बोले उन्नाव : बूचड़खानों की बदबू ने उड़ाया कैसरगंज का रंग
Unnao News - कैसरगंज बाजार में मीट की दुकानों के कारण ग्राहकों और छोटे दुकानदारों की आमद कम हो गई है। व्यापारी समस्याओं को हल करने के लिए अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।...
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कैसरगंज बाजार की रौनक बाहर लगने वालीं मीट की दुकानें फीका कर रही हैं। आम लोग ही नहीं, छोटे दुकानदार भी इस वजह से बाजार आने से कतराते हैं। दुकानदारों को कहना है कि अगर बाजार से सामने वाली सड़क पर मीट की दुकानें कहीं और शिफ्ट कर दी जाएं तो यहां ग्राहकों की आमद बढ़ जाएगी। कारोबार में भी इजाफा हो जाएगा। ‘हिन्दुस्तान टीम ने बाजार पहुंच यहां के कारोबारियों से उनकी समस्याएं जानीं। दुकानदारों के एकसुर में कहा कि बाजार की पुरानी पहचान वापस दिलाएं। थोक बाजारों में शुमार कैसरगंज सुविधाओं से कोसों दूर है। 10 हजार की आबादी के बीच किराने का कभी यह बड़ा ठिकाना था। बाजार के मुख्य मार्ग पर मीट की दुकानें होने के चलते यहां लोग आने से कतराते हैं। यहां की दुश्वारियों को दूर करने के लिए दुकानदारों ने कई बार अफसरों से लेकर नेताओं तक से गुहार लगाई लेकिन सुधार के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ।
दुकानदार संजय राठी बताते हैं कि कैसरगंज बाजार में गल्ले का जो रेट खुलता था, वह पूरे जिले में जाता था। यहां से थोक माल लेकर छोटे दुकानदार जिलेभर के दूरदराज इलाकों में ले जाते थे। लेकिन जरूरी बुनियादी सुविधाएं न होने से ग्राहकों की आमद कम हो गई है। बाजार के ठीक सामने वाली गली में मीट की दुकानें लगने से आसपास के लोग यहां नहीं आते हैं। यहीं नहीं, छोटे दुकानदार भी इसी वजह से आने से कतराते हैं। व्यापारी नेता अखिलेश अवस्थी कहते हैं कि जिस टीनशेड के नीचे गल्ला मंडी लगती थी उसे तोड़कर पक्की दुकानें बनाने की बात कही गई थी लेकिन आधा-अधूरा निर्माण कर छोड़ दिया गया। इस वजह से सड़कों के किनारे दुकानें लगती है। इससे दिनभर जाम की स्थिति रहती है। रजनीकांत श्रीवास्तव का कहना है कि डेढ़ से दो हजार छोटे-बड़े व्यापारी अपनी दुकान के लिए किराने का सामान लेकर जाते हैं। दिनभर लगने वाले जाम की वजह से उनके वाहन दुकानों तक नहीं पहुंचते हैं। जाम यहां की एक बड़ी समस्या है।
महादेव प्रसाद राधेश्याम के प्रोप्राइटर श्याम सुंदर महेश्वरी बताते हैं कि अब रेट यहां से नहीं खुलता। फ्लोर मिल का रेट वह खुद खोलते हैं। रात में कई क्षेत्रों में अंधेरा रहता है। इस कारण चोरी आदि का डर भी बना रहता है। सुरक्षा पर भी ध्यान देने की जरूरत है। चर्चा के दौरान शीतल प्रकाश गुप्ता ने बताया कि कैसरगंज किराने का बड़ा बाजार है। हजारों व्यापारी बाजार का हिस्सा बनते हैं। कम से कम मूलभूत सुविधाओं पर भी ध्यान देना चाहिए, लेकिन सब नजरअंदाज है। आएदिन अन्ना मवेशियों की धमा-चौकड़ी भी देखी जा सकती है। कभी-कभी तो यह ग्राहकों पर भी हमलावर हो जाते हैं। समस्याएं गिनाने पर आ जाएं तो बाजार में कुछ भी दुरुस्त नहीं है। शौचालय न होने से ग्राहकों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। चुनाव के समय तो जनप्रतिनिधि बड़े-बड़े वादे कर चले जाते हैं।
जाम -अन्ना जानवरों से रोज जूझते हैं लोग
