यूपी पुलिस की हाथरस भगदड़ चार्जशीट में भोले बाबा का नाम नहीं, आरोपी बने सूरजपाल के सेवादार
- तीन महीने पहले हाथरस के फुलरई गांव में 2 जुलाई को सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत के केस में उत्तर प्रदेश पुलिस ने कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। इसमें नारायण साकार हरि और भोले बाबा के नाम से मशहूर सूरजपाल का नाम नहीं है।
उत्तर प्रदेश के चर्चित हाथरस भगदड़ केस की चार्जशीट में यूपी पुलिस ने नारायण हरि साकार के नाम से मशहूर सूरजपाल उर्फ भोले बाबा का नाम नहीं डाला है। 2 जुलाई को सूरजपाल के सत्संग के बाद हुए हादसे में 121 लोगों की मौत हो गई थी जिसमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। पुलिस ने दो महिला सेवादारों समेत 11 लोगों को आरोप पत्र में आरोपी बनाया है। पुलिस ने 3200 पेज की चार्जशीट मंगलवार को हाथरस कोर्ट में सौंपी। 4 अक्टूबर को अगली सुनवाई के दौरान आरोपियों को इसकी कॉपी दी जाएगी। घटना के बाद दर्ज प्राथमिकी में सूरजपाल आरोपी नहीं बनाया था। राज्य सरकार ने हादसे की जांच और लापरवाह दोषियों की पहचान के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) और एक न्यायिक आयोग का गठन किया था।
हाथरस पुलिस ने सूरजपाल उर्फ भोले बाबा को लेकर नरमी बरतने के आरोप को खारिज किया है और कहा है कि जांच अभी जारी है। हाथरस के एएसपी अशोक कुमार सिंह ने कहा कि एक केस में अनुसंधान अनवरत प्रक्रिया है और इस केस में भी जांच जारी है। भोले बाबा को क्लिन चिट के सवाल पर उन्होंने कहा कि चार्जशीट के आधार पर किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।
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आरोपियों के वकील एपी सिंह ने कहा है कि उनके क्लाइंट को अभी तक आरोपपत्र की कॉपी नहीं मिली है। 4 अक्टूबर को अगली सुनवाई में उन्हें चार्जशीट की कॉपी मिलेगी। एपी सिंह ने कहा कि जिन 11 लोगों को चार्जशीट में आरोपी बनाया गया है उसमें शामिल दो महिला सेवादारों को हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। एक सेवादार निकल भी चुकी है जबकि दूसरी का बेल बॉन्ड भरा जाना बाकी है।
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सत्संग के मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर समेत अन्य लोगों के खिलाफ भगदड़ मामले में केस दर्ज हुआ था। आरोप था कि इन लोगों ने प्रशासन को 80 हजार लोगों की सभा की इजाजत के नाम पर 2 लाख से ऊपर की भीड़ जुटा ली। कासगंज जिले के बहादुरनगर गांव के रहने वाले सूरजपाल उर्फ भोले बाबा ने हादसे के कुछ दिन बाद कहा था कि होनी को कौन टाल सकता है, जो आया है, वो एक दिन जाएगा। बाबा ने सत्संग में भगदड़ फैलाने की साजिश का आरोप लगाया था और कहा था कि उन्हें लोगों ने जहरीले स्प्रे के इस्तेमाल के बारे में बताया है।
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एसआईटी ने एक सप्ताह बाद जांच रिपोर्ट सौंप दी थी जिसके बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने एसडीएम, तहसीलदार, सीओ और एसएचओ समेत छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। एसआईटी ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बृजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गठित एक न्यायिक आयोग भी हादसे की जांच कर रहा है।