Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़UP sought 6 lakh metric tonnes DAP from Centre Agriculture Minister Shahi met Union Minister Nadda regarding sowing crop

UP ने केंद्र से मांगा 6 लाख मीट्रिक टन DAP, फसलों की बुवाई को लेकर कृषि मंत्री शाही ने नड्डा से की मुलाकात

  • नई दिल्ली में प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केन्द्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात कर आगामी रबी सीजन के लिए राज्य में उर्वरकों की आपूर्ति को लेकर विस्तार से चर्चा की।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, लखनऊ, प्रमुख संवाददाताTue, 5 Nov 2024 10:17 PM
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यूपी ने केंद्र सरकार से नवंबर के लिए कम से कम 6 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 2 लाख मी. टन एनपीके की आपूर्ति करने का अनुरोध किया है। मंगलवार को नई दिल्ली में प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केन्द्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात कर आगामी रबी सीजन के लिए राज्य में उर्वरकों की आपूर्ति को लेकर विस्तार से चर्चा की। बैठक के दौरान, उन्होंने मौजूदा दलहनी, तिलहनी और आलू फसलों की बुवाई के साथ-साथ अगले सप्ताह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई की तैयारी पर विशेष रूप से ध्यान दिलाया।

प्रदेश भर में 15 नवम्बर से 15 दिसम्बर के बीच एक साथ गेहूं की बुवाई कराने की ओर भी केन्द्रीय मंत्री का ध्यान आकृष्ट किया। यूपी में इस समय 2.34 लाख मी. टन डीएपी और 2.63 लाख मी. टन एनपीके उर्वरक उपलब्ध है। इसके अलावा, सहकारिता क्षेत्र के लिए भी इसी माह में 2.50 लाख मी. टन डीएपी का विशेष आवंटन और प्रतिदिन कम से कम 8 रैक फास्फेटिक उर्वरकों की आपूर्ति का अनुरोध किया। इस दौरान श्री शाही ने इफको के कांडला प्लांट से प्रदेश के पश्चिमी जिलों के लिए डीएपी की शीघ्र आपूर्ति और पूर्वी एवं पश्चिमी बंदरगाहों पर पर्याप्त रैक उपलब्ध कराने पर जोर दिया। प्रवक्ता ने बताया कि केंद्रीय मंत्री नड्डा ने आश्वासन दिया कि राज्य को उर्वरकों की आपूर्ति में कोई कमी नहीं होगी और किसानों को समय पर उर्वरक मुहैया कराने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

संकट का मुख्य कारण दो-दो युद्ध है

विश्व के दो क्षेत्रों में जारी दो-दो युद्ध ही रसायनिक उर्वरकों की कमी या इनकी कीमतें बढ़ने का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। देश में डीएपी या उसे बनाने के लिए उसका कच्चा माल रॉक फास्फेट मोरक्को, जॉर्डन तथा ट्यूनीशिया आदि देशों से आयात किया जाता है। यह रॉ मैटेरियल इजराइल के पास से होकर आता रहा है जो चार से पांच दिन में आ जाता था। युद्ध की वजह से अब यह 40 से 42 दिनों में भारत पहुंच रहा है। चूंकि काफी लम्बी दूरी तय कर रॉ मैटेरियल आ रहा है लिहाजा उसके भाड़े में कई गुना वृद्धि तो हो ही गई है। समय भी काफी अधिक लग रहा है। यही स्थिति पोटैशिक उर्वरकों की भी है। पोटाश का आयात रूस और यूक्रेन से होता है और दोनों देशों के बीच लम्बे समय से भीषण युद्ध चल रहा है। ऐसे में पूर्व में इन दोनों देशों से जिस पोटाश को लाने में 40-42 दिन लगता था उसे अब लाने में कई गुना अधिक लम्बी दूरी तय करने से 85 से 90 दिन लग रहे है। इससे अन्तराष्ट्रीय बाजार में दोनों उर्वरकों के दाम भी आसमान छूने लगे हैं।

नैनो फर्टिलाइजर है विकल्प जिसकी नहीं है कोई कमी

यूपी सहित देश के कई राज्यों ने नैनो फर्टिलाइजर का भंडारण कर रखा है। विश्व की सबसे बड़ी सहकारी समिति इफ्को ने सरकार को भरोसा दिया है कि उसके पास इस समय 12 करोड़ बोतल से अधिक नैनो डीएपी एवं 18 करोड़ बोतल नैनो यूरिया बनाने की व्यवस्था है जिसे भविष्य में मांग के अनुसार बढ़ाया भी जा सकता है। यदि प्रदेश की कुल मांग का 25 प्रतिशत नैनो डीएपी की पूर्ति करा दी जाए तो खाद संकट को नियंत्रित किया जा सकता है। दो नैनो उर्वरकों की प्रयोग विधि को किसानो के बीच प्रचलित करने के लिए विभाग एवं सहकारी समिति यदि संयुक्त प्रयास करे तो खाद संकट का कोई असर नहीं रह जाएगा।

विकल्प के रूप में एनपीके के प्रयोग पर दिया जा रहा है जोर

कृषि विभाग डीएपी व पोटाश की कमी की आशंका को देखते हुए किसानों को एनपीके के प्रयोग को बढ़ाने पर बल दे रहा है। कृषि निदेशक डा. जितेन्द्र कुमार तोमर का कहना है कि किसान महंगे डीएपी की जगह अलग-अलग अनुपात के एनपीके का प्रयोग कर सकते हैं, इससे उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा।

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