आरक्षण: उन्नाव में लंबे अरसे से जमी प्रधानी की जड़ें उखड़ीं
उन्नाव | हिन्दुस्तान टीम जिले में लगभग दो सैकड़ा ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जो अभी तक एक ही परिवार की जागीर सी बनकर रह गई थी। इस बार आरक्षण...
उन्नाव | हिन्दुस्तान टीम
जिले में लगभग दो सैकड़ा ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जो अभी तक एक ही परिवार की जागीर सी बनकर रह गई थी। इस बार आरक्षण जारी होने के बाद यहां सालों से प्रधानी चला रहे दिग्गजों को तगड़ा झटका लगा है। कई गांव पहली बार आरक्षण की जद में आए हैं, इसलिए यहां दिग्गज अब चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
ब्लॉक मियागंज की ग्राम पंचायत मांखी लंबे समय से पूर्व विधायक के परिवार में रही है। यहां पहले विधायक की मां, फिर भाई और भाई पत्नी प्रधान थी। इस बार माखी की सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गई है। हालांकि माखी की सीट 2010 में भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। ब्लॉक नवाबगंज का गौरा कठेरवा ग्राम पंचायत अभी तक एक बार भी आरक्षित नहीं रही। यह सीट भी अधिकांश समय नवाबगंज के पूर्व ब्लॉक प्रमुख के घर में ही रही है।
ब्लॉक के दौलतपुर, खानपुर कुरौली, दबौली, खैरी गुरुदासपुर, राजेपुर ऐसी ग्राम पंचायतें हैं। जहां लंबे समय से एक ही परिवार के प्रधान रहे। इस बार यह सीटें आरक्षण की जद में आ गई हैं।
बीघापुर ब्लॉक की अकवाबाद ग्राम पंचायत में पहली बार आरक्षण लागू हुआ है। यहां सूर्य प्रकाश सिंह नाना लंबे समय तक प्रधान रहे हैं। इसी तरह घाटमपुर में अमरेश दीक्षित, धमनी खेड़़ा के सुरेश शुक्ल के घर भी प्रधानी लंबे समय तक रही है। इस बार दोनों ग्राम पंचायतें आरक्षण की जद में आई हैं।
ब्लॉक हिलौली के गांव गोनामऊ में सबसे पहले बच्चू सिंह के प्रधान बने। उसके बाद उनके पुत्र पुत्ती सिंह, इसके बाद पुत्ती सिंह के पुत्र किरण सिंह, इसके बाद किरण सिंह की पत्नी गंगा देवी, इसके बाद उनके पुत्र आशू सिंह प्रधान रहे। इस बार यह सीट भी आरक्षण की जद में आ गई है। असोहा की बचरौली और कालूखेड़ा में भी लंबे समय से एक ही परिवार का प्रधान रहा है। इस बार स्थिति भी बदलती दिख रही है।
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