भूगर्भ जल को जहर से बचाने में कारगर बुदेलखंड की काली कपास, ऐसे करती है काम
एचबीटीयू के वैज्ञानिकों की रिसर्च में खुलासा हुआ है कि बुदेलखंड की काली कपास भूगर्भ जल को जहर से बचाने में कारगर है। कूड़े के नीचे बनने वाला लीचेट बुदेलखंड की इस मिट्टी से तैयार मटेरियल को भेद नहीं पाता।
कपास की उत्कृष्ट पैदावार देने वाली बुंदेलखंड की काली मिट्टी अब भूजल को जहर से बचाने में भी कारगर साबित हुई है। कूड़े से निकलने वाले जहरीले लीचेट से यह मिट्टी भूजल को पूरी तरह सुरक्षित रख सकती है। इसका खुलासा कानपुर के प्रो. अभिषेक दीक्षित की रिसर्च में हुआ है। वर्तमान में लखनऊ स्थित चंडीगढ़ विवि में असिस्टेंट प्रो. अभिषेक दीक्षित की रिसर्च को यूके के इंटरनेशनल जर्नल जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग ने प्रकाशित किया है।
एचबीटीयू के शोधार्थी अभिषेक दीक्षित ने यह रिसर्च एचबीटीयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दीपेश सिंह और आस्ट्रेलिया की इडिथ कॉन विश्वविद्यालय पर्थ के वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार शुक्ला की देखरेख में की है। अभिषेक ने बताया कि हर शहर में नगर निगम ने अपशिष्ट प्रबंधन को डंपिंग स्टेशन बनाए हैं, जहां एकत्र कूड़े से निकलने वाला लीचेट सीधे मिट्टी से भूजल में मिलता है। यह लीचेट बहुत जहरीला होता है। इससे मिट्टी बंजर और भूजल जहरीला हो जाता है।
अभी तक इस लीचेट के प्रभाव को कम करने के लिए जियोटेकसिंटिक लाइनर्स (जीसीएल) का उपयोग होता है, जिसे डंपिंग स्टेशन पर बिछा दिया जाता है। इस मटेरियल से लीचेट के पास होने का रेट काफी धीमा होता है, मगर यह मटेरियल काफी महंगा है। अभिषेक ने बताया कि लीचेट को मिट्टी में मिलने से रोकने के लिए अलग-अलग रिसर्च की गई। इसमें बुंदेलखंड की काली कपास मिट्टी समेत अन्य रसायनों की मदद से तैयार एक विशेष मटेरियल का भी उपयोग किया गया, जो काफी प्रभावी साबित हुई।
कानपुर डंपिंग सेंटर पर की थी रिसर्च
अभिषेक ने नगर निगम के डंपिंग सेंटर पर भी रिसर्च की थी। भौंती के पास बने कूड़े के पहाड़ को लेकर रिसर्च की, जिसमें कूड़े से निकल रहा लीचेट मिट्टी के साथ भूजल को प्रदूषित करता मिला। कूड़े के ढेर के कारण करीब चार किमी का भूजल अत्यधिक प्रदूषित हो गया था। वहीं, मिट्टी भी बंजर हो रही थी। यह रिसर्च करीब आठ साल में पूरी हुई थी।
वैज्ञानिक-एचबीटीयू, डॉ. दीपेश सिंह ने कहा कि डंपिंग सेंटर में कूड़े से निकलने वाले लीचेट से भूजल को प्रदूषण से बचाने के लिए यह रिसर्च काफी कारगर साबित होगी। बुंदेलखंड की काली कपास मिट्टी से तैयार मटेरियल कूड़े से निकलने वाले लीचेट के रिसाव को काफी धीमा करने में कारगर है। इसका उपयोग कर डंपिंग सेंटर के आसपास भूजल को जहरीला होने से बचाया जा सकता है।