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UPPCS: पुलिस की एक हरकत ने मजबूत की युवाओं की एकजुटता, छात्राओं से छीनाझपटी के बाद पहुंचा हुजूम

प्रयागराज में यूपीपीसीएस और आरओ एआरओ परीक्षा अलग-अलग शिफ्ट में कराने के खिलाफ गांधीवादी तरीके से आंदोलन कर रहे प्रतियोगी छात्रों की जीत की राह पुलिस की एक हरकत ने आसान कर दी।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, प्रयागराजThu, 14 Nov 2024 10:41 PM
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प्रयागराज में यूपीपीसीएस और आरओ एआरओ परीक्षा अलग-अलग शिफ्ट में कराने के खिलाफ गांधीवादी तरीके से आंदोलन कर रहे प्रतियोगी छात्रों की जीत की राह पुलिस की एक हरकत ने आसान कर दी। गुरुवार सुबह तकरीबन पौने आठ बजे भारी फोर्स के साथ सादे कपड़ों में पहुंचे कुछ पुलिसवाले पहले दिन से धरने पर डटे छात्रों आशुतोष पांडेय, राजन त्रिपाठी, अमरेन्द्र त्रिपाठी और आकाश सिंह को जबरन उठाने की कोशिश करने लगे। इस पर छात्राओं ने छात्रों को घेर लिया। छात्रों का कहना है कि बगैर महिला सिपाहियों के सादी वर्दी में पहुंचे पुलिसवालों की छात्राओं से भी छीनाझपटी हुई।

इसके चलते बरेली की दिव्यांग छात्रा गौरी को पैर में चोटें भी आईं। इस खींचतान के बाद पुलिसवाले आशुतोष और राजन आदि को तो लेते गए पर आंदोलन कर रहे छात्रों का हौसला कम नहीं हुआ। गौरी के साथ बैठी भदोही की निधि, मऊ की शालू यादव और प्रिया को भी चोटें आईं। ये सभी छात्राएं बुरी तरह से दहशत में थीं इनकी आंखों में आंसू भरे हुए थे लेकिन इसके बावजूद कोई वहां से हटने को तैयार नहीं था। छात्राओं का दो टूक कहना था कि चाहे गोली मार दी जाए लेकिन जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती वहां से नहीं हटेंगी।

वाट्सएप ग्रुप और सोशल मीडिया के जरिए इस घटना की जानकारी हॉस्टल और डेलीगेसी के प्रतियोगी छात्रों को हुई तो वे आयोग पहुंच गए। देखते ही देखते हजारों प्रतियोगियों की भीड़ जमा हो गई, जिन्हें रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेडिंग की पर उसे तोड़ छात्र धरनास्थल पर चले आए। बैरिकेडिंग तोड़ते वक्त छात्रों और पुलिस के बीच हुई रस्साकस्सी का वीडियो तेजी से वायरल हुआ, यहीं से प्रशासन को अहसास हो गया कि छात्रों का धरना खत्म होने वाला नहीं है। फिर फोर्स बढ़ाकर आयोग के अध्यक्ष को आयोग बुलाया गया और निर्णय वापस लेने की घोषणा कर दी गई।

नेतृत्व न होने से और मजबूत हो गया आंदोलन

प्रयागराज। इस आंदोलन की सबसे खास बात यह थी कि इसका कोई नेतृत्वकर्ता नहीं था। आयोग के गेट पर जुटे हजारों छात्रों में से प्रत्येक के लिए यह उनकी अपनी लड़ाई थी। यही कारण है कि पुलिस वाले भी नहीं समझ पा रहे थे कि किसे उठाने से धरना समाप्त होगा। एक छात्र को उठाते तो सौ चेहरे सामने आ जाते।

गुरुवार को भी यही माहौल था। जब आशुतोष पांडेय को उठाकर ले गए तो छात्रों ने ऐलान कर दिया कि एक आशुतोष को लेकर जाओगे तो 25 हजार आशुतोष खड़े हो जाएंगे। डीएम रविन्द्र कुमार ने सोमवार की रात लगभग 11 बजे, मंगलवार सुबह तकरीबन 10.45 बजे और बुधवार रात 11 बजे तीन बार आंदोलन स्थल पर पहुंचकर आंदोलन समाप्त करने की अपील की लेकिन छात्रों ने इनकार कर दिया।

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