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बोले उन्नाव : ट्रेनें तो रन-थू्र हो गईं, हमारी जिंदगी ठहर गई

Unnao News - रेलवे वेंडर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। ट्रेनों की बंदी और अवैध वेंडरों की बढ़ती संख्या उनके रोजगार को प्रभावित कर रही है। कोविड के पहले 100 से अधिक ट्रेनें चलती थीं, अब मात्र 20 से 25 ट्रेनों का...

Newswrap हिन्दुस्तान, उन्नावThu, 27 Feb 2025 02:16 AM
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बोले उन्नाव : ट्रेनें तो रन-थू्र हो गईं, हमारी जिंदगी ठहर गई

कभी हर रोज हजारों रुपये कमाने वाले रेलवे वेंडर आज आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। ट्रेनों की बंदी और अवैध वेंडरों की मौजूदगी उन्हें रोजगार से दूर कर रही है। महंगाई के इस दौर में जब जरूरत के हिसाब से कमाई न हो पाई तो कई वेंडरों ने दूसरे व्यवसाय को अपनी जीविका का साधन बना लिया। जो अभी जुड़े हैं, उनकी आवश्यक जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। वेंडरों ने कहा कि यहां का समोसा पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध था। अब लोग इसके स्वाद से दूर हो रहे हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से वेंडरों ने अपनी पीड़ा साझा की। सभी ने एकसुर में कहा कि ट्रेनों का ठहराव फिर से हो और अवैध वेंडरों पर रोक लगे। समोसे की बिक्री के लिए स्टेशन पर जगह मिले तो हमारे पुराने दिन लौट आएंगे।

कानपुर और लखनऊ के बीच जिले के मुख्य रेलवे स्टेशन उन्नाव जंक्शन पर फूड वेंडर परेशान हैं। कोविड के बाद कई ट्रेनों का ठहराव बंद होने और अवैध वेंडरों की संख्या बढ़ने से रजिस्टर्ड वेंडरों की आमदनी घट गई है। आलम यह है कि अब रेलवे के वेंडर परिवार चलाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। वेंडर संजय चौरसिया बताते हैं कि कोविड के पहले एक सैकड़ा से अधिक ट्रेनें उन्नाव स्टेशन से गुजरती थीं। अब महज 20 से 25 ट्रेनों का ही ठहराव है। कुछ ट्रेनें ऐसी हैं, जो महज एक से दो मिनट ही रुकती हैं। इतने समय में हम क्या-क्या बेंच लेंगे।

राजू बताते हैं कि कोविड के पहले कानपुर से लखनऊ के बीच 18 से अधिक लोकल ट्रेनें चलती थी। इनकी संख्या अब घटकर छह पहुंच गई है। इससे काम काफी प्रभावित हुआ है। धर्मेंद्र ने बताया कि बालमऊ और रायबरेली से आने वाली कई ट्रेनें बंद हुईं या उनका रूट बदल दिया गया। इससे अब काफी दिक्कतें आ रही हैं। प्रकाश ने बताया कि सर्दी के मौसम में यात्री पानी नहीं खरीदते हैं। ट्रेनों में कमी, ठहराव न होना जैसी समस्या के कारण दिनभर में 10 से 15 बोतल ही बिक रही हैं। हालांकि, गर्मी में पानी की डिमांड बढ़ जाएगी। लेकिन, उस वक्त अवैध वेंडर सक्रिय हो जाते हैं। इससे वैध वेंडरों के काम में बाधा उत्पन्न होती है। विवेक का कहना है कि रेलवे ने पहले दो फर्मों को ही ठेका दिया था। बाद में एक और फर्म बढ़ गई। इससे वेंडरों में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। अब माल बेचने में इतनी मारामारी रहती है कि बता नहीं सकते हैं। रात में अराज तत्वों से असुरक्षा भी रहती है। रामकृष्ण का कहना है कि कोविड के बाद लग रहा था कि ट्रेनों का संचालन दोबारा शुरू होगा तो व्यवस्था वापस पटरी पर लौटेगी, लेकिन तीन साल बाद भी व्यवस्थाएं जस की तस बनी हुई हैं।

कोविड के बाद बिगड़े हालात, अब तक नहीं सुधरे

वेंडर राकेश के मुताबिक, रेलवे स्टेशन पर मौजूदा समय में करीब 25 वेंडर हैं। इनमें ज्यादातर समोसा या पानी बेचते हैं। इसके अलावा कई वेंडर स्टेशन पर स्टॉल लगाते हैं। इनमें वह भोजन के अलावा स्नैक्स और पैकेट बंद सामान बेचते हैं। कोविड के बाद ज्यादातर फूड काउंटर बंद हैं, या उनमें अधूरा सामान है। स्टेशन पर अब पहले जैसी चहल-पहल नहीं दिखती है। कुम्भ के समय तो ट्रेनों में कुछ अधिक यात्री सफर कर रहे हैं, लेकिन मेला समाप्त होने के बाद फिर से दुश्वारियां झेलनी पड़ेंगी।

लोकल ब्रांड बेचकर मुनाफा काटते हैं अवैध वेंडर

अवैध वेंडर यात्रियों को अवैध रूप से सामान बेचते हैं। छोटे स्टेशनों पर यात्री बगैर मानक के ही खाद्य पदार्थ खरीद लेते हैं। इसके बावजूद रेलवे सुरक्षा को दरकिनार कर अवैध वेंडर प्लेटफार्म से लेकर ट्रेनों में लोकल ब्रांड पानी, चिप्स, नमकीन और बिस्कुट पैकेट बेचते हैं। खुलेआम गुटखा और सिगरेट की भी बिक्री करते हैं। अधिकारी कई बार चेकिंग अभियान चलाते हैं। इसके बावजूद अवैध वेंडरों पर नकेल नहीं कसी जा सकी है।

