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बोले उन्नाव : दावतें यादगार बनाते हैं.. फिर भी सताए जाते हैं

Unnao News - गेस्ट हाउस और मैरिज हॉल संचालक नियमों और लाइसेंस के कारण परेशान हैं। नगर पालिका से टैक्स वसूलने के बावजूद उन्हें सफाई की जिम्मेदारी खुद उठानी पड़ती है। लगभग 40% मांगलिक कार्यक्रम गेस्ट हाउस में हो रहे...

Newswrap हिन्दुस्तान, उन्नावTue, 18 Feb 2025 04:15 PM
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बोले उन्नाव : दावतें यादगार बनाते हैं.. फिर भी सताए जाते हैं

गेस्ट हाउस और मैरिज हॉल संचालक नियमों की धार से कटकर चोटिल हो रहे हैं। नियमों और लाइसेंस के फेर ने ