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तेंदुए के मूवमेंट का मोबाइल पर आएगा मैसेज, हाईमास्ट लाइटें लगाकर ड्रोन से होगी निगरानी

यूपी में तेंदुए के मूवमेंट का मोबाइल पर मैसेज आएगा। मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को लेकर राज्य सरकार गंभीर है। अब संवेदनशील इलाकों में ड्रोन से निगरानी होगी और हाईमास्ट लाइटें भी लगाई जाएंगी।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, लखनऊSun, 25 Aug 2024 02:05 AM
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उत्तर प्रदेश में बढ़ती मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को लेकर राज्य सरकार गंभीर है। निकट भविष्य में तेंदुए के मूवमेंट की जानकारी उस क्षेत्र के लोगों को तत्काल मिल सकेगी। इसके लिए उनके मोबाइल पर एसएमएस अलर्ट भेजा जाएगा। वहीं संवेदनशील क्षेत्रों में हाई मास्ट लाइटें लगाने के साथ ही ट्रैकिंग सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा। यह सारी कवायद बिजनौर, मुरादाबाद, पीलीभीत, लखीमपुर-खीरी, बहराइच, गोण्डा, महराजगंज आदि जिलों में होगी। इन स्थानों पर त्वरित कार्यवाही दल (रेपिड रेस्पांस टीमें) भी गठित किए गए हैं। चार नये रेस्क्यू सेंटर भी बनाए जा रहे हैं।

यह तमाम जानकारियां शनिवार को प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री डा. अरुण सक्सेना ने अरण्य भवन में मीडिया से बातचीत में दी। डा. सक्सेना ने कहा कि संघर्ष का एक कारण मानव और जानवरों की बढ़ती आबादी है। मानव जंगल की ओर जा रहा है और जानवर जंगल से बाहर भाग रहा है। विभाग इस संघर्ष को घटाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं पर कार्य कर रहा है जिससे कि मानवों के साथ-साथ वन्यजीवों का भी संरक्षण किया जा सके।

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इस साल रेस्क्यू किए 33 जानवरों में 27 तेंदुए
उन्होंने बताया कि वन्यजीव के हमले की घटनाओं से पीड़ित व्यक्ति के परिवार को मुआवजा दिलाने की त्वरित कार्यवाही की जा रही है। इस साल एक जनवरी से 20 अगस्त तक हिंसक वन्यजीव तथा बाघ एवं तेंदुओं द्वारा मारे गए या घायल किए गए व्यक्तियों के आश्रितों को 156 लाख की सहायता धनराशि स्वीकृत की गई है। जनवरी से 23 अगस्त तक कुल 27 तेंदुए, 03 बाघ एवं 03 भेड़िया (बहराइच से) रेस्क्यू किये जा चुके हैं। बिजनौर में जनवरी से अब तक 14 तेंदुए रेस्क्यू कर हटाये जा चुके हैं। प्रदेश सरकार चित्रकूट, पीलीभीत, मेरठ व गोरखपुर में चार रेस्क्यू सेंटर भी खोलने जा रही है।

संघर्ष रोकने को केंद्र ने शुरू कराया अध्ययन
उन्होंने कहा कि बिजनौर एवं आसपास के इलाकों में पर्याप्त संख्या में गुलदार गन्ने के खेतों में रह रहे हैं। ग्रामीणों द्वारा खेती व अन्य कार्यों के लिये आवाजाही के दौरान गुलदारों के कारण मानव-वन्य जीव संघर्ष की ज्वलंत समस्या है। इसका अध्ययन कर स्थाई निदान सुझाने के लिए भारत सरकार से अनुरोध किया गया है। केंद्र सरकार ने 22 अगस्त को निदेशक भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून को विशेषज्ञों की टीम गठित कर समस्या के अध्ययन और आवश्यक सुझाव उत्तर प्रदेश सरकार को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। मौके पर विशेषज्ञों की टीम ने अध्ययन प्रारम्भ कर दिया है। इस मौके पर विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह, पीसीसीएफ (वन्य जीव) संजय श्रीवास्तव, पीसीसीएफ व वन निगम के एमडी सुनील चौधरी, पीपी सिंहआदिमौजूदरहे।

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