बोले उन्नाव : हमें ठौर मिल जाए तो खत्म हो कमीशनबाजी का खेल
Unnao News - प्लंबरों को पानी की सप्लाई और जलनिकासी में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है, लेकिन उन्हें उचित पारिश्रमिक और सुरक्षा उपकरणों की कमी का सामना करना पड़ता है। कई प्लंबरों ने अपनी समस्याओं को साझा करते...
घर हो या फिर बाहर पाइपलाइन बिछाकर हम सबको व्यवस्थित ढंग से पानी उपलब्ध कराने और जलनिकाली को बेहतर बनाने वाले प्लंबर की जरूरत सभी को है। मगर, उनकी जरूरतों और मुश्किलों के निवारण का निराकरण करने वाला कोई नहीं है। दुश्वारियों के बीच वह घिसट रहे हैं। बढ़ती टेक्नोलॉजी ने उनके लिए रोजगार के संकट खड़े कर दिए हैं। हर रोज पारिश्रमिक भी नसीब नहीं हो पा रहा है। रोडवेज बस अड्डे के पास हार्डवेयर की एक दुकान पर प्लंबरों ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से अपनी पीड़ा साझा की। सभी ने एकसुर में कहा कि यदि उनको निश्चित ठौर मुहैया करा दिया जाए तो कमीशनबाजी का खेल खत्म हो जाएगा। सरकारी दफ्तरों, इमारतों, संस्थानों और घरों की छतों पर टंकी लगाकर पानी सप्लाई की व्यवस्था प्लंबर ही करते हैं। इसके अलावा पानी की सुगम निकासी, लीकेज आदि को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधों पर है। शासन की ओर से प्लंबरों के लिए कई योजनाएं भी संचालित हैं, लेकिन इन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्लंबर बॉबी बताते हैं कि महानगरों में प्लंबरों को प्रशासन की ओर से आईडी कार्ड जारी किए गए हैं। इससे उन्हें काम के दौरान काफी सहूलियत मिलती है। आईडी कार्ड होने से सरकारी योजनाओं का लाभ भी उन तक पहुंचता है, लेकिन अपने यहां ऐसी व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि प्लंबरों को निश्चित ठौर मुहैया करा दिया जाए तो कमीशनबाजी का खेल खत्म हो जाएगा।
प्लंबरिंग का काम करने वाले वीरू कहते हैं कि पहले जब लोहे के पाइप चलते थे तो काम ज्यादा मिलता था। अनट्रेंड लड़के हेल्पर ही रहते थे और काम सीखने के बाद ही प्लंबर बनते थे। हाईटेक टेक्नालॉजी के बाद सुलेशन पाइप चलने लगे। अब उनको जोड़ने में ज्यादा हुनर की जरूरत नहीं है। इसलिए नए-नए लड़के भी इस काम को करने लगे हैं। इस कारण काम ठीक से होता नहीं है। लीकेज होने पर लोगों की गुस्सा का शिकार हम लोगों को होना पड़ता है। दिनेश का कहना है कि वह पिछले तीस वर्षों से इस काम से जुड़े हैं। समय के साथ काम तो बढ़ा है, लेकिन कोई सुविधाएं नहीं मिलीं। बगैर सुरक्षा उपकरणों के ही हम काम करते हैं। कंपनियां हम लोगों के लिए सुरक्षा के उपकरण और अन्य कई सामान भेजती हैं, लेकिन वह सामान दुकानदार अपने पास ही रख लेते हैं। सिर्फ चहेतों को ही सामान देते हैं।
काम के बाद पूरा पैसे मिलने में परेशानी
तीस वर्ष से प्लंबर का काम कर रहे नन्हके ने बताया कि ज्यादातर मामलों में काम के बाद पूरा पैसा नहीं मिलता है। कई ग्राहक कुछ काम बाद में कराने के नाम पर पैसा रोक लेते हैं और बाद में दूसरे प्लंबर को बुलाकर काम पूरा कराकर हमारा पैसा नहीं देते हैं। बार-बार चक्कर लगाने के बाद भी मेहनत का रुपये नहीं मिलता है। अब इसकी किससे शिकायत करें।
जितना अधिक कमीशन, उतना ज्यादा काम
प्लंबर की दुकान पर बैठे श्रीराम ने बताया कि दुकानों से ही काम निकलता है। ग्राहक दुकान से सामान खरीदता है और दुकानदार से ही प्लंबर की मांग करता है। कुछ दुकानदार कमीशन के एवज में काम देते हैं। जो जितना ज्यादा कमीशन देगा, उसको उतना काम मिलेगा। इसलिए हम लोगों के लिए भी जिला प्रशासन एक स्थान चयनित करे, जहां शहर के सारे प्लंबर मौजूद रहें। सीधे ग्राहक प्लंबर से संपर्क करें। इससे कमीशनबाजी से मुक्ति मिल जाएगी।
निजी खर्च से सुरक्षा उपकरणों का करते हैं प्रबंध
श्यामू का कहना है कि कई बार लीकेज या पाइप चोक हो जाने पर उनकी सफाई करनी पड़ती है। बगैर सुरक्षा उपकरणों के काम करना काफी जोखिम भरा होता है। पाइप निर्माता कंपनियां हमारे लिए सुरक्षा उपकरण भेजती हैं, लेकिन दुकानदार चहेते को ही उपकरण उपलब्ध कराते हैं। जबकि, सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट और ग्लव्स की जरूरत हमें खुद के खर्च से पूरी करनी होती है। अधिक जोखिम वाले स्थान पर काम करने के दौरान भी सीमित ही रुपये मिलते हैं, जबकि ऐसी स्थिति पारिश्रमिक बढ़कर मिलना चाहिए। इसको लेकर एक गाइडलाइन जारी होनी चाहिए।
