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UP By Election 2024:: नौ सीटों पर प्रचार खत्म, 20 को होगी वोटिंग, 23 नवंबर को आएंगे परिणाम

  • लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुईं यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव का प्रचार अब खत्म हो गया है। दो दिन दिन यानी 20 नवंबर को सभी नौ विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे।

Dinesh Rathour लाइव हिन्दुस्तानMon, 18 Nov 2024 06:00 PM
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UP By Election 2024: लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुईं यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव का प्रचार अब खत्म हो गया है। दो दिन दिन यानी 20 नवंबर को सभी नौ विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे। हालांकि चुनाव में अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। विधानसभा सीटों की बात करें तो आठ सीटों पर मौजूदा विधायकों को लोकसभा सदस्य चुने जाने के कारण खाली हुई हैं, जबकि सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव सपा विधायक इरफान सोलंकी को अयोग्य ठहराए जाने के कारण कराया जा रहा है।

बतादें कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी सीट पर सपा ने कब्जा जमाया था, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर में जीत हासिल की थी। मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के खाते में गई थी, जो अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में भाजपा की सहयोगी है। कांग्रेस उपचुनाव नहीं लड़ रही है। उसने विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) की सहयोगी सपा को समर्थन देने की घोषणा की है।

इन नौ सीटों पर होना है उपचुनाव

कटेहरी (अंबेडकर नगर) : इस सीट पर विधायक साल 2022 के सामान्य निर्वाचन में लालजी वर्मा चुने गए थे। सपा के लालजी वर्मा इसी साल हुए लोकसभा के चुनाव में सांसद भी चुन लिए गए। सांसद चुने जाने के बाद लाल जी वर्मा ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया। इससे विधानसभा की सीट खाली हो गई। इसके चलते उपचुनाव हो रहा है। उपचुनाव के लिए निर्वाचन आयोग की ओर से 15 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की गई थी। इसके अनुसार निर्वाचन प्रक्रिया 18 अक्तूबर से शुरू हुई थी।

करहल (मैनपुरी): सपा की गढ़ कही जाने वाली करहल सीट से 2022 में अखिलेश यादव विधानसभा सदस्य चुने गए थे। कुछ दिन पहले हुए लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव को सांसद चुना गया तो उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद ये सीट खाली हो गई। यादव लैंड कही जाने वाली मैनपुरी की करहल सीट पर भाजपा कभी नहीं जीती है। ज्यादातर समय सपा के पास ही यह सीट रही है। इस बार सपा ने यादव परिवार के ही तेज प्रताप यादव को मैदान में उतारा है। भाजपा ने अभी प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है। अखिलेश यादव से पहले 1985 से 1996 तक लगातार पांच बार बाबू लाल यादव यहां से विधायक बने। उनके बाद 2002 से 2017 तक लगातार चार बार सोबरन सिंह यादव विधायक चुने गए। दोनों ही मुलायम सिंह यादव के बेहद खास माने जाते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने भाजपा के एसपी सिंह बघेल को करीब 70 हजार वोटों से हराया था। अखिलेश यादव को 148,197 और एसपी सिंह बघेल को 80,692 वोट हासिल हुए थे। यहां से जीतने के बाद अखिलेश यादव विधानसभा में विपक्ष के नेता भी बने थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज से सांसद बनने के बाद उन्होंने करहल से इस्तीफा दे दिया था।

मीरापुर (मुजफ्फरनगर) : 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर आरएलडी नेता चंदन चौहान को विधायक चुना गया था। चंदन चौहान ने लोकसभा सदस्य बनने के बाद इस सीट से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद ये सीट खाली हो गई। 2022 के विधानसभा चुनाव में रालोद का सपा से गठबंधन था। उस समय आरएलडी के चंदन चौहान को 107421 वो मिले थे। जबकि भाजपा के प्रशांत गुर्जर के खाते में 80041 वोट थे। सपा का हाल और बुरा था। मोहम्मद सलीम को केवल 23797 वोटों से ही संतोष करना पड़ा था। अगर जातीय समीकरण की बात करें तो मीरापुर विधानसभा सीट में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। यहां एक लाख से अधिक मुस्लिम हैं। जबकि 50 हजार अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं। वहीं, 24 हजार जाट और 18 हजार गुर्जर मतदाता हैं। इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 3.30 लाख है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या करीब एक लाख 74 हजार और 1.56 लाख महिला मतदाताओं की संख्या है।

मझवां (मिर्जापुर) : निषाद पार्टी के विनोद बिंद यहां से 2022 में विधायक चुने गए थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें भदोही से प्रत्याशी बनाया और वह जीतकर सांसद बन गए। इसके बाद मझवां सीट से इस्तीफा दे दिया था। इससे यह सीट खाली हो गई थी। 20 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए इस बार सपा ने यहां से ज्योति बिंद को उतारा है। ज्योति बिंद भदोही के पूर्व सांसद और मझवां सीट से तीन बार विधायक रहे रमेश बिंद की बेटी हैं। रमेश बिंद भाजपा में भी लंबे समय तक रहे हैं। बसपा ने दीपू तिवारी को मैदान में उतारा है। भाजपा ने इस सीट पर पूर्व विधायक सुचिश्मिता को मैदान में उतार दिया है। भाजपा प्रत्याशी पूर्व विधायक सुचिश्मिता मौर्य वर्ष-2017 में मझवां विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर विधायक चुनी गई थीं। इसके पूर्व वे जिला पंचायत सदस्य भी रह चुकी हैं। सुचिश्मिता मौर्य वाणिज्य से स्नातक हैं। बीते दो दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। वर्ष-2017 में मझवां विधानसभा सीट निषाद पार्टी को समझौते में दे दिए जाने के कारण भाजपा ने सुचिश्मिता मौर्य का टिकट काट दिया था। बावजूद वे पार्टी के कार्यों में पूरी तनमयता से जुटी रहीं। सुचिश्मिता मौर्य के ससुर स्व. रामचंद्र मौर्य मझवां विधानसभा से वर्ष-1996 में विधायक चुने गए थे। वे पेशे से कालीन व्यवसायी थे।

खैर (अलीगढ़) : अलीगढ़ जिले की खैर सीट अनूप सिंह के सांसद बनने के बाद खाली हो गई थी। जाटलैंड कही जाने वाली खैर विधानसभा सीट पर दो बार से भाजपा का कब्जा रहा है। आजादी के बाद साल 1957 में अस्तित्व में आई टप्पल और अब खैर सीट जाट बाहुल्य होने के कारण चौधरियों का कब्जा रहा है। इसी कारण इसे जाटलैंड भी कहा जाता है। सबसे पहले बसपा के सोषल इंजीनियरिंग फॉर्मूले ने यहां ब्रेक लगाया और 2002 में बसपा के टिकट पर ब्राह्मण नेता प्रमौद गौड़ चुनाव जीते। हालांकि 2007 में रालोद के चौ. सत्यपाल सिंह के सामने बसपा प्रत्याशी प्रमोद गौड़ चुनाव हार गए थे। इसके बाद अनुसूचित जाति के लिए सीट आरक्षित हो गई। इस पर भाजपा ने दिलेर परिवार की तीसरी पीढ़ी में सुरेन्द्र दिलेर को टिकट दिया है। वहीं बसपा व कांग्रेस के बाद सपा में पहुंच साइकिल की सवारी करने वाली डा. चारू कैन को सपा ने चुनावी मैदान में उतारा है। हालांकि पूर्व में यह सीट कांग्रेस के खाते में जाने की चर्चा थी। जिसके चलते चारू ने कांग्रेस की भी सदस्यता ली थी। तीसरे प्रत्याशी के रूप में बसपा ने डा.पहल सिंह को प्रत्याशी बनाया है। जाति समीकरण की बात करें तो यहां कुल 405113 वोटर हैं। इनमें एक लाख जाट, 60 हजार एससी, 70 हजार ब्राहाम्ण, 35 हजार मुस्लिम, 30 हजार ठाकुर, 20 हजार वैश्य हैं।