अवैध दुकानों को अनदेखा कर देते हैं अफसर

वेंडर पिंटू के मुताबिक, रेलवे स्टेशन परिसर पर ही कई अवैध दुकानों का संचालन होता है। यात्री इन्हीं दुकानों पर जाकर सामान खरीदते हैं। स्टेशन आने के पहले ही यह दुकानें यात्रियों को मिल जाती हैं। अवैध रूप से संचालित इन दुकानों पर अधिकारी भी कार्रवाई नहीं करते हैं। प्रकाश ने कहा कि रेलवे स्टेशन के बाहर संचालित दुकानों में चाय, बिस्किट सहित अन्य खाद्य पदार्थों के अलावा नशे के उत्पाद भी मिल जाते हैं। इन दुकानदारों को कहीं टैक्स या अन्य कोई शुल्क नहीं देना है। इससे लाभ का पूरा हिस्सा इन दुकानदारों की जेब में जाता है। इन अवैध दुकानों के संचालन से हम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

सरकारी सुविधाओं का दिलाया जाए लाभ

वेंडर मुनेश का कहना है कि कई बार सामान बेचने के चक्कर में वेंडर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। नियमों में उलझकर वेंडर सरकारी लाभ भी नहीं ले पाते हैं। इस कारण खुद और परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। वेंडरों को भी सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले। मेडिकल की नि:शुल्क सुविधा भी दी जानी चाहिए। इसके अलावा दुर्घटना और जीवन बीमा, भविष्य निधि, कार्यस्थल पर विश्रामगृह की व्यवस्था होनी चाहिए। संजय ने बताया कि मूलनिवास से कार्यस्थल तक आने के लिए वेंडरों को बस या नि:शुल्क साधन की व्यवस्था होनी चाहिए। कैटरिंग या स्टेशन पर स्टॉल लगाने वाले वेंडरों को भी सुरक्षा व सम्मान से जीवनयापन करने का पूरा अधिकार है। इसलिए छोटे वेंडरों की सहूलियत पर भी रेलवे को ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा यात्रियों को भी हम लोगों से सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए। हम लोग भी परिवार का भरण-पोषण करने के लिए बिक्री कर रहे हैं।

सुझाव

1. ट्रेनों के अंदर और स्टेशन परिसर पर घूमने वाले अवैध वेंडरों पर नकेल कसी जाए।

2. नए नियम लागू होने के बाद बड़े ठेकेदार ही टेंडरों का लाभ लेते हैं। छोटे वेंडरों को सहूलियत मिलनी चाहिए।

3. स्टेशन परिसर पर ही वेंडरों को आराम के लिए विश्राम गृह की व्यवस्था की जाए।

4. रेलवे से जुडे वैध वेंडरों का एक संगठन बनाया जाए, जो उनकी समस्याओं को अफसरों तक पहुंचा सके।

5. स्टेशन के बाहर संचालित हो रही दुकानों को रेलवे परिसर से दूर हटाया जाए।

6. चिकित्सा सुविधा और अन्य योजनाओं का लाभ मिले।

शिकायतें

1. अवैध वेंडरों की धमाचौकड़ी से वैध वेंडरों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

2. स्टेशन परिसर के बाहर अवैध दुकानों पर कार्रवाई नहीं की जाती है।

3. रेलवे स्टेशन पर कई ट्रेनों का संचालन बंद होने से आमदनी प्रभावित हो रही है।

4. कुछ ट्रेनों का ठहराव बंद हुआ। लोकल ट्रेनें भी नहीं चल रही हैं।

5. वेंडरों को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता है।

6. रेलवे स्टेशन पर विश्राम स्थल न होने से बेंचों पर लेटकर आराम करते हैं।

7. रेलवे अस्पताल में मात्र एक चिकित्सक के सहारे व्यवस्थाएं चल रही हैं।

बोले रेलवे वेंडर

स्टेशन पर वेंडरों की आय अनियमित होती है। इस कारण कभी-कभी आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।

- संजय चौरसिया

छोटे वेंडरों से यात्री अक्सर अपमानजनक व्यवहार करते हैं। छोटे वेंडरों की सहूलियत पर भी रेलवे को ध्यान देना चाहिए। - राजू

रेलवे स्टेशन पर अवैध वेंडरों को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। इससे काम भी प्रभावित होता है।

- धर्मेंद्र कुमार

नियमों की जटिलता से वेंडरों का काम प्रभावित होता है। इसका सीधा असर उनकी आमदनी पर पड़ता है।

- प्रकाश

वेंडरों को अक्सर सुरक्षा की चिंता रहती है। रात को नशे की हालत में यात्री अभद्रता करते हैं। इस पर लगाम लगाई जाए।

- विनोद कुमार

बोले जिम्मेदार

अवैध वेंडरों पर कर रहे कार्रवाई

रेलवे स्टेशन और ट्रेनों पर अवैध वेंडरों पर रोकथाम के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। पकड़कर उन पर कार्रवाई भी की जा रही है। सुरक्षा के दृष्टिगत जो पंजीकृत वेंडर हैं, उन्हें जागरूक भी किया जा रहा है। उनसे भी कहा जाता है कि अगर कोई अवैध वेंडर दिखे तो वह जानकारी दें। यात्रियों से भी अपील है कि खाने-पीने की चीजें वैध वेंडरों से ही खरीदें।

- हरीश कुमार, आरपीएफ इंस्पेक्टर

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