बोले उन्नाव : कपड़ा बाजार को दे दीजिए व्यवस्था की ओढ़नी
Unnao News - उन्नाव का कपड़ा बाजार आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। व्यापारियों को टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (टीसीएस), पार्किंग समस्याओं और माल भाड़े में बढ़ोतरी के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। व्यापारियों...
उन्नाव की पहचान और समृद्धि का प्रतीक रहा कपड़ा बाजार आज संकट के दौर से गुजर रहा है। आठ करोड़ से अधिक का कारोबार होने के बावजूद सहालग और पर्वों पर भी व्यापारियों को वित्तीय समस्याओं से जूझना पड़ता है। टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (टीसीएस) के कारण बढ़ती आर्थिक चुनौतियां, पार्किंग की अव्यवस्था और मालभाड़े में वृद्धि ने व्यापारियों को कठिनाइयों के समंदर में धकेल दिया है। कपड़ा व्यापारियों ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से अपनी पीड़ा साझा की। सभी ने एक सुर में कहा कि टीसीएस से राहत मिले तो इस पारंपरिक व्यवसाय को एक नई उड़ान मिल सके। शहर में हर चौराहे पर दो-चार रेडीमेड कपड़ों की दुकानें आपको सजी मिल जाएंगी। हर दुकान में ब्रांडेड से लेकर सस्ते और किफायती कपड़े मिल जाएंगे। स्टेशन रोड और बड़े चौराहे का इलाका भी कुछ ऐसा ही है। यहां लाइन से करीब 80 दुकानें हैं। वीडियो में कपड़ा की 800 दुकानें हैं। सहालग छोड़ बाकी दिनों में भी यहां भीड़ रहती है। एक अनुमान के मुताबिक, इस कपड़ा बाजार का रोजाना का करीब 40 लाख का व्यापार है। जिले में करीब एक करोड़ का कारोबार प्रतिदिन होता है। लगन के दिनों में यह आंकड़ा आठ से 10 करोड़ तक पहुंच जाता है। इस कमाई के बाद छोटे-बड़े व्यवसायी टैक्स भी चुकाते हैं, लेकिन उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। टैक्स के नाम और टूट रहे व्यापार पर भी वह मायूस नजर आते हैं। सिम्पू और प्रिंस कहते हैं कि रेडीमेड कपडों का व्यापार अब घाटे का सौदा साबित हो रहा है। कपड़े की दरें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
इम्तियाज़ ने बताया कि ट्रांसपोर्ट पर आने वाला खर्च इतना अधिक है कि लागत निकालना मुश्किल हो रहा है। दिल्ली, हरियाणा, आगरा और कानपुर में भी माल महंगा मिल रहा है। इस माल को लाने के लिए महानगरों के रास्ते ई-रिक्शा और लोडर सहारा बनते है तो उन्हें पुलिसिया रवैये का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी स्टेशन रोड के बजाए उन्हें सीधे कानपुर-लखनऊ बाईपास भेज दिया जाता है तो वाहन चालक अतिरिक्त चक्कर का रुपये जोड़ लेते हैं। कई बार गुहार लगाने के बावजूद यातायात पुलिस सुनती नहीं है। कई ओवरलोड गाड़ियां दिन में भी शहर से होकर निकलती हैं, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं देता है।
कपड़े का कारखाना लगाने की मांग
स्टेशन रोड पर रेडीमेड कपड़ों के व्यवसायी योगेश ने बताया कि अब कंप्टीशन का दौर है। हर तरफ होड़ मची हुई है। हर दूसरे कदम पर एक कपड़े की दुकान मिलेगी। ऐसे में व्यापार न के बराबर रह गया है। दिल्ली, कलकत्ता और नोएडा से कपड़े लाने में जो खर्च आता है, उससे मुनाफा निकला मुश्किल हो रहा है। वह कपड़े के कारखाने लगाने की मांग कर रहे हैं।
ग्रेड बढ़ने से लगा महंगाई का तड़का
रविकांत अग्रवाल कहते हैं कि कपड़े के भाव में पिछले कई साल से ग्रेड बढ़ने से महंगाई का तड़का लगा है। कपड़े की दरें कम होनी चाहिए। अभी तक जो कपड़ा बाहर से आता है, अनेक तरह के कर लगने से वह महंगा हो जाता है। आज के दौर में पूंजी की बहुत ही दिक्कत रहती है। सरकार को चाहिए कि वह व्यापारियों की इस समस्या को सुने और कपड़ा कारोबारियों को राहत दिलवाए जाने का प्रयास करे। तभी कपड़ा कारोबारी अपने व्यापार को बढ़ाकर आम जनता को कम दाम पर कपड़े मुहैया करवा सकता है।
चमड़े संग कपड़े का निर्माण, छोटे दुकानों पर प्रभाव
