थाने की गाड़ी नीलामी में पुलिसकर्मी व उनके रिश्तेदारों को नहीं मिलेंगे वाहन, ये निर्देश जारी
यूपी के थानों में जब्त किए गए 78 हजार से अधिक वाहन खड़े हुए हैं। इनकी वजह से थानों में जगह नहीं बची है। वाहनों का रख-रखाव भी ठीक से नहीं हो पा रहा है। साथ ही राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान भी पहुंच रहा है। इन वाहनों का निपटारा जल्दी ही किया जाए।
यूपी के थानों में जब्त किए गए 78 हजार से अधिक वाहन खड़े हुए हैं। इनकी वजह से थानों में जगह नहीं बची है। वाहनों का रख-रखाव भी ठीक से नहीं हो पा रहा है। साथ ही राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान भी पहुंच रहा है। इन वाहनों का निपटारा जल्दी ही किया जाए। ये निर्देश डीजीपी प्रशांत कुमार ने दोबारा प्रदेश के सभी पुलिस कमिश्नर और कप्तानों को पत्र लिखकर दिए हैं। पत्र में इस बात पर आपत्ति भी जताई गई है कि पहले निर्देश देने के बाद उनका अनुपालन नहीं किया गया है। साथ ही यह हिदायत भी दी है कि नीलामी में ध्यान रखा जाए कि कोई भी पुलिस कर्मी या मजिस्ट्रेट प्रतिनिधि इसका फायदा न ले। पुलिसकर्मी के संबंधियों को भी ये गाड़ियां नीलामी में न दी जाएं।
डीजीपी ने पत्र में लिखा है कि नए बने तीन कानूनों में जब्त सम्पत्ति के निपटारे की कई तरह से व्यवस्था की गई है। लावारिस वाहनों व अन्य वस्तुओं के संबंध में अगर कोई दावेदार नहीं आता है तो डीएम इनकी नीलामी की प्रक्रिया करा सकता है। किसी अपराध से जुड़े वाहनों को बिना संबंधित कोर्ट की अनुमति के निस्तारित नहीं किया जा सकता है। पर, नए कानून के तहत इस तरह के जब्त वाहनों को उनके पंजीकृत स्वामी के सिपुर्द किया जा सकता है। उनसे यह बांड भरवाना जरूरी होता है कि जरूरत पड़ने पर वह वाहन को जमा कर देंगे।
सत्यापन जरूर करवाएं
डीजीपी ने फिर से यह याद दिलाया है कि काफी समय से थानों में खड़े वाहनों की सूची प्राथमिकता के आधार पर बनाकर उनका सत्यापन करा लिया जाए। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाए। अगर किसी वाहन के मालिक की पहचान नहीं हो सकी है तो कोर्ट से अनुमति लेकर उसकी नीलामी की जाए। वाहनों को लेकर जो भी कार्रवाई हो, उसे थानों के रजिस्टर में जरूरत लिखा जाए। इसकी जिम्मेदारी थाना प्रभारी की होगी। लावारिस वाहनों की नियमानुसार नीलामी शीघ्र करा ली जाए।