6-जी नेटवर्क के ट्रायल पर मंथन करेंगे कम्युनिकेशन विशेषज्ञ
Varanasi News - वाराणसी में आईआईटी बीएचयू में 6-जी नेटवर्क की लॉन्चिंग के लिए कम्युनिकेशन विशेषज्ञ दो से छह दिसंबर तक चर्चा करेंगे। इस नेटवर्क से नेटवर्क छूटने की समस्या खत्म होगी और सुविधाएं बढ़ेंगी। क्वांटम संचार...
वाराणसी, संवाददाता। देश में 6-जी नेटवर्क की लांचिंग के लिए आईआईटी बीएचयू में दो से छह दिसंबर तक कम्युनिकेशन विशेषज्ञ मंथन करेंगे। वह नेटवर्क ट्रायल से जुड़ी अन्य तैयारियों के साथ इसे लागू करने में आने वाली चुनौतियां और उसके समाधान पर चर्चा करेंगे। इससे उम्मीद है कि आगामी दिनों में अमेरिका, फिनलैंड, जापान, चीन और यूरोपियन यूनियन के कई देशों की तरह भारत में मोबाइल और इंटरनेट की छठवीं पीढ़ी का नेटवर्क काम करने लगेगा। आईआईटी बीएचयू में 6जी वायरलेस कम्युनिकेशन पर रिसर्च हो रहे हैं। यहां के वैज्ञानिक राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे हैं। 6-जी आने से देश में बड़ा बदलाव होगा। इससे ना सिर्फ सुविधाएं बढ़ेंगी बल्कि नेटवर्क छूटने की समस्या, एक सिम से कई काम और किसी भी सर्विस को आसानी से लागू किया जा सकेगा। इस नेटवर्क में क्वांटम संचार का इस्तेमाल किया जा सकता है। वर्तमान में देश में 5-जी नेटवर्क का प्रयोग हो रहा है। सम्मेलन में यूके के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के प्रो. थर्म, प्रो. मैथिनी शामिल होंगी। सम्मेलन आईआईटी बीएचूय के इलेक्ट्रानिक्स विभाग के डॉ. संजीव शर्मा और डॉ. अमृतांशु पांडेय के नेतृत्व में आयोजित हो रहा है।
खत्म होगी नेटवर्क छूटने की समस्या
6-जी वायरलेस कम्युनिकेशन में नेटवर्ट छूटने की समस्या खत्म हो जाएगी। अभी इंसान हो एक से दूसरे स्थान पर जाने में नेटवर्क बदलना पड़ता है। इसके साथ नेटवर्क छूटने की समस्या आती है। लेकिन 6-जी इस समस्या का पूर्णतया समाधान करेगा। इस नेटवर्क के माध्यम से लोग हमेशा कनेक्टेड रह सकते हैं। किसी भी सर्विस को लागू करने में आसानी होगी। इससे देश में ड्राइवर रहित कार, स्मार्ट सिटी इन्फ्रा, स्मार्ट ट्रैफिक, डिफेंस पर काम पहले से तेज और आसान हो जाएगा।
सामने बैठ के बात करने का होगा अहसास
वर्तमान में हम जो वीडियो देखते हैं वो टू डायमेंशलन (दो आयामी) होता है। इसमें किसी भी व्यक्ति के दो हिस्से को देख सकते हैं। 6-जी नेटवर्क आने के बाद किसी भी चीज की गहराई देखी जा सकेगी। बात करने पर ऐसा महसूस होगा कि इंसान सामने बैठके बात कर रहा है। इस प्रक्रिया को होलोग्राफी कहते हैं। जिसमें सामने बैठ के बात करने का अहसास होता है।
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