उन्नाव औद्योगिक नगरी है। यहां चमड़े का व्यापार है। 24 फैक्ट्रियों में जूते, चप्पल, जैकेट और शोल आदि का निर्माण होता है। हालांकि, इस बीच शहर में दो निर्माण इकाइयां ऐसी भी हैं जहां ब्रांडेड शर्ट, जींस, मोजे और टॉप आदि बनाए जाते हैं। कई छोटे कारखाने भी खुल रहे हैं। अब इन्हीं इकाइयों ने शहर में अपना व्यापार बढ़ाया तो छोटे कारोबारियों पर असर पड़ा है। कपड़ा दुकानदार अन्नू सेठ कहते हैं कि अब ब्रांडेड कंपनियों के शोरूम भी खुल गए हैं। जगह-जगह ऑफर दिए जा रहे हैं। ऐसे में स्पर्धा के इस दौर में मुनाफे की आस नाकाफी साबित हो रही है। ग्राहकों की भीड़ भी कम हुई है। वहीं, गारमेंट इंडस्ट्री के व्यापारियों का मानना है कि जीएसटी बढ़ाने से एक हजार रुपये से कम कीमत वाले कपड़े महंगे हो जाएंगे। इसका ब्रांडेड कंपनियों के साथ गैर ब्रांडेड कंपनियों के कपड़ों पर भी असर दिखने लगा।
ऑनलाइन ट्रेडिंग से व्यापार पर पड़ा असर
ऑनलाइन शॉपिंग के मायाजाल ने बाजार की चाल बिगाड़ कर रखी है। स्टेशन रोड पर सुबराती बिल्डिंग के बगल में थोक कारोबारी देवेंद्र कहते हैं कि त्योहार, सहालग और आम दिनों पर दुकानों में भरपूर स्टॉक रहता है। लेकिन, बाजार में उतने ग्राहक दिखाई नहीं देते हैं। हालात यह है कि व्यापारियों को भरोसा नहीं रहता कि लाया गया माल बिक भी पाएगा। इसका प्रमुख कारण ऑनलाइन शॉपिंग है। यही वजह है कि दुकानदार कार्ड स्क्रैच समेत कुछ आकर्षक प्रस्तावों के जरिए ग्राहकों को लुभाने की कोशिश भी करते हैं।
जरा! सी गलती बना देती व्यापारियों को दोषी
राहुल और सिम्पू ने बताया कि उन्हें टैक्स नहीं, बल्कि बिल बनाना और अकाउंटिंग का काम महंगा पड़ रहा है। दरअसल, जीएसटी के तहत कपड़ों पर किस्म के अनुसार अलग-अलग कोड (एचएसएन) निर्धारित कर दिए गए हैं। बिक्री के बिल के साथ व्यापारियों को उसका एचएसएन कोड भी लिखना पड़ रहा है। इसमें थोड़ी सी गलती उन्हें जीएसटी की नजर में दोषी बना देती है।
सुझाव
1. सुबह आठ से शाम नौ बजे तक नो एंट्री लगी रहती है। शाम को नो एंट्री का समय कम होना चाहिए।
2. यातायात नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाए। पार्किंग स्थल का निर्धारण कर वाहनों को वहीं खड़ा कराया जाए।
3. कपड़ों के कारखाने लगाए जाने चाहिए। जिससे कपड़ा दुकानदारों को भी राहत मिल सके।
4. ऑनलाइन खरीदारी पर सरकार की ओर से अंकुश लगाया जाना चाहिए। जिससे दुकानदार भी व्यापार कर सकें।
5. कानून कायदों में कारोबारी को सहूलियत दी जानी चाहिए। तभी कारोबार बढ़ने की आशंका है।
6. विभागों के कर्मियों से दुकानदारों से अवैध वसूली जल्द बंद कराई जानी चाहिए।
शिकायतें
1. सभी टैक्स की अदायगी करने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई सहूलियत प्रदान नहीं की जाती है।
2. टीसीएस जमा करने पर काफी समय बाद वापसी की जाती है। इससे कारोबार प्रभावित होता है।
3. माल लाने वाले वाहन चालकों को पुलिस के गलत रवैया का सामना करना पड़ता है।
4. पार्किंग व्यवस्था न होने से ग्राहक दुकान तक आने से कतराते हैं। इससे कारोबार पर असर पड़ता है।
5. माल लदे वाहनों को मरहला चौराहे पर रोककर चेकिंग की जाती है। सचल दल से दुकान पर चेकिंग करनी चाहिए।
6. पुल के नीचे बना शौचालय पूरी तरह से टूटा पड़ा है। कर्मी सफाई भी नहीं करते हैं। शौचालय ठीक करवाकर हर रोज सफाई होनी चाहिए।
बोले-कपड़ा दुकानदार
टीसीएस जमा कराने के बाद समय से वापसी कर देना जाना चाहिए ताकि व्यापार पर असर न पड़ सकें।
- पवन तनेजा
टीसीएस समय से वापस करना चाहिए ताकि व्यापारियों को राहत मिल सके। पार्किंग की सुविधा भी दिलाए जाए। - मोहम्मद सलीम
जाम से निजात दिलाने के लिए सड़क किनारे से कब्जे हटाने चाहिए तभी कारोबार बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है। - इंतजार अहमद
चौराहों की दोनों लेन पर वाहन खड़े रहते हैं। इस कारण जाम लगने के साथ ही आए दिन दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।
- कुलदीप सिंह
बारिश केदौरान जलभराव होने से कारोबार चौपट हो जाता है। पालिका को समय से नाली सफाई करवानी चाहिए। - मोहम्मद इरफान
वाहनों को खड़े करने के लिए पार्किंग स्थल बनाना चाहिए ताकि ग्राहकों - दुकानदारों को परेशानी का सामना न करना पड़े। हो। - लालता
बोले-जिम्मेदार
रात को नौ बजे के बाद सामान मंगवाएं
शहर में जाम से निजात दिलाने के लिए सुबह आठ से रात नौ बजे तक भारी वाहनों की नो एंट्री रहती है। व्यापारी रात नौ बजे के बाद वाहनों से सामान मंगवाए। चौराहों पर तैनात पुलिस कर्मी वाहनों को नहीं रोकेंगे। अन्य समस्याएं भी अफसरों से राय लेकर सुलझाई जाएंगी।
- भवन सिंह मौर्य, यातायात प्रभारी
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