भी कर सकते हैं।
विदेशी को नहीं टोकते, देशी को छोड़ते नहीं
उद्यमियों ने बताया कि बनारस से पैकेज लेकर चलने वाले पर्यटक क्यों बिदक रहे हैं? क्यों अक्सर वे अपने अनुभवों की अभिव्यक्ति ‘बैड फीलिंग की टिप्पणी के साथ कर रहे हैं?
संतोष कुमार सिंह, सौरभ पांडेय और अनिल त्रिपाठी ने कहा कि पर्यटकों को किसी शहर में टूर ऑपरेटर ही पहुंचाते हैं। आमतौर पर नई दिल्ली से तय होता है कि देशी-विदेशी पर्यटकों को भारत के किन-किन पर्यटन स्थलों की यात्रा करनी है। उनका पैकेज तय होता है। उसके अनुसार संबंधित सर्किट के टूर ऑपरेटर को मैसेज मिलता है। वही उनके लोकल यात्रा प्रबंधक होते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे पर्यटक दिल्ली, जयपुर, आगरा होते हुए बनारस शहर की सीमा पर पहुंचते हैं तो यही उन्हें बैड फीलिंग होती है। ट्रैफिक पुलिस विदेशी पर्यटकों की बस या दूसरे वाहनों को नहीं रोकती लेकिन पर्यटक के रूप में यदि भारतीय, श्रीलंका, नेपाल के नागरिक बैठे दिखते हैं तो उनके वाहनों को सुबह सात बजे के बाद शहर में प्रवेश से रोक दिया जाता है। ऐसा शिवपुर-रोहनिया बाइपास पर अक्सर होता है। वहां से टूर ऑपरेटर अपने खर्च पर टूरिस्टों को ई-रिक्शा, ऑटो या टैक्सी से होटलों तक पहुंचाते हैं। ट्रैफिक पुलिस को लाख समझाएं कि ये तीर्थयात्री नहीं हैं लेकिन चेहरा देखकर पुलिस कुछ सुनने को तैयार नहीं होती। सुझाव आया कि सुबह नौ बजे तक संस्कृत विश्वविद्यालय तक टूरिस्ट वाहनों को आने की अनुमति मिलनी चाहिए। वहां पार्किंग के लिए जगह भी है।
खजुराहो के लिए भी एक वंदेभारत
संतोष सिंह, विजय मोदी, आशीष साहू, रवि अरोड़ा आदि ने ध्यान दिलाया कि बनारस से खुजराहो के बीच अभी बेहतर परिवहन सुविधा नहीं है। अभी एक विमान चलता है दोनों शहरों के बीच। वह भी नियमित नहीं है। ज्यादातर पर्यटक सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं जो थकाऊ हो जाती है। इसे देखते हुए बनारस से खजुराहो के बीच भी एक वंदेभारत ट्रेन चलनी चाहिए। होटल उद्यमी और टूर ऑपरेटर इस संबंध में रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड को ज्ञापन देने की तैयारी में हैं।
एनओसी के नाम पर शोषण
प्रमुख उद्यमी सन्नी जौहर, वेंकटेश कुमार, आलम, पुरुषोत्तम अग्रवाल, विकास जायसवाल, प्रवीण त्रिपाठी ने बताया कि स्थानीय स्तर पर विभाग नई पर्यटन नीति में किस तरह पलीता लगा रहे हैं। उन्होंने उदाहरणों के साथ कहा कि फायर ब्रिगेड, वीडीए, खाद्य सुरक्षा जैसे विभागों से एनओसी लेना टेढ़ी खीर है। वहां खुलेआम शोषण हो रहा है। इस रवैये से होटल उद्यमी हतोत्साहित हो रहे हैं। गंगा किनारे 200 मीटर के दायरे में पुराने भवनों की मरम्मत के संबंध में नियम शिथिल हो गए हैं लेकिन अधिकारी-कर्मचारी किसी न किसी बहाने अनुमति देने में रोड़ा अटका देते हैं। प्रवीण त्रिपाठी का कहना था कि व्यावहारिक स्तर पर नीति का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। विकास जायसवाल, आलम, हर्षित ने बताया कि इन दिनों होम स्टे की शहर में आंधी चल पड़ी है क्योंकि उसके नियम आसान हैं, अधिक खर्च नहीं हैं। सरकार की ओर से होम स्टे के बाबत पर्यटन आदि विभागों को स्पष्ट निर्देश भी है कि आवेदन अनावश्यक लंबित न किए जाएं। दर्जनों लोगों ने लोन लेकर होम स्टे के लिए आवेदन किया है मगर विभागों का रवैया सहयोगात्मक नहीं है। इन दिनों यूपी टूरिज्म में होम स्टे के लगभग तीन हजार आवेदन लंबित हैं।
