शराब दुकानों की लॉटरी न निकलने पर तीन कारोबारी हुए अचेत
Unnao News - -आयोजित लॉटरी प्रक्रिया के तहत जिले की सभी देशी, विदेशी व मॉडल व भांग शॉप के 518 दुकानों का हुआ आवंटन

उन्नाव, संवाददाता। शहर के निराला प्रेक्षागृह में गुरुवार दोपहर शराब की दुकानों के आवंटन के लिए ई-लॉटरी प्रक्रिया आयोजित की गई थी। इसमें भाग लेने वाले कई व्यापारियों ने लाखों रुपये दांव पर लगा दिए थे। मगर, लॉटरी में नाम न आने पर तीन कारोबारी अचेत होकर गिर पड़े। इन्हें पुलिस ने उठाकर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती करवाया। यहां उनका इलाज चल रहा है। उधर, लॉटरी में नाम आने पर डीएम ने सभी अनुज्ञापियों को आवंटन पत्र दिया। जिला आबकारी अधिकारी रवि शंकर ने बताया कि शासन एवं आबकारी आयुक्त से जारी नीति के अनुसार, जिले की 518 आबकारी दुकानों के आवंटन के लिए ऑनलाइन ई-लाटरी के माध्यम से सम्पन्न कराई गई। देसी की 349 दुकानों के लिए 6822, कंपोजिट शॉप 142 के लिए 2217, सात मॉडल शॉप के लिए 180 व बीस भांग शॉप के लिए 44 आवेदन किए गए थे। आबकारी दुकानों के कुल 9263 आवेदनों से 43,65,25000 रुपये राजस्व प्राप्त हुआ था। अनुज्ञापियों का लॉटरी के तहत चयन किया जाना था। जिले की सभी तहसीलों की सभी दुकानों का ई-लॉटरी के तहत चयन किया गया। आबकारी नीति के तहत इस बार एक कारोबारी को दो दुकानों का आवंटन किया जाना था। इसमें कईयों व्यापारियों ने 80 से 90 आवेदन कर रखे थे। लॉटरी दौरान नाम आने वालों के चेहरे खिले तो नाम न आने पर कुछ के हाथ मायूसी लगने पर अचेत होकर गिर पड़े। लॉटरी आयोजन के दौरान जिले के प्रशासनिक अधिकारियों और आबकारी विभाग की टीम भी मौजूद रही।
डॉक्टरों ने तनाव से बचने और आराम की सलाह दी
लॉटरी प्रक्रिया जैसे-जैसे आगे बढ़ी, वैसे-वैसे धड़कनें तेज होती गईं। जब कुछ व्यापारियों को यह अहसास हुआ कि उनका नाम नहीं आया तो वह मानसिक तनाव व घबराहट के कारण अचेत हो गए। हालत बिगड़ते ही व्यापारी श्रीकांत जायसवाल को इमरजेंसी पहुंचाया गया। उनके साथ दो अन्य व्यापारियों को भी अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर कौशलेंद्र के मुताबिक, तनाव से बीपी लो हो गया था। व्यापारी श्रीकांत जायसवाल की हालत ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टर ने उन्हें तनाव से बचने व आराम करने की सलाह दी है। उधर, अन्य दो लोगों को प्राथमिक इलाज के बाद डॉक्टर ने छुट्टी दे दी है।
किसी को लगा झटका तो कुछ के खिले चेहरे
शराब की दुकान पाने की होड़ में व्यापारियों ने लाखों रुपये खर्च कर आवेदन किया था। मगर, लॉटरी में चयन न होने से उन्हें भारी आर्थिक व मानसिक झटका लगा। प्रक्रिया पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड व पारदर्शी रखी गई थी ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो। फिर भी कुछ व्यापारियों को उम्मीद थी कि वह किसी न किसी तरह से दुकान पाने में सफल होंगे। कुछ व्यापारियों को निराशा हाथ लगी। वहीं, जिन्हें लॉटरी में दुकानें मिलीं, उनके चेहरे खिल उठे।
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