फूलपुर (प्रयागराज) : 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रवीण पटेल विधायक बने थे लेकिन 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सांसद बन गए। सपा ने उस समय मुज्तबा सिद्दकी को मैदान में उतारा था। कांटे की टक्कर में वह भाजपा के प्रवीण पटेल से मात्र 2765 वोट से हार गए थे। हालांकि इससे पहले मुज्जबा सिद्दकी बसपा के टिकट पर तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। साल 2002 और 2007 में वह सोरांव से चुनाव जीते। 2012 में बसपा ने उन्हें प्रतापगढ़ से टिकट दिया लेकिन वह हार गए। फिर 2017 में वह दोबारा प्रतापगढ़ से चुनाव लड़े और जीत हासिल की। इस बार अखिलेश यादव ने इंडिया गठबंधन को जोरदार झटका देते हुए यहां से मुज्तबा सिद्दकी को अपना प्रत्याशी बनाया है। नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने अपनी आजाद समाज पार्टी से शाहिद अख्तर खान को प्रत्याशी घोषित किया है।

कुंदरकी (मुरादाबाद) : इस सीट पर जियाउर्रहमान बर्क के सांसद बनने के बाद कुंदरकी सीट खाली हो गई थी। कुंदरकी सीट सपा का गढ़ रहा है। 2012 और 2017 में मोहम्मद रिजवान ने जीत हासिल की थी। वहीं 2022 विधानसभा चुनाव की बात करें तो जियाउर्रहमान ने 43 हजार से अधिक वोटों से भाजपा के कमल प्रजापति को हराया था। अगर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है। 65 फीसदी मुस्लिम और 35 फीसदी हिंदू वोटर हैं। बसपा ने यहां अकेले उपचुनाव लड़ने की घोषणा की है। आजाद समाज पार्टी ने यहां से हाजी चांद बाबू को प्रत्याशी घोषित किया है।

गाजियाबाद : मिल्कीपुर छोड़कर यूपी के 9 सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग होगी। गाजियाबाद की बात करें तो इस सीट पर अतुल अतुल गर्ग 2022 के विधानसभा चुनाव में विधायक चुने गए थे। लेकिन 2024 में हुए आम चुनाव में जीत हासिल कर सांसद बन गए। जिसके बाद ये सीट खाली हो गई। 2022 के विधानसभा चुनाव में अतुल गर्ग को 150205 वोट मिले थे तो वहीं सपा के विशाल वर्मा को 44668 वोट मिले थे। कांग्रेस और बसपा का हाल तो और खराब रहा। अगर गाजियाबाद सीट की जातीय समीकरणों की बात करें तो 80 हजार दलित, 55 हजार ब्राह्मण, 45 हजार पिछड़े, 35 हजार वैश्य, 25 हजार ठाकुर और 35 हजार मुस्लिम मतदाताओं की संख्या है।

सीसामऊ (कानपुर शहर) : 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के हाजी इरफान सोलंकी ने यहां से जीत दर्ज की थी। लेकिन उनके ऊपर आगजनी का एक मामला कोर्ट में चल रहा था। जून महीने में एमपी-एमलए कोर्ट ने आगजनी मामले में सात महीने की सजा सुनाई। इस कारण उनकी सदस्यता समाप्त हो गई। इस बार सपा ने यहां से इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है। जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर 1.11 लाख मुस्लिम तो 1.14 लाख दलित व ब्राह्मण वोटरः सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में लगभग 2.70 लाख मतदाता हैं। इसमें 1.11 लाख मुस्लिम हैं। दलित मतदाताओं की संख्या लगभग 59 हजार है तो ब्राह्मण मतदाता 55 हजार। दोनों को मिलाकर कुल 1.14 लाख मतदाता हैं। इसके बाद छह हजार क्षत्रिय,12000 ओबीसी, 20 हजार कायस्थ तो पांच-छह हजार सिंधी पंजाबी हैं।

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