बोले उन्नाव : चौपट हो रहा मौरंग और गिट्टी का कारोबार, स्थायी मंडी की दरकार
Unnao News - सपनों के आशियाने के लिए गिट्टी-मौरंग खरीदना महंगा होता जा रहा है। चालान, जुर्माना और सुविधा शुल्क ने व्यापारियों को संकट में डाल दिया है। अवैध माफिया फल-फूल रहे हैं, जबकि वैध व्यापारी संकट का सामना कर...
सपनों के आशियाने के लिए गिट्टी-मौरंग खरीदना महंगा होता जा रहा है। बेइंतहा चालान, जुर्माना और सुविधा शुल्क की वसूली ने गिट्टी-मौरंग के भाव में आग लगा रखी है। ट्रेडर्स व्यापारियों का ओवरलोडिंग के नाम पर शोषण हो रहा है। व्यापारियों ने बताया कि आज वैध रूप से काम कर रहे लोगों को अपना धंधा समेटने को मजबूर होना पड़ रहा है। वहीं, अवैध रूप से काम कर रहे माफिया फल-फूल रहे हैं। व्यापारियों ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान‘ से अपना दर्द साझा किया। सभी ने एकसुर में प्रशासन से शहर में मौरंग और गिट्टी मंडी के लिए स्थाई स्थल की मांग की, ताकि अपना कारोबार इज्जत के साथ कर सकें। जिले में कहीं भी मौरंग मंडी नहीं है। हाईवे पर सड़क किनारे ट्रकों से बिक्री होती है। थोक और फुटकर विक्रेता यहीं से अपनी जरूरत के हिसाब से रोजाना माल की खरीद करते हैं। इस बीच उन्हें कार्रवाई की जद में जकड़ने का भय सताता है। ऐसा नहीं है कि वह टैक्स चोरी करते है बल्कि वह अदायगी के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं। नो एंट्री, उधारी और कंपटीशन ने व्यापार को चौपट कर दिया। ट्रेडर्स व्यवसायी साहिल चौहान कहते हैं कि मौरंग मंडी न होने की वजह से व्यापारियों के लिए परेशानी बढ़ गई है। मानकर चलिए कि मौरंग और गिट्टी का व्यापार बंद हो गया है, जिससे हजारों व्यापारी संकट में हैं। इसके अलावा सरकार को भी प्रतिदिन लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए एक माह पहले भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने भी डीएम को ज्ञापन दिया था, लेकिन वहां भी सिर्फ आश्वासन दिया गया।
पिंटू शुक्ल कहते हैं कि अगर मौरंग मंडी के लिए हाईवे पर जगह तलाशें तो प्रशासन के पास बहुत रास्ते हैं। सीएसआर या अन्य किसी बजट से मौरंग मंडी बनाकर हम व्यापारियों को सहजता दी जा सकती है। ब्रिज यादव विशाल कहते हैं कि इस व्यवसाय से जुड़े हजारों व्यापारी जनपद में रोजगार और सरकारी राजस्व के मुख्य स्रोत हैं। यदि इनकी समस्याओं का समाधान जल्दी नहीं किया गया तो यह व्यापार चौपट हो जाएगा। इसके अलावा सरकार को भी भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। इसलिए मौरंग मंडी की स्थापना और सुरक्षित स्थानों की व्यवस्था व्यापारियों के हित में अत्यंत आवश्यक है।
रायबरेली में फैक्ट्री बंद, महंगी हो रही सीमेंट
असल में सीमेंट की सप्लाई रायबरेली, लखनऊ समेत कई जनपदों से होती है। व्यापारी प्रदीप बताते हैं कि रायबरेली में कई माह से फैक्ट्रियां बंद हैं। ऐसे में सीमेंट के दाम में दो चार रुपये का इजाफा आया है। जो नई कंपनियां हैं, उन पर भरोसा नहीं है। ऐसे में आपूर्ति करना टेढ़ी खीर है।
भाड़े के एवज में लागत फिर मुनाफा निकालना कठिन : डीजल पर महंगाई का असर मौरंग पर पड़ता है। ट्रांसपोर्ट खर्च मिलाकर मुनाफा निकालना मुश्किल होता है। कई बार डायवर्जन की वजह से कई किलोमीटर दूर से ट्रक चक्कर लगाकर पहुंचते हैं तो उन्हें अतिरिक्त चार्ज देना पड़ता है। इससे मौरंग में दो-तीन रुपये इजाफा होने पर मंदी सामने आ जाती है।
नियमानुसार काम करने वाले कारोबार से हो रहे बाहर
कारोबारियों ने बताया कि जो ट्रक संचालक ओवरलोडिंग कर रहे हैं, वह बाजार में कम दाम में गिट्टी-मौरंग बेच रहे हैं। इसकी मार नियमानुसार काम करने वाले व्यापारियों पर पड़ रही है। अवैध रूप से काम करने वाले ट्रेडर्स व्यापारी भी ग्राहकों को कम दाम पर निर्माण सामग्री बेच देते हैं। इस कारण वैध रूप से काम करने वाले व्यापारियों के पास ग्राहक कम आते हैं। इससे आर्थिक चोट का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों पर प्रशासन को सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि वैध व्यापारियों को नुकसान का सामना न करना पड़े।
