Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़UP Police Constable Recruitment: Forgetting the difficulties worked hard 12 friends will become constables

यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती: मुश्किलें भुलाकर की जी तोड़ मेहनत, 12 सहेलियां साथ बनेंगी सिपाही

  • यूपी पुलिस कांस्टेबल परीक्षा की शारीरिक दक्षता परीक्षा आयोजित हो रही है। मुरादाबाद में 12 सहेलियां एक साथ सिपाही बनेंगी। अपना सपना पूरा करने के लिए एक साथ अभ्यास किया। लिखित परीक्षा के बाद अब शारीरिक दक्षता परीक्षा में भी सफलता पाई है। अब बस मेडिकल बाकी है।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, मुरादाबाद । काव्यांश मिश्राFri, 14 Feb 2025 10:31 AM
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यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती: मुश्किलें भुलाकर की जी तोड़ मेहनत, 12 सहेलियां साथ बनेंगी सिपाही

UP Police Constable Recruitment: उनकी आंखों में वर्दी का सपना पल रहा है। वे अब मंजिल के काफी करीब हैं। अगर मेडिकल परीक्षण में कोई तकनीकी बाधा नहीं आई तो सभी 12 सहेलियां एक साथ सिपाही बनेंगी। खास यह कि इस सपने को पूरा करने के लिए सभी ने अपने-अपने स्तर पर कड़ी मुश्किलों का सामना किया है। किसी ने आर्थिक मुश्किल झेली तो किसी ने लोगों का विरोध सहा। वे चाहती हैं कि वर्दी पहनकर न केवल परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करें बल्कि उनका सिर भी गर्व से ऊंचा करें।

प्रदेश भर में इन दिनों यूपी पुलिस कांस्टेबल परीक्षा की शारीरिक दक्षता परीक्षा आयोजित हो रही है। इसमें महिला और पुरुष अभ्यर्थी दौड़ लगा रहे हैं। मुरादाबाद में 12 सहेलियों ने भी अपना सपना पूरा करने के लिए एक साथ अभ्यास किया। लिखित परीक्षा के बाद अब शारीरिक दक्षता परीक्षा में भी सफलता पाई है। अभी मेडिकल परीक्षण बाकी है। इसमें आई टेस्ट, नी नॉकिंग और फ्लैट फुट समेत कई टेस्ट किए जाते हैं। इस पड़ाव को सकुशल पास करने पर मेरिट के आधार पर चयन होगा।

किसी के गार्ड तो किसी के पिता किसान

यूपी पुलिस कांस्टेबल की दौड़ परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाली 12 सहेलियों के सामने उनके परिवार की मजबूरियां भी थीं। कोई परिवार में सबसे बड़ा होने की जिम्मेदारी के बोझ तले दबा हुआ था, किसी ने परिवार को आर्थिक तंगी से बाहर निकालने का प्रण ले रखा है। शेरुआ धरमपुर निवासी निधि के पिता यतीश कुमार एक पेपर मिल में गार्ड हैं। नवीन नगर निवासी ज्योति के पिता पीतल के उत्पादों की पालिश करते हैं। मनीषा, ज्योति, नेहा, मंजू, मोना, हिमांशी के पिता भी खेती-किसानी करते हैं। स्वाति के पिता इलेक्ट्रीशियन और नेहा के पिता चश्मे की दुकान चलाते हैं।

अभ्यास करने के लिए रोजाना ट्रेन का सफर

मंजू कैलसा की रहने वाली है। पुलिस परीक्षा की तैयारी के लिए मंजू रोजाना ट्रेन से सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्टेडियम आती थी। दो से तीन घंटे अभ्यास करने के बाद मंजू दोबारा ट्रेन से ही घर पहुंचती थी। मंजू के समर्पण का फल है कि उसे शारीरिक दक्षता परीक्षा में सफलता मिली है।

ये भी पढ़ें:यूपी पुलिस भर्ती: दौड़ में 12 से अधिक महिला अभ्यर्थी बेहोश,5 के पैर में फ्रैक्चर

