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अपने ही पीडीए फार्मूले पर चित हो गई सपा, बसपा को दलित वोट वाली सीट पर गंवानी पड़ी जमानत

  • लोकसभा चुनाव में जिस फॉर्मूले को अपनाकर सपा अपनी सीटों की संख्या बढ़ाई थी, उपचुनाव में सपा का वह पीडीएफ फॉर्मूला पूरी तरह से चित हो गया। सात सीटों पर समाजवादी पार्टी का यह दांव उसी को ले डूबा।

Dinesh Rathour लाइव हिन्दुस्तान, मेरठSat, 23 Nov 2024 08:09 PM
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लोकसभा चुनाव में जिस फॉर्मूले को अपनाकर सपा अपनी सीटों की संख्या बढ़ाई थी, उपचुनाव में सपा का वह पीडीएफ फॉर्मूला पूरी तरह से चित हो गया। सात सीटों पर समाजवादी पार्टी का यह दांव उसी को ले डूबा। इसी फार्मूले की वजह से वह मीरापुर उपचुनाव में भी चारों खाने चित हो गई। दो बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों का हश्र मीरापुर में बुरा हुआ। बहुजन समाज पार्टी को अच्छे-खासे दलित वोट वाली सीट पर जमानत गंवानी पड़ी।

मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट पर यह चौथा चुनाव था। इस सीट पर ओबीसी वोट निर्णायक रहे हैं। समाजवादी पार्टी को एक लाख तीस हजार मुसलिम वोटों के सहारे उम्मीद थी कि वह यह सीट निकाल ले जाएगी। पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोटों का यही तिलस्म सपा को भारी पड़ गया। उसकी राह में बाधक बने आजाद समाज पार्टी और एआईएमआईएम के प्रत्याशी। आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी जाहिद हुसैन को इस सीट पर 22,661 और एआईएमआईएम प्रत्याशी मोहम्मद अरशद को 18,869 वोट मिले।

यानी ये दोनों प्रत्याशी 41530 वोट ले गए। इन दोनों ने ही सपा के पीडीए फार्मूले को चोट पहुंचाई और सपा प्रत्याशी सुंबल राणा 53,508 वोट लेकर भी हार गई। मुसलिम वोटों का बिखराव, दलित वोट भाजपा और आसपा के बीच बंटने, पिछड़े वोटों पर भाजपा का अधिकांशतया कब्जा ऐसे फैक्टर रहे कि समाजवादी पार्टी को मुसलिम अक्सरियत वाली इस सीट पर सफलता नहीं मिली। मीरापुर की ही तरह कुंदरकी और गाजियाबाद में भी उसका पीडीए फार्मूला नहीं चला।

आसपा ने चौंकाया

चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी ने विगत लोकसभा चुनाव में नगीना की सीट पर भी चौंकाया था। चंद्रशेखर यहां दलित और मुसलिम वोटों के सहारे सांसद बने। मीरापुर सीट पर भी दलित वोट बसपा से खिसक गए। मतगणना के प्रारंभिक दौर में बसपा प्रत्याशी शाहनजर एक-एक वोट को तरसते दिखाई दिए। यह स्थिति उस बसपा की थी जिसका कभी इस सीट पर विधायक भी बना था।

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विवादों में कुछ, आंकड़ों में कुछ

मतदान के दिन सबसे ज्यादा हल्ला, विवाद और हंगामा मुसलिम मतदाताओं को रोकने पर हुआ। सपा ने आरोप लगाया कि उनके मतदाताओं को आईडी चेकिंग करने के नाम पर पुलिस ने रोका ककरौली में मीरापुर एसएचओ राजीव शर्मा के पिस्टल दिखाने को लेकर खूब हंगामा हुआ। इस क्षेत्र में 33 फीसदी ही मतदान हुआ। लेकिन यदि मुसलिम वोटों की बात करें तो करीब 80 हजार मतदाताओं ने वोट डाला। 11 में से 6 मुसलिम प्रत्याशियों के बीच वोट बंटने से सपा की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया।

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ओबीसी से जीती भाजपा

भाजपा की जीत में सबसे बड़ा योगदान ओबीसी वोटरों का रहा। जाट, गुर्जर, पाल और कुछ हद तक दलित मतदाताओं ने भाजपा की जीत को आसान कर दिया। पहले ही दौर से भाजपा-रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल ने बढ़त बनानी शुरू की। दो अवसरों पर उनकी बढत घटी भी लेकिन आखिरकार वह विधायक बन गई।

एक और विधायक रालोद के सिंबल पर जीती

राष्ट्रीय लोकदल के अब नौ विधायक हो गए हैं। राजस्थान के भरतपुर सीट को मिला लें तो उसके दस विधायक देशभर में हो गए हैं। यूपी के नौ विधायकों में से चार विधायक रालोद के सिंबल पर दूसरे दलों से जीते हैं। मिथलेश भी इस वक्त भाजपा में हैं।

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