श्रमिकों की कमी का असर भी पड़ रहा
व्यापारियों ने बताया कि श्रमिकों की कमी ने भी संकट में डाल रखा है। सबसे ज्यादा समस्य सर्द हवाओं और गर्मियों के सितम में नजर आती है। मजदूर ढूंढे नहीं मिलते हैं। कई बार तो मजदूरी से ज्यादा रकम देने के बावजूद काम कराना मुश्किल होता है। इस महंगाई का असर सप्लाई पर पड़ता है। सीमेंट, मौरंग, गिट्टी की सप्लाई कराते वक्त एक दो रुपये बढ़ाकर ग्राहकों से लेना पड़ता है।
कहां से आएं वाहन, हर तरफ नो एंट्री
असल में कब्बाखेड़ा और पूरन नगर में जो ट्रेडर्स व्यवसायी हैं, उनके सामने एक सबसे बड़ी समस्या नो एंट्री की है। शहर के रास्ते से आने पर मनाही लगती तो हरदोई ब्रिज मददगार बनता है। यहां से दोस्तीनगर के रास्ते पूरन नगर को ट्रक और मौरंग-गिट्टी लदे डंपर आते हैं। आरोप है कि उन्हें भी चौराहे पर लगे पुलिस कर्मी अंदर आने से रोक देते हैं। सुविधा शुल्क देने पर बेरीकेडिंग हटा देते हैं। ऐसे में मौरंग के दाम में अन्य बाजार की अपेक्षा एक दो रुपये की महंगाई आती है। इस कारण व्यापारियों का मुनाफा भी कम हो जाता है।
सुझाव
1. बैंकों से कर्ज लेने पर व्यापारियों को धनराशि की अदायगी के लिए समय सीमा में छूट दी जानी चाहिए।
2. यातायात नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाए, मगर नो एंट्री के लिए रात का समय कम किया जाना चाहिए।
3. प्रशासन की ओर से निर्धारित स्थल पर मौरंग-गिट्टी की मंडी के लिए स्थान चिह्नित किया जाए।
4. परिवहन और यातायात पुलिस को कार्रवाई से पहले सभी जांच कर लेनी चाहिए। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
5. दोस्ती नगर में डायवर्जन हटाया जाए। समस्याओं के हल होने के बाद ही धंधे में लाभ हो सकता है।
शिकायतें
1. अवैध खनन माफिया बाजार में कम दाम पर गिट्टी-मौरंग की बिक्री करते हैं, जिससे वैध कारोबारियों का व्यापार खत्म हो रहा है।
2. शहर की ओर आने वाले वाहनों से खनिज विभाग के अधिकारी बेवजह रायल्टी के कागज मांगकर परेशान करते हैं।
3. चालान के समय वाहन के पेपर लॉक कर दिए जाते हैं, जिससे फिटनेस कराते समय वाहन मालिकों को मुश्किल होती है।
4. सभी टैक्स की अदायगी के बाद भी मूलभूत सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
5. नो एंट्री की वजह से अंदर तक वाहन नहीं आ पाते हैं। देर रात तक दुकानें खोलनी पड़ती हैं।
बोले ट्रेडर्स व्यापारी
मौरंग एकत्रित कोई करे पर दोषी हमें ही माना जाता है। परेशानियों को दूर करने पर ध्यान दिया जाए। - अभिषेक यादव
मौरंग मंडी के लिए स्थायी जगह दी जाए। आमदिनों में भी दुकान के बाहर जलभराव की समस्या रहती है। - साहिल चौहान
निर्धारित स्थल पर ही मौरंग-गिट्टी की मंडी लगवानी चाहिए। हाईवे किनारे मंडी होने से दुर्घटना का डर रहता है। - आर्यन
बारिश के दौरान धंधा धड़ाम हो जाता है। इसके चलते तीन माह तक घर का खर्च चलाना दूभर हो जाता है। - विराट
जलभराव होने से धंधा चौपट हो जाता है। पालिका को समय से नाली सफाई करवानी चाहिए।
-अरविंद तिवारी
बोले जिम्मेदार
मौरंग मंडी के लिए बनाई जा रही योजना
व्यापारियों ने मौरंग मंडी बनाने के लिए प्रस्ताव जिला प्रशासन को सौंपा था। इस पर योजना बनाई जा रही है। जिलाधिकारी गौरांग राठी के निर्देशानुसार किसी निकाय क्षेत्र में या अन्य कहीं मंडी बनाने के लिए कार्ययोजना भी बनाई जाएगी। अनुमोदन और बजट मुहैया होने के बाद नई मंडी का निर्माण होगा।
- विकास सिंह, एडीएम-(नगर निकाय प्रभारी) उन्नाव
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