सीएम योगी से मांग- जल निगम के पेंशनरों को दिलाएं 239 प्रतिशत महंगाई राहत
उत्तर प्रदेश जल निगम पेंशनर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से जल निगम के 3500 से अधिक पेंशनरों व उनकी विधवाओं को न्याय दिलाने की मांग की है। वर्ष 2021 में विभाजन के बाद नगरीय एवं ग्रामीण दोनों जल निगमों में पूर्ववर्ती जल निगम एक्ट-1975 को समान रूप से लागू करने का प्रावधान किया गया था।
उत्तर प्रदेश जल निगम पेंशनर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से जल निगम के 3500 से अधिक पेंशनरों व उनकी विधवाओं को न्याय दिलाने की मांग की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अवध बिहारी मिश्रा ने कहा है कि वर्ष 2021 में विभाजन के बाद नगरीय एवं ग्रामीण दोनों जल निगमों में पूर्ववर्ती जल निगम एक्ट-1975 को समान रूप से लागू करने का प्रावधान किया गया था। मगर ऐसा नहीं हुआ। नगरीय और ग्रामीण जल निगम के पेंशनरों को अलग-अलग पेंशन दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि छठे वेतनमान में भी जहां जल निगम नगरीय द्वारा आधे पेंशनरों को महंगाई राहत 239 फीसदी की जगह 203 प्रतिशत दी जा रही है जबकि जल निगम ग्रामीण के पेंशनरों को यह महज 200 प्रतिशत ही मिल रही है। इतना ही नहीं जो महंगाई राहत एक जनवरी 2022 के प्रभाव से दी जानी थी, उसे एक मार्च 2024 से प्रभावी मानते हुए पेंशनरों के एरियर का पैसा भी फ्रीज कर दिया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप कर ऐसे विरोधाभास को दूर कराने और 200 की जगह 239 फीसदी की दर से महंगाई राहत दिलवाए जाने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने जल निगम से सेवानिवृत्त होने वालों को सातवें वेतन आयोग का लाभ पेंशन में दिए जाने की भी मांग की है। अभी इन सभी पेंशनरों को छठवें वेतन आयोग के हिसाब से ही पेंशन मिल रही है।
जल निगम संघर्ष समिति लंबे समय से वेतन और पेंशन के लिए परेशान है। ऐसे में लखनऊ में प्रदेशभर के कर्मचारियों और पेंशनर्स की बैठक बुलाई थी। बताया गया कि एक जुलाई 2006 से 11 मार्च 2010 के बीच का छठे वेतनमान का बचा वेतन भी अभी तक बकाया है। कोर्ट के आदेश के बाद 400 करोड़ से अधिक की धनराशि एक साल पहले जल निगम को उपलब्ध करा दी गई थी। इसके बाद भी कुछ अड़चनें पैदा करके भुगतान रोका जा रहा है। साथ ही कहा कि सेंटेज घटने के साथ जल निगम का परंपरागत काम दूसरी एजेंसियों को देने के कारण यह संकट आया है।