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सतीश व्यास के संतूर ने झंकृत किया मन

Varanasi News - वाराणसी में 34वें शिवरात्रि संगीत महोत्सव का शुभारंभ हुआ। इस महोत्सव की पहली प्रस्तुति प्रसिद्ध संतूर वादक पं. सतीश व्यास ने दी। उन्होंने राग मालकौंस का प्रदर्शन किया। इसके बाद कई कलाकारों ने विभिन्न...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीWed, 26 Feb 2025 04:39 AM
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सतीश व्यास के संतूर ने झंकृत किया मन

वाराणसी,मुख्य संवाददाता। शहनाई की मंगल ध्वनि के साथ 34वें शिवरात्रि संगीत महोत्सव का शुभारंभ हुआ। आध्यात्मिक गुरु रमेश भाई ओझा ‘भाईश्री के सानिध्य में शुरू हुए संगीत महोत्सव की पहली निशा मुम्बई से आये ख्यात संतूर वादक पद्मश्री पं. सतीश व्यास के नाम रही।

पं. सतीश व्यास ने राग मालकौंस की अवतारणा की। आलाप के आरोही-अवरोही सुरों से मेलजोल बढ़ाते हुए जोड़ से वादन को विस्तार दिया। झाला वादन हमेशा की तरह लाजवाब रहा। वादन में मीड़ और गमक का काम विशेष रूप से प्रभावित करने वाला रहा। दुर्गाकुण्ड स्थित श्रीहनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में सेठ किशोरी लाल जालान सेवा ट्रस्ट की ओर से महोत्सव का शुभारंभ जवाहर लाल एवं साथियों के शहनाई वादन से हुआ।

उन्होंने शहनाई पर राग यमन, तीन ताल में बंदिश सुनाई। उसके बाद होली की धुन एवं अंत में राग मिश्र खमाज में दादरा की प्रस्तुति दी। प्रस्तुतियां दी। उनके साथ तबला पर नंद किशोर मिश्रा, हारमोनियम पर अशोक झा एवं मंगल प्रसाद, दुक्कड़ पर मंगल प्रसाद, सह शहनाई पर रोशन अली, राजेश कुमार एवं मोहन ने संगत दी। दूसरी प्रस्तुति नवोदित कलाकार अरिका क्याल एवं ऋचा जालान का कथक रही। उन्होंने शिव वंदना एवं विष्णु वंदना से शुभारंभ किया। उसके पश्चात आमद, तोड़ा, टुकड़ा, परन और फिर 25 चक्कर से समापन किया।

उनके बाद भावना क्याल ने राग किरवानी में निबद्ध बिरजू महाराज की रचना पर भावनृत्य किया। दादरा ‘बिहारी को अपने बस कर पाऊं पर नृत्य ने मुग्ध कर दिया। अंत मे तीनों ने होली गीत पर अभिनय प्रधान नृत्य से समापन किया। उनके साथ बोल पढंत पर गुरु संगीता सिन्हा, तबला पर पं. किशोर मिश्रा, हारमोनियम पर आनन्द किशोर मिश्रा, सितार पर मितेश मिश्रा ने संगत की।

तीसरी प्रस्तुति उपशास्त्रीय गायक भगीरथ जालान की रही। उन्होंने राग हंसध्वनि में छोटा ख्याल ‘जय दुर्गे जगदम्बे भवानी एवं तराना से आरंभ किया। दादरा ‘बैरन घर ना जा के बाद उन्होंने भजन ‘शिव कैलाशों के वासी, केवट संवाद ‘देना है तो दीजिए जनम-जनम का साथ से समापन किया। उनके साथ तबला पर पं. ललित कुमार, हारमोनियम पर उज्ज्वल साहनी, बांसुरी पर ऋतिक शुक्ला, तानपुरा पर वी. श्रीदेवी श्रवानी ने संगत की।

इसके पूर्व महोत्सव का शुभारंभ संत रमेश भाई ओझा ने दीप जलाकर किया। कलाकारों का स्वागत केशव जालान एवं कृष्ण कुमार जालान ने किया। इस मौके पर अशोक अग्रवाल, अतुल डिडवानिया आदि उपस्थित रहे। संचालन सौरभ चक्रवर्ती ने किया।

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