UP Floods: पेड़ के सहारे बचे थे गंगा में फंसे मछुआरे, उफनाती लहरों के बीच 6 घंटे लगाए रहे मदद की आस
एक दर्जन मछुआरे उफनाई गंगा की लहरों में फंस गए। जोरदार बारिश और तूफानी हवा के बीच गंगा के तेज बहाव में चार छोटी नावें बहती हुईं बबूल के पेड़ व पंपिंग सेट हाउस से टकरा गईं। लगभग छह घंटे तक मछुआरों की जान अटकी रही।
प्रयागराज में थरवई के धरमपुर उर्फ घुरवा गांव के समीप मंगलवार सुबह एक दर्जन मछुआरे उफनाई गंगा की लहरों में फंस गए। जोरदार बारिश और तूफानी हवा के बीच गंगा के तेज बहाव में चार छोटी नावें बहती हुईं बबूल के पेड़ व पंपिंग सेट हाउस से टकरा गईं। लगभग छह घंटे तक मछुआरों की जान अटकी रही। एनडीआरएफ के जवानों ने सभी मछुआरों को सुरक्षित बाहर निकाला। पिछले एक सप्ताह से गंगा उफान पर हैं। कई तटवर्ती गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं।
मंगलवार सुबह लगभग साढ़े छह बजे चार छोटी नावों में पैगंबरपुर और माधोपुर के मछुआरे गंगा में मछली पकड़ने निकले। थोड़ी दूर आगे जाने के बाद बारिश व तेज हवा के बीच उफनाती गंगा में नावें बेकाबू हो गईं। लगभग दो-तीन किमी तक नावें अनियंत्रित होकर बहती रहीं। तीन नाव तो संयोगवश बबूल के पेड़ के सहारे रुक गई, जबकि एक नाव बहते हुए एक किमी आगे नहर के पंपिंग सेट हाउस से जाकर टकरा गई। मछुआरों ने मोबाइल से कॉल कर परिजनों को जानकारी दी।
सूचना पर एसडीएम फूलपुर, डीसीपी गंगानगर, एसीपी थरवई, तहसीलदार सहित सरायइनायत व थरवई थाने की फोर्स पहुंची। लगभग 11 बजे एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें भी पहुंच गईं। सुरक्षित बाहर आने के बाद पैगंबर गांव निवासी विजय कुमार, छंगू, अजय पाल, कलऊ, सुभाष, विजय, राजकुमार, शमशेर बहादुर, अवधेश कुमार, महेश, शिवगढ़ निवासी छोटू और माधवपुर गांव निवासी सदाशिव का सीएचसी घोरवां में प्राथमिक उपचार कराया गया।
गंगा की लहरों के बीच पेड़ बन गया ‘संकट मोचन’
‘जाको राखे साइयां मार सके ना कोय’। कबीरदास की ये पंक्तियां मंगलवार को उस वक्त चरितार्थ हुई, जब उफनाती गंगा में फंसे मछुआरों की जिंदगी दांव पर लगी थी। तेज बहाव के कारण बेकाबू नावों में सवार मछुआरों के लिए बबलू का पेड़ संकटमोचन बनकर सामने आया। इसी पेड़ के सहारे लगभग छह घंटे तक मछुआरे मदद की आस लगाए अटके रहे। सुरक्षित बाहर निकलने के बाद मछुआरों ने बबूल के पेड़ को साक्षात संकटमोटन का दर्जा देते हुए भगवान का शुक्रिया अदा किया।
थरवई के पैगंबरपुर गांव के विजय कुमार, छंगू, कलाऊ, अजय पाल, सुभाष, विजय, राजकुमार, शमशेर, अवधेश व महेश के अलावा माधवपुर गांव के सदाशिव और शिवगढ़ निवासी छोटू चार छोटी नावों से मंगलवार सुबह गंगा में मछली पकड़ने के लिए निकले थे। जलस्तर बढ़ने और मंगलवार को तेज बारिश और हवा की वजह से सुबह से ही गंगा पूरे उफान पर रहीं। इससे चारों नाव बेकाबू होकर बहने लगीं। मछुआरों को समझ ही नहीं आ रहा था कि नावों को कैसे काबू किया जाए। उनके सामने डूबने का डर सताने लगा।
हालांकि धरमपुर उर्फ घुरवा गांव के समीप गंगा के कछार में बबूल का पेड़ मछुआरों के जीवन के लिए संकटमोचन बनकर खड़ा हो गया। तीन नाव बबूल के पेड़ से टकरा गईं, जबकि चौथी नाव कुछ दूर आगे पंपिंग सेट हाउस से टकराकर रुक गई। इसी पेड़ के सहारे मछुआरों की नाव पलटने से बची और उन्होंने तत्काल फोन कर परिजनों को सूचना दी। बचाव के बाद सुरक्षित बाहर निकले मछुआरों ने कहा कि यदि बबूल का पेड़ नहीं होता, तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी। मछुआरों की आंखों देखी हाल सुनने के बाद परिजनों व ग्रामीणों ने भगवान का शुक्र अदा किया।
पहले नाव पलटने की मिली थी सूचना
थरवई थानांतर्गत धरमपुर उर्फ घुरवा गांव के समीप गंगा में पहले तीन नाव के पलटने की सूचना मिली थी। इसकी जानकारी होते ही मछुआरों के परिजन रोते-बिलखते गंगा किनारे पहुंच गए। वहीं ग्रामीणों की भी भीड़ जुट गई। दूरी अधिक होने से किसी को स्पष्ट समझ नहीं आ रहा था। वहीं सूचना पर एसडीएफ फूलपुर तपन मिश्रा, डीसीपी गंगानगर कुलदीप सिंह, एसीपी थरवई चंद्रपाल सिंह, तहसीलदार फूलपुर डॉ. बृजेश कुमार के अलावा सराय इनायत व थरवई थाने की पुलिस फोर्स पहुंच गई। हालांकि एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम के पहुंचने के बाद ही रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो सका। मछुआरों के सुरक्षित बाहर आने के बाद पता चला कि नावें पलटी नहीं थी, बल्कि बबूल के पेड़ और पंपिंग सेट हाउस से टकराकरथमगईथीं।