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बोले उन्नाव: हमारे ‘अभ्युदय की खातिर खोलें नए सेंटर

Unnao News - प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में छात्रों को महंगी कोचिंग और किराए की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की अभ्युदय योजना के तहत कुछ मुफ्त कोचिंग केंद्र हैं, लेकिन छात्रों की मांग है कि इनकी...

Newswrap हिन्दुस्तान, उन्नावFri, 14 Feb 2025 06:04 PM
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बोले उन्नाव: हमारे ‘अभ्युदय की खातिर खोलें नए सेंटर

प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना जितना चुनौतीपूर्ण है, उससे अधिक चुनौती तैयारी करना है। निजी कोचिंग संस्थाओं में महंगी फीस और आने-जाने का किराया छात्र-छात्राओं पर गहरी चोट पहुंचा रहा है। सरकार बच्चों को पढ़ाने के लिए अभ्युदय कोचिंग भी चला रही है, जो निशुल्क है। ऐसे सेंटर गिने-चुने ही हैं। आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की मांग है कि मुफ्त कोचिंग में सीटें बढ़ाई जाएं ताकि उनके सपनों को उड़ान मिल सके। हर गांव में प्रतिभाएं बेशुमार हैं। मगर, संसाधनों के अभाव में मुश्किलें आ रही हैं। निजी कोचिंग संस्थानों की महंगी फीस चुकाने में वह सक्षम नहीं हैं। इसलिए सरकार से नि:शुल्क केन्द्रों का दायरा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। क्योंकि, जिन दो केन्द्रों का संचालन अभी नि:शुल्क हो रहा है वहां तक पहुंचने के लिए गांवों के बच्चों तक साधन नहीं हैं। जिनके पास हैं वह बस और अन्य वाहनों के किराए की महंगी चोट से टूट रहे हैं। ट्रेन को अपनी सुविधा का साधन बनाते हैं तो समय से न पहुंचने के कारण पढ़ाई प्रभावित होती है। ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान छात्र-छात्राओं ने कहा कि सेंटर और सीटें बढ़ाई जानी चाहिए ताकि उनके सपनों को उड़ान मिल सके।

सरकारी और निजी कोचिंग सेंटरों में पढ़ने वाली जागृति चौरसिया और माही श्रीवास्तव बताती हैं कि हम काफी लंबी दूरी से आते हैं। इस कारण सौ से डेढ़ सौ रुपये रोज किराया लग जाता है। रेशू सिंह ने कहा कि महंगी कोचिंग फीस के साथ महंगा किराया काफी दर्द देता है। घर का बजट बिगड़ जाता है। कीर्ति यादव का कहना है कि नि:शुल्क शिक्षा मिल रही है, पर रोज का किराया उनकी पढ़ाई में बाधक बन रहा है।

अभिषेक कनौजिया ने कहा कि ट्रेनों का किराया सस्ता है पर आने में देर कर देती है। अभिषेक कनौजिया बताते हैं कि प्राइवेट और सरकारी कोचिंग के कई बच्चों ने नि:शुल्क शिक्षा का दायरा बढ़ाकर कम से हर ब्लॉक क्षेत्र में अभ्युदय जैसी योजना से मुफ्त केन्द्र स्थापित करने की बात रखी है ताकि उनके साथ सभी ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाओं को लाभ मिल सके। आकांक्षा शुक्ला कहती हैं कि इन कोचिंगों में शिक्षकों की अच्छी फैकल्टी भी हो। जिससे हर जिज्ञासा को शांत किया जा सके।

कानपुर-लखनऊ में तैयारी करने को मजबूर: शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के कई ऐसे छात्र-छात्राएं ऐसे हैं, जो कानपुर-लखनऊ के कोचिंग सेंटरों पर तैयारी करने के लिए मजबूर हैं। पायल मिश्रा कहती हैं कि अगर स्थानीय स्तर पर उन्हें अच्छी कोचिंग मिले तो बाहर जाने की जरुरत ही नहीं है। छात्रों को जिले में संचालित कोचिंग की उन्हें व्यवस्थाएं पसंद नहीं आ रही हैं। इस कारण उन्हें बाहर रहकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।