UP Police Constable Recruitment: उनकी आंखों में वर्दी का सपना पल रहा है। वे अब मंजिल के काफी करीब हैं। अगर मेडिकल परीक्षण में कोई तकनीकी बाधा नहीं आई तो सभी 12 सहेलियां एक साथ सिपाही बनेंगी। खास यह कि इस सपने को पूरा करने के लिए सभी ने अपने-अपने स्तर पर कड़ी मुश्किलों का सामना किया है। किसी ने आर्थिक मुश्किल झेली तो किसी ने लोगों का विरोध सहा। वे चाहती हैं कि वर्दी पहनकर न केवल परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करें बल्कि उनका सिर भी गर्व से ऊंचा करें।

प्रदेश भर में इन दिनों यूपी पुलिस कांस्टेबल परीक्षा की शारीरिक दक्षता परीक्षा आयोजित हो रही है। इसमें महिला और पुरुष अभ्यर्थी दौड़ लगा रहे हैं। मुरादाबाद में 12 सहेलियों ने भी अपना सपना पूरा करने के लिए एक साथ अभ्यास किया। लिखित परीक्षा के बाद अब शारीरिक दक्षता परीक्षा में भी सफलता पाई है। अभी मेडिकल परीक्षण बाकी है। इसमें आई टेस्ट, नी नॉकिंग और फ्लैट फुट समेत कई टेस्ट किए जाते हैं। इस पड़ाव को सकुशल पास करने पर मेरिट के आधार पर चयन होगा।

किसी के गार्ड तो किसी के पिता किसान

यूपी पुलिस कांस्टेबल की दौड़ परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाली 12 सहेलियों के सामने उनके परिवार की मजबूरियां भी थीं। कोई परिवार में सबसे बड़ा होने की जिम्मेदारी के बोझ तले दबा हुआ था, किसी ने परिवार को आर्थिक तंगी से बाहर निकालने का प्रण ले रखा है। शेरुआ धरमपुर निवासी निधि के पिता यतीश कुमार एक पेपर मिल में गार्ड हैं। नवीन नगर निवासी ज्योति के पिता पीतल के उत्पादों की पालिश करते हैं। मनीषा, ज्योति, नेहा, मंजू, मोना, हिमांशी के पिता भी खेती-किसानी करते हैं। स्वाति के पिता इलेक्ट्रीशियन और नेहा के पिता चश्मे की दुकान चलाते हैं।

अभ्यास करने के लिए रोजाना ट्रेन का सफर

मंजू कैलसा की रहने वाली है। पुलिस परीक्षा की तैयारी के लिए मंजू रोजाना ट्रेन से सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्टेडियम आती थी। दो से तीन घंटे अभ्यास करने के बाद मंजू दोबारा ट्रेन से ही घर पहुंचती थी। मंजू के समर्पण का फल है कि उसे शारीरिक दक्षता परीक्षा में सफलता मिली है।

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सभी सहेलियों को पहले प्रयास में मिली सफलता

कम्पटीशन के दौर में किसी भी परीक्षा में सफलता हासिल करना चुनौती समान है। वहीं पहली ही बार में परीक्षा में चयन हो जाए तो इसकी खुशी भी ज्यादा होती है। कोच शुभम पाल ने बताया कि सभी युवतियों ने पहली ही बार परीक्षा में प्रतिभाग किया है। सभी अलग-अलग बैकग्राउंड से हैं लेकिन अभ्यास के दौरान ही उनके में गहरी दोस्ती भी पनपी। सभी ने एक दूसरे को प्रोत्साहित किया और सभी एक साथ सफल भी हुईं। इन लड़कियों ने स्टेडियम में डटकर अभ्यास किया। कोच शुभम पाल और ललिता चौहान ने बताया कि युवतियां नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्टेडियम आती थीं। तीन से अधिक घंटे, दौड़ के अभ्यास को देती थीं। दौड़ने की सही तकनीक और समय सीमा में दौड़ पूरी करने के लिए भी युवतियों ने खूब मेहनत की।

अभ्यास के दौरान हुई थी दोस्ती, फिर साथ दी परीक्षा

यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती की शारीरिक दक्षता परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाली युवतियां अभ्यास करने के दौरान एक दूसरे से मिलीं। सभी युवतियां एथलीट खिलाड़ी के रूप में स्टेडियम से जुड़ी हुई हैं। जहां वे रोजाना अभ्यास भी करती हैं। अभ्यास करते-करते उनके बीच दोस्ती भी हो गई।

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