ताजनगरी के पांच सितारा होटल दो हजार में कर रहे कमरे की बुकिंग
बनारस में होटलों की नई शृंखला बन रही है। पिछले तीन-चार वर्षों में छोटे और मध्यम स्तर के दो सौ से अधिक होटल-लॉज खुल चुके हैं। अखिलेश त्रिपाठी ने आंकड़ा दिया कि अक्तूबर में बनारस में छोटे-बड़े होटलों की संख्या 574 तक पहुंच गई है। लॉज और धर्मशालाओं की संख्या जोड़ेंगे तो वह संख्या लगभग डेढ़ हजार होगी। थ्री से लेकर सेवन स्टॉर वाले लगभग 20 होटलों के प्रस्ताव पाइप लाइन में हैं। अगले छह-सात माह में शहर, रिंग रोड और नेशनल हाईवे पर 200 नए होटल खुलने की तैयारी है। उद्यमियों के मुताबिक नए होटल हाईफाई या उच्च आयवर्ग वाले पर्यटकों को ध्यान में रखकर खुलने जा रहे हैं जबकि मौजूदा ट्रेंड और व्यवस्था देख नहीं लगता कि निकट भविष्य में उम्मीद के मुताबिक पर्यटक आएंगे। फिर क्या होगा? उन्होंने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व आगरा में भी ऐसा ही माहौल था। धड़ाधड़ होटल खुलते गए। आज पांच सितारा होटल दो-दो हजार रुपये में ही अपने कमरों की बुकिंग कर रहे हैं क्योंकि उन्हें अपने जरूरी खर्च तो निकालने ही हैं। उपेन्द्र गुप्ता की टिप्पणी थी-‘ओवर सप्लाई ऑफ रूम्स भी ठीक नहीं है।
सुझाव
1. टूरिज्म इंडस्ट्री में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए नियम-कानून सरल किए जाएं और उनका व्यावहारिक स्तर पर सही ढंग से क्रियान्वयन हो
2. नई पर्यटन नीति के अनुरूप पर्यटन समेत सभी विभागों में सही तालमेल हो। विभागीय अफसरों का एप्रोच सकारात्मक और सहयोगात्मक होना चाहिए
3. पर्यटकों के वाहनों को देशी-विदेशी के आधार पर न रोका जाए। उनके लिए नो एंट्री की अवधि सुबह सात बजे की जगह नौ बजे तक की जाए।
4. नमो घाट को बनारस में पर्यटन का मेन डेस्टीनेशन प्वाइंट बनाया जाय। इससे बौद्ध सर्किट के तहत सारनाथ आने वाले पर्यटकों को भी सहूलियत होगी।
5. होटल उद्यमियों और टूर ऑपरेटरों के साथ प्रशासन की समन्वय समिति बने। उसकी मासिक बैठक हो ताकि समय-समय पर पैदा होने वाली समस्याओं का समाधान हो सके
शिकायतें
1. नियम-कानूनों की जकड़न और अफसरों का अव्यावहारिक रवैया हतोत्साहित करता है। वे शोषण करते हैं।
2. नई पर्यटन नीति की ज्यादातर विभागो को अब तक पूरी जानकारी नहीं हैं। वे पुरानी मानसिकता से काम कर रहे हैं। तालमेल भी नहीं है।
3. चेहरे देखकर शहर के एंट्री प्वाइंट पर ट्रैफिक पुलिस पर्यटकों के वाहन रोकती है। इसका बनारस की छवि पर गलत असर पड़ रहा है।
4. नमो घाट की ओर पर्यटकों के वाहन ले जाने पर रोक का प्रशासन औचित्य नहीं बताता।
5. विभागीय और प्रशासनिक अधिकारी टूरिज्म को इंडस्ट्री नहीं मानते। इसलिए कभी खोज-खबर नहीं लेते।
सुबह 4 से आठ बजे तक रोक-टोक नहीं
विदेशी या फिर पर्यटन विभाग से संबंधित टूरिस्ट बसों को ट्रैफिक विभाग से अनुमति के बाद एक-एक कर नमो घाट तक ही जाने दिया जा रहा है। ऐसा इसलिए कि शहर में जाम न लगे। इनके लिए भी भोर में 4 से सुबह 8 बजे तक का समय निर्धारित है। वहीं टेंपो ट्रैवलर के लिए कोई रोक-टोक नहीं है। जब कभी यातायात डायवर्जन रहता है, तभी उनके लिए भी प्रतिबंध रहता है। लहुराबीर, चेतगंज में जब कभी वाहनों का दबाव अधिक होता है या फिर जाम की स्थिति बनती है तभी इसे नियंत्रित करने के लिए एक-दो घंटे के लिए प्रतिबंध लगाया जाता है।
