राघव चड्ढा को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बुलाने पर ओपी सिंह बोले- विदेशों में पढ़कर नहीं, लोगों के बीच रहकर बनता है नेतृत्व
- गाजीपुर जिले के जमानिया विधायक ओमप्रकाश सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के विदेश जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने राघव को सलाह देते हुए ये भी कहा है कि विदेशों में नेतृत्व नहीं सीखा जाता ये तो जमीनी स्तर पर लोगों के बीच रहकर सीखा जाता है।

गाजीपुर जिले के जमानिया विधायक ओमप्रकाश सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के विदेश जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने राघव को सलाह देते हुए ये भी कहा है कि विदेशों में नेतृत्व नहीं सीखा जाता ये तो जमीनी स्तर पर लोगों के बीच रहकर सीखा जाता है। ओपी सिंह ने अपना जिक्र करते हुए ये भी बताया कि वो राजनीति में किस तरह से उतरे। उन्होंने राघव को जनता से नाता बनाने के लिए टिप्स देते हुए उनके विदेश जाने पर नाराजगी जाहिर की।
दरअसल, आप सांसद राघव चड्ढा को अमेरिका के प्रतिष्ठित हार्वर्ड कैनेडी स्कूल ने अपने ग्लोबल लीडरशिप प्रोग्राम के लिए चुना है। राघव चड्ढा इस दौरान पब्लिक पॉलिसी, ग्लोबल लीडरशिप जैसे मुद्दों पर गहन अध्ययन और विचार-विमर्श करेंगे। इस पर ओपी सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि पता चला हैं कि राघव चड्ढा एक बार फिर विदेश जा रहें हैं लीडरशिप प्रोग्राम पढ़ने। लेकिन नेतृत्व (लीडरशिप) सीखने का सबसे अच्छा तरीका विदेशी विश्वविद्यालय नहीं, बल्कि वहीं की ज़मीन हैं, जहाँ आपकी पार्टी खड़ी हैं। हम भी कॉलेज के दिनों से राजनीति में आए। ज़मीनी स्तर पर संघर्ष किया, कठिन वास्तविकताओं का सामना किया, जनता की आकांक्षाओं को समझा और हर परिस्थिति में अपने नेतृत्व और पार्टी के साथ खड़े रहें—चाहे सरकार में हों या विपक्ष में। इसी समर्पण और तपस्या ने हमें मजबूत नेता बनाया।
उन्होंने लिखा कि लेकिन आज यह सब कम होता जा रहा हैं। आज के युवा नेता ज़मीनी राजनीति से दूर हों रहें हैं, संघर्ष से बच रहें हैं और छोटी उम्र में हीं राज्यसभा जैसी सुविधाजनक राह चुन रहें हैं। मेरा युवा पीढ़ी से स्पष्ट संदेश हैं—अपने नेतृत्व के साथ मज़बूती से खड़े रहें, ज़मीन से जुड़े रहें और कम उम्र में राज्यसभा न लें, वरना जनता से आपका नाता टूट जाएगा। सच्चा नेतृत्व लोगों के बीच रहकर बनता हैं, सिर्फ विदेशों में पढ़कर नहीं।