अभ्युदय के दो केंद्रों पर 210 छात्र कर रहे तैयारी : वर्तमान समय में समाज कल्याण की ओर से संचालित अभ्युदय योजना के तहत दो केंद्र संचालित हैं। इसमें एक केंद्र डीएसएन कॉलेज और दूसरा डायट परिसर स्थित स्काउट गाइड भवन में चल रहा है। सुबह 10 से चार बजे तक बैच चलते हैं। पहला बैच 10 से एक और दूसरा बैच एक से चार बजे तक चलता है। इसमें यूपीएससी-यूपीपीएससी के 60, नीट, एनडीए/ सीडीएस, एसएससी के 50-50 छात्र-छात्र शिक्षा ले रहे हैं। कुल 210 बच्चे तैयारी कर रहे हैं।

सर्द हवाओं में पढ़ने को मजबूर छात्र

संकल्प रावत ने बताया कि डीएसएन और डायट परिसर स्थित भवन में अभ्युदय कोचिंग सेंटर का संचालन किया जा रहा है। यहां खिड़कियों पर दरवाजे और पीने के लिए पानी नहीं है। खिड़कियों में दरवाजे न होने के कारण छात्र सर्द हवाओं में पढ़ने को मजबूर हैं। छत भी क्षतिग्रस्त है।

अधिकारी साझा करते हैं अनुभव

अभ्युदय में संसाधनों की कमी की बात छोड़ दी जाए तो पढ़ाई का स्तर अच्छा है। इस पर स्वयं पढ़ने वाले बच्चों ने सहमति जताई है। बताया कि कोचिंग पर रेगुलर पढ़ाई होती है। डीएम, सीडीओ और समाज कल्याण अधिकारी के अलावा शिक्षा के अधिकारी ऑनलाइन इस पर नजर रखते हैं। शिक्षक भी बेहतर ढंग से पढ़ाई कराते हैं।

एक समान होनी चाहिए फीस

अंशिका सिंह बताती हैं कि बिना पंजीयन, योग्य शिक्षक और मानकों के बगैर संचालन करने के बाद भी फीस में प्राइवेट कोचिंग संचालन कोई रियायत नहीं करते हैं। किसी भी कोचिंग में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए एक समान फीस नहीं है। इसलिए फीस समान होनी चाहिए।

बोले-छात्र

सोहरामऊ से साधन नहीं है। वाहन से आने में बहुत किराया लगता है। किराए में छूट मिलनी चाहिए।

- आकांक्षा शुक्ला

अचलगंज से कोचिंग आती हूं। किराए के पैसे बचाने के लिए साइकिल से रोजाना कोचिंग आती हूं।

- पायल मिश्रा

दूरदराज के छात्रों के लिए शासन की ओर से पढ़ाई के लिए आने-जाने की व्यवस्था होनी चाहिए।

- पूर्णिमा अवस्थी

छात्र-छात्राओं को स्कॉलरशिप मिलनी चाहिए। कई लोग पैसे के अभाव में तैयारी नहीं कर पाते हैं। - वैष्णवी गौड़

साइकिल से अपने गांव भवानी से खेड़ा आती हूं। पढ़ने वाले बच्चों के लिए आवागमन का इंतजाम हो।

- अंशिका सिंह

डिफेंस की तैयारी करने वाले बच्चों के लिए ग्राउंड की नहीं है। इसलिए अच्छा मैदान जरूरी है।

- श्वेता गौड़

बोले-जिम्मेदार

कोचिंग सेंटरों पर बरती जाएगी सख्ती

प्राइवेट कोचिंग सेंटर पर मानक पूरे कराने के निर्देश दिए जाएंगे। अभ्युदय कोचिंग सेंटर पर दरवाजे लगवाने, छत की रिपेयरिंग कराने और डिजिटल बोर्ड के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी की जा रही है। सेंटर स्थायी बनाने के साथ और संख्या बढ़ाने के लिए उच्चाधिकारियों का मार्गदर्शन लिया जाएगा। - प्रेम प्रकाश मीणा, सीडीओ उन्नाव

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