राजेश पाण्डेय, एडीसीपी ट्रैफिक
देवदीपावली के बाद पुलिस संग बैठक में उठाएंगे मुद्दे
टूरिस्ट वाहनों और आम यात्रियों के वाहनों में फर्क करना जरूरी है। ट्रैफिक पुलिस के साथ इस मुद्दे पर देवदीपावली के बाद बैठक करके मुद्दों को रखा जाएगा। पहले की तरह टूरिस्ट बसों को सुबह विभिन्न स्थानों पर जाने की अनुमति देने की व्यवस्था लागू कराई जाएगी। वाराणसी में टूरिज्म बढ़ाने के लिए यूपी पर्यटन विभाग नियमित रूप से संवाद बनाए रखेगा।
आरके रावत, उप निदेशक यूपी पर्यटन
उद्योग बंधु में टूरिज्म सेक्टर को शामिल करेंगे
बनारस में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होटल एवं ट्रैवेल सेक्टर से जुड़े व्यवसायियों की समस्याओं का समाधान होना जरूरी है। उद्योग बंधु की बैठकों में इस सेक्टर की आवाज को शामिल कराया जाएगा। होटल एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल की ओर से लिखित आवेदन मिलने पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।
उमेश कुमार सिंह, संयुक्त आयुक्त उद्योग विभाग
हमारी भी सुनें
तीर्थयात्री और पर्यटक में फर्क करना होगा। उसके मुताबिक नीति तय करनी होगी। तभी बनारस का पर्यटन फ्लरिश करेगा।
-उपेन्द्र गुप्ता
नई पर्यटन नीति के बाबत विभागों के लिए वर्कशॉप होना जरूरी है। इससे उनमें तालमेल भी बढ़ेगा।
-गोकुल शर्मा
ट्रैफिक पुलिस का एप्रोच कष्टदायक है। इससे टूरिस्टों के मन में शहर की छवि खराब होती है।
-संतोष कुमार सिंह
फायर ब्रिगेड आदि विभागों में एनओसी के नियम जानबूझ कर जटिल बना दिए जाते हैं। यह गलत है।
-सनी जौहर
गोदौलिया तक टूरिस्ट वाहनों के आने की अवधि सुबह आठ बजे की जाए। उसके पहले पुलिस रोकटोक न करे।
-आशीष साहू
यूपी टूरिज्म में होम स्टे के लंबित आवेदनों का जल्द निस्तारण नहीं हो रहा है। सैकड़ो आवेदक परेशान हैं।
-अनिल त्रिपाठी
गोदौलिया से सोनारपुरा के बीच के होटलों के लिए भी व्यावहारिक ट्रैफिक नियम होने चाहिए।
-अखिलेश त्रिपाठी
गंगा में नौकाओं पर नियंत्रण जरूरी है। कई घाटों पर दैनिक स्नान प्रभावित हो रहे हैं।
-प्रवीण त्रिपाठी
ट्रैवेल एजेंसियों के लिए भी कड़े मानक तय होने चाहिए। उनकी समय-समय पर जांच भी हो।
-सौरभ पांडेय
हम एक ओर उत्साहित तो दूसरी ओर आशंकित हैं कि कहीं आगरा जैसा हाल न हो जाए।
-विजय मोदी
टूर ऑपरेटर और निजी बस संचालकों में प्रशासन को फर्क करना होगा। दोनों के लिए एक मानक नहीं हो सकता।
-रवि अरोड़ा
उद्योग बंधु की बैठकों में होटल उद्यमियों, टूर ऑपरेटरों को भी बुलाया जाए। उनकी समस्याएं सुनी जाएं।
-कृष्णा मोदी
शहर में सुगम ट्रैफिक के लिए प्रयोग अब बंद होना चाहिए। अब ठोस नीति बने और क्रियान्वित हो।
-वेंकटेश कुमार
होटलइंडस्ट्री में स्टार्टअप के लोकल प्रोग्राम भी शुरू होने चाहिए। इससे युवा इंटरप्रेन्योर को मौका मिलेगा।
-कृष्णा मोदी
प्रस्तुतिः आशुतोष पांडेय/वाचस्पति उपाध्याय
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