Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़UP s Basic Education Department gets a blow from the High Court teachers transfer policy rejected

यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग को हाईकोर्ट से झटका, शिक्षकों की तबादला नीति को किया खारिज

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बेसिक शिक्षा विभाग को बड़ा झटका देते हुए प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक छात्र अनुपात बनाए रखने के लिए जून 2024 में लायी गई 'लास्ट कम फर्स्ट आउट' की नीति को निरस्त कर दिया है।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, लखनऊ विधि संवाददाताThu, 7 Nov 2024 11:18 PM
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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बेसिक शिक्षा विभाग को बड़ा झटका देते हुए प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक छात्र अनुपात बनाए रखने के लिए जून 2024 में लायी गई 'लास्ट कम फर्स्ट आउट' की नीति को निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने इस संबंध में जारी 26 जून 2024 के शासनादेश और 28 जून 2024 के सर्कुलर के संबंधित प्रावधानों को मनमाना व जूनियर शिक्षकों के साथ भेदभावपूर्ण करार देते हुए खारिज कर दिया है।

यह निर्णय न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने पुष्कर सिंह चंदेल समेत सैकड़ों अभ्यर्थियों की ओर से अलग-अलग दाखिल 21 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया है। याचिकाओं में 26 जून 2024 के शासनादेश और 28 जून 2024 के सर्कुलर के क्लास 3, 7, 8 और 9 को चुनौती देते हुए कहा गया कि उक्त प्रावधान समानता के मौलिक अधिकार के साथ-साथ शिक्षा के अधिकार अधिनियम के भी विरोधाभासी हैं।

याचियो की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एचजीएस परिहार ने दलील दी कि उक्त प्रावधानों के अनुपालन में जो शिक्षक बाद में किसी प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त होता है, उसका ही तबादला शिक्षक-छात्र अनुपात को बनाए रखने के लिए किया जाता है। कहा गया कि स्थानांतरण के पश्चात ऐसा अध्यापक जब किसी नए प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त किया जाता है तो वहां भी उसकी सेवा काल सबसे कम होने के कारण, यदि पुन: उपरोक्त अनुपात को बनाए रखने के लिए किसी अध्यापक के स्थानांतरण की आवश्यकता होती है तो नए आए उक्त अध्यापक का ही स्थानांतरण किया जाता है।

दलील दी गई कि इस प्रकार इस नीति के तहत जूनियर अध्यापकों का ही स्थानांतरण होता है जबकि जो वरिष्ठ हैं अथवा पुराने हैं, वे अपने विद्यालय में ही बने रहते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता सुदीप सेठ ने भी याचियों की ओर से दलील दी कि उक्त नीति अध्यापकों के सर्विस रूल्स के विरुद्ध है। वहीं राज्य सरकार की ओर से याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा गया कि याचियो को स्थानांतरण नीति को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है। कहा गया कि शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षक-छात्र अनुपात को बनाए रखने के लिए यह स्थानांतरण नीति आवश्यक है।

न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस के पश्चात पारित अपने निर्णय में कहा कि 26 जून 2024 के शासनादेश और 28 जून 2024 के सर्कुलर में ऐसा कोई भी यथोचित कारण नहीं दर्शाया गया है जिसमें उक्त स्थानांतरण नीति में सेवाकाल को आधार बनाए जाने का औचित्य हो। न्यायालय ने कहा कि यदि इस नीति को जारी रखा गया तो हर बार जूनियर अध्यापक स्थानांतरण के द्वारा समायोजित होता रहेगा और सीनियर जहां है वहीं हमेशा बना रहेगा।

न्यायालय ने आगे कहा कि उपरोक्त परिस्थितियों में यह कोर्ट पाती है कि उक्त स्थानांतरण नीति भेदभावपूर्ण है और संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुरूप नहीं है। उपरोक्त टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने 'फर्स्ट गो लास्ट इन' स्थानांतरण नीति से संबंधित 26 जून 2024 के शासनादेश और 28 जून 2024 के सर्कुलर को निरस्त कर दिया है।

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