18 बालिकाओं को बालिका वधु बनने से बचाया

पुलिस और बाल संरक्षण विभाग ने जनवरी 2020 से अब तक कुल 18 बेटियों को 'बालिका वधु' बनने से बचाया है। सभी बच्चियां जनपद के देहात क्षेत्रों से हैं,...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीMon, 22 Feb 2021 09:40 PM
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वाराणसी। कार्यालय संवाददाता

पुलिस और बाल संरक्षण विभाग ने जनवरी 2020 से अब तक कुल 18 बेटियों को 'बालिका वधु' बनने से बचाया है। सभी बच्चियां जनपद के देहात क्षेत्रों से हैं, जिनके घरवाले किसी की 14 साल तो किसी की 17 साल की उम्र में शादी करने की तैयारी में थे। सही समय पर सूचना मिलने के बाद न केवल शादी रुकवाई गई, बल्कि घरवालों को हिदायत भी दी गई।

11 नवंबर, 2020 को चोलापुर के एक गांव में 17 साल की किशोरी की शादी आगरा के मलपुरा के अजीजपुर निवासी एक युवक से तय थी। रात में बारात आने के बाद दोनों पक्षों के लोगों की मौजूदगी में विवाह की रस्म संपन्न हो रही थी। इसी समय किसी ने पुलिस को सूचना दी। फिर सीडब्ल्यूसी और पुलिस की मदद से किशोरी की शादी रोकी गई। पुलिस ने मां-पिता से शपथ पत्र भरवाया। कहा कि जब बेटी बालिग जो जाये तो इसी लड़के से शादी करा दी जाए।

30 जनवरी 2021 को मिर्जामुराद के एक गांव में 15 वर्ष 9 माह की किशोरी का विवाह हरियाणा के सोनीपत जनपद के लड़के से कराया जा रहा था। सूचना पर जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम पहुंची। शादी रुकवा दी गई। 18 वर्ष पूरे होने तक बालिका के विवाह नहीं करने की माता पिता तथा घरवालों को हिदायत दी गई।

सबसे अधिक चोलापुर और चौबेपुर में मामले सामने आये

जिन 18 मामलों में शादी रुकवाई गई है, इसमें आधे चोलापुर और चौबेपुर क्षेत्र के हैं। बाकी रोहनिया, मिर्जामुराद, सिंधोरा, जंसा, कपसेठी क्षेत्र के हैं। ग्रामीण क्षेत्र में अब भी बाल-विवाह को लेकर परिवार के लोग जागरूक नहीं हैं।

लड़के वाले पश्चिमी यूपी या हरियाणा के

जितने भी मामले सामने आये हैं, उनके लड़के पक्ष या तो पश्चिमी यूपी के मेरठ, मुरादाबाद, आगरा, बागपत आदि शहरों का था, या फिर हरियाणा के विभिन्न जनपदों का। हर मामले में लालच देकर लड़की से शादी करने की बात सामने आई है। दहेज न लेने की बात थी, या फिर रुपये देकर शादियां हुईं।

हर 15 दिन पर लेंगे फीडबैक

बाल संरक्षण अधिकारी निरुपमा सिंह ने बताया कि बाल विवाह के जो भी मामले सामने आते हैं, शादी रुकवाने के साथ ही बच्ची के बालिग होने तक शादी न करने के लिए मां-पिता से शपथ-पत्र भरवाया जाता है। साथ ही हर 15 दिन पर बच्ची के बारे में जानकारी ली जाती है।

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