व्यापारी नेता अखिलेश अवस्थी बताते हैं कि डेढ़ से दो हजार छोटे-बड़े व्यापारी अपनी दुकान के लिए किराने का सामान लेकर जाते हैं। बाजार में दो सौ से अधिक दुकानें हैं। बाजार की मूलभूत समस्याओं को दूर करा दिया जाए तो पहले जैसी रौनक लौट सकती है। जाम, अन्ना मवेशियों की अराजकता और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने से ग्राहक यहां आने से कतराते हैं। रात में बाजार के कई क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था न होने से अंधेरे में रहते हैं। स्ट्रीट लाइटें तक खराब हैं। जर्जर दुकानें और टूटी सड़कें हादसों को आमंत्रण देती हैं। नगर पालिका से कई बार इसकी शिकायत भी की गई लेकिन सुनवाई नहीं हुई। स्थानीय स्तर पर व्यापारी समस्याओं को हल कराते हैं। चुनाव के समय सभी बड़े-बड़े वादे कर जाते हैं। इसके बाद यहां की कोई सुधि नहीं लेता है।
सुझाव
1. सुरक्षा के दृष्टिगत बाजार के मेन चौराहे और गेट पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएं
2. बाजार में बड़े स्तर पर टर्नओवर को देखते हुए बैंक या फिर एटीएम की सुविधा हो
3. व्यापारी स्तर से अपनी-अपनी दुकानों पर सीसीटीवी कैमरे को स्वयं लगवाया जाए
4. पेयजल की समस्या को देखते हुए नगर पालिका से हर रोज पानी की व्यवस्था तय की जाए
5. गंदगी के निस्तारण के लिए बड़ी डस्टबिन रखी जाए और नियमित सफाई करानी चाहिए
6. मालवाहन बाजार तक आ सकें, इसके लिए मेन चौराहे से बाजार तक मार्ग दुरुस्त हो
7. हजारों की संख्या में आने वाले व्यापारियों और लोगों के साथ बाजार के व्यापारियों की सुविधा के लिए शौचालय बनवाए जाएं
शिकायतें
1. बाजार में सुरक्षा के दृष्टिगत हर रोज पेट्रोलिंग नहीं होती। कम से कम रात के समय तो होनी ही चाहिए
2. नालियों की नियमित की सफाई न होने से जलभराव बना रहता है। इस कारण खरीदारों और दुकानदारों को दिक्कत होती है
3. लाखों रुपये खर्च करने के बाद कैसरगंज में बनी गल्ला मंडी को शुरू नहीं कराया जा रहा
4. शौचालय जैसी बड़ी समस्या पर गंभीरता नहीं दिखाई जाती
5. दो वार्ड में बंटे वार्ड के कारण एक दूसरे की मैं और तू नहीं संवर पा रही सुविधाएं
6. बैंक में व्यापारियों के लिए अलग से पटल न होने के कारण हो रही दिक्कतें
7. पेयजल समस्या से निजात दिलाने के लिए कई बार शिकायत की पर सुध नहीं ली
बोले-व्यापारी
माल लाना मुश्किल है। छोटे वाहन भी बड़ी मुश्किलों से आते हैं। जगह-जगह अतिक्रमण लगा रहता है। - पंकज कुमार गुप्ता
अर्थव्यवस्था चलाने में व्यापारी सबसे अहम कड़ी है। इसके बाद भी उनकी समस्याएं दूर नहीं होती। - संजय अग्रवाल
बाजार में हालात बद से बदतर है। समस्याएं गिनाने पर आ जाएं तो कुछ भी दुरुस्त नहीं है। - गोपाल गुप्ता
60 साल पहले यहां से गल्ले के रेट तय होते थे। आज यहां पर गल्ला मंडी का अस्तित्व ही नहीं बचा है। - सुबोध
चुनाव में सबको व्यापारी याद आते हैं। मगर, उनकी मुश्किलों को देखने वाला कोई नहीं है। - सूरज गुप्ता
पहरेदारी के लिए पुलिस फोर्स की तैनाती होनी चाहिए। प्रमुख मार्ग पर कैमरे जरूरी हैं। - नीरज गुप्ता
बोले-जिम्मेदार
कैसरगंज पुराना शहर का मोहल्ला है। इसमें पाइपलाइन कई दशक पहले बिछाई गई थी। लीकेज में सुधार के लिए प्रस्ताव तैयार हुए हैं। स्ट्रीट लाइट, गंदगी, जलभराव की व्यवस्था दुरुस्त कराएंगे। अगर कोई समस्या है, तो व्यापारी हमसे शिकायत करें। मीट की दुकानें लगने की बात पता चली है। इस समस्या को भी हल कराया जाएगा।-संजय गौतम, ईओ नगर पालिका
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