कुलपति के बाद लोकपरंपरा निभाएंगे वाचस्पति
वाराणसी के श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में टेढ़ीनीम महंत आवास से जुड़ी सभी वार्षिक परंपराएं पूर्ववत जारी रहेंगी। महंत डॉ. कुलपति तिवारी के निधन के बाद उनके पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने इन परंपराओं को...
वाराणसी, मुख्य संवाददाता। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में टेढ़ीनीम महंत आवास से जुड़ी सभी वार्षिक लोक परंपराएं पूर्व की तरह चलती रहेंगी। टेढ़ीनीम महंत आवास से श्रावण पूर्णिमा के साथ ही अन्नकूट पर्व और रंगभरी एकादशी की पंरपराओं निभाई जाती है। मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी का पिछले महीने गोलोकवास होने के बाद ये सभी परंपराएं वंश क्रमानुसार उनके पुत्र अंक शास्त्री पं. वाचस्पति तिवारी निभाएंगे।
शनिवार को टेढ़ीनीम महंत आवास (गौरा-सदनिका) पर शनिवार को आयोजित पत्रकारवार्ता में पं. वाचस्पति तिवारी ने बताया की मंदिर की स्थापना काल से ही मेरे पूर्वजों के साथ ही परपितामह पं. महाबीर प्रसाद तिवारी, पितामह पं. कैलाशपति तिवारी के बाद मंदिर का सरकार द्वारा अधिग्रहण होने के बाद भी काशीवासियों के लिए मेरे पिता डॉ. कुलपति तिवारी जिस तरह से परंपराओं को तमाम संघर्षों के बावजूद करते रहे, उनका अनुसरण करते हुए उसका निर्वाह मेरे द्वारा किया जाएगा। विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास से जुड़ी हर परंपरा काशीवासियों की अपनी परंपरा है। काशीवासियों के सहयोग से सभी परंपराओं का निर्वाह पूर्ववत किया जाता रहेगा। श्रावण पूर्णिमा पर काशीपुराधिश्वर बाबा विश्वनाथ को सपरिवार झूला पर विराजमान कराने की परंपरा का निर्वाह किया जाएगा। 19 अगस्त को बाबा के झूलनोत्सव पर महंत आवास से काशी विश्वनाथ मंदिर तक पालकी यात्रा परंपरागत तरीके से निकाली जाएगी। इससे पूर्व टेढ़ीनीम स्थित मंहत आवास बाबा भक्तों को दर्शन देंगे। पं. वाचस्पति तिवारी ने बताया कि जिस तरह से मेरे पूर्वजों ने मंदिर से जुड़ी परंपराओं का निर्वाह किया, उसी क्रम में विश्व कल्याण की कामना से बाबा विश्वनाथ के झूलनोत्सव की परंपरा का निर्वाह किया जाएगा। श्रावण पूर्णिमा पर बाबा की पंचबदन सपरिवार प्रतिमा को विश्वनाथ मंदिर में झूले पर विराजमान कराये जाने के पहले मंहत आवास पर बाबा का झांकी दर्शन होगा। टेढ़ीनीम स्थित श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ की पंचबदन प्रतिमा का विधि-विधान पूर्वक पूजन अर्चन किया जाएगा। महंत आवास पर मध्याह्न 12:00 बजे से सायं चार बजे तक झांकी दर्शन होंगे। इस दौरान शिवांजलि के अंतर्गत भक्ति संगीत का कार्यक्रम होगा।
इसके उपरांत परंपरानुसार मंदिर के अर्चक और महंत परिवार के सदस्य बाबा की पंचबदन प्रतिमा को सिंहासन पर विराजमान करके टेढ़ीनीम से साक्षी विनायक, ढुंढिराज गणेश, अन्नपूर्णा मंदिर होते हुए विश्वनाथ मंदिर तक ले जाएंगे। इस दौरान बाबा का विग्रह श्वेत वस्त्र से ढंका रहेगा। श्रावण पूर्णिमा (19 अगस्त) पर मंदिर की स्थापना काल से चली आ रही लोक परंपरा के अंतर्गत बाबा को माता पार्वती और भगवान गणेश के साथ झूले पर विराजमान कराया जाएगा। काशी विश्वनाथ मंदिर में झूलनोत्सव सायंकाल साढ़े पांच बजे के बाद आरंभ होगा। दीक्षित मंत्र से पूजन के बाद सर्वप्रथम गोलोकवासी महंत डॉ. कुलपति तिवारी के पुत्र और महंत परिवार के सभी सदस्य बाबा को झूला झुलाएंगे। महंत आवास पर होने वाले आयोजन के लिए शहर के कई गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया गया है। इनमें जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं।
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