दो हजार लोगों का परिवार निर्भर
प्लंबर राजन के मुताबिक, शहर में छोटी-बड़ी मिलाकर तीन सौ से अधिक हार्डवेयर की दुकानें हैं। इनमें लगभग तीन सौ ही प्रशिक्षित प्लंबर हैं। करीब 500 हेल्पर हैं। इसके अलावा इन दुकानों में छह सौ से अधिक श्रमिक काम करते हैं। इस तरह दो हजार लोगों का परिवार इसी व्यवसाय पर निर्भर है। इस व्यापार की सबसे मजबूत कड़ी प्लंबर है। इस धंधे में अब ज्यादा बचत भी नहीं बची है। ऐेसी महंगाई में बच्चों को पढ़ाना भी मुश्किल हो रहा है। रोजी-रोटी का संकट अलग से बना रहता है। यदि जिला प्रशासन पारिश्रमिक तय कर दे तो काफी राहत मिल जाएगी।
युवाओं को मिले प्रशिक्षण तो बढ़ें रोजगार
शहर में दिनोंदिन बढ़ रहे निर्माण कार्य से इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं। युवा प्लंबरों ने एकसुर में कहा कि सरकार की ओर से यदि प्लंबरों को प्रशिक्षित करके उन्हें सरकारी आवासों व कार्यालयों में काम दिलाया जाए तो प्रशिक्षित प्लंबर बेहतर ढंग से काम करेंगे और बड़ी तादाद में युवाओं को रोजगार मिलेगा। हुनरमंद युवा इस क्षेत्र में आगे बढ़कर अपने परिवार का भरण पोषण कर सकेंगे। इस पर शासन और प्रशासन को विचार करना चाहिए।
सुझाव
1. ऊंचाई या खतरनाक स्थितियों में काम करने पर उचित दर से रुपये मिलने चाहिए।
2. श्रम विभाग प्लंबरों का पारिश्रमिक निर्धारित करे। मेहनत के हिसाब से पारिश्रमिक कम मिलता है।
3. श्रम विभाग या प्रशासन स्तर पर प्लंबरों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाएं।
4. काम के समय दुर्घटना में शारीरिक क्षति होने पर बीमा आदि का लाभ दिया जाए।
5. जिला प्रशासन की ओर से साल में एक बार प्रशिक्षण शिविर आयोजित होने चाहिए।
5. प्लंबरों के लिए एक स्थान निर्धारित किया जाए। दुकानों पर प्लंबर ठोकर न खाएं। पारिश्रमिक नहीं मिलने पर शिकायत करने के लिए हेल्प डेस्क बननी चाहिए।
शिकायतें
1. आईडी कार्ड न होने की वजह से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
2. जिले में श्रम विभाग प्लंबरों की समस्याओं की सुध नहीं लेता है।
3. सुरक्षा उपकरणों के बिना ही काम करना पड़ता है। दुकानदार कंपनियों से मिले उपकरण सिर्फ चहेतों को मुहैया कराते हैं।
4. आईडी कार्ड जारी न होने से अप्रशिक्षित लड़के काम कर रहे हैं। इसलिए ट्रेंड प्लंबरों को काम नहीं मिल पा रहा है। रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है।
5. जिला प्रशासन की ओर से अनट्रेंड लड़कों को प्रशिक्षण की सुविधा नहीं दी जाती है।
6. सुरक्षा उपकरणों के न होने से काम में देरी होती है। कई बार हादसे का शिकार भी हो जाते हैं।
बोले प्लंबर
महानगरों की तरह यहां भी श्रम विभाग हम लोगों के लिए आईडी कार्ड जारी करे ताकि योजनाओं का लाभ मिल सके। - वीरू
श्रम विभाग प्लंबरों की समस्याएं सुनने के लिए एक दिन निर्धारित करे ताकि समस्याएं हल हो सकें। - राजन
बगैर सुरक्षा उपकरण काम करने में दिक्कतें आती हैं। जान का भी खतरा बना रहता है। उपकरण दिए जाएं। - दिनेश
पाइप लाइनों की जटिलता और उपकरणों की कमी से काम में देरी होती है। हादसे का डर भी रहता है। - बॉबी
प्रशासन बेहतर उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान करे ताकि हम लोग सुरक्षित तरीके से काम कर सकें। राजकुमार
बोले जिम्मेदार
बच्चों की पढ़ाई के लिए मिल रही मदद
प्लंबरों के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। बेटी की शादी के लिए अनुदान के साथ बच्चों की पढ़ाई के लिए मदद तय है। अगर योजनाओं की जानकारी नहीं है तो उन तक पहुंचाने का काम किया जाएगा। अगर कोई भी जानकारी लेनी है तो कार्यालय आकर संपर्क कर सकते हैं। - एसएन नागेश, सहायक श्रमायुक्त
प्लंबरों को सेफ्टी किट दिलवाई जाएगी
प्लंबरों के लिए जो भी सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, उन तक पहुंचाने के लिए विभाग से हर माह तीन से चार बार शिविर लगाने की बात की जाएगी। साथ ही, सेफ्टी किट दिलवाने के लिए पहल की जाएगी। अन्य समस्याओं का तत्काल निराकरण कराने पर जोर दिया जाएगा। - अमित मिश्रा, शहर अध्यक्ष , उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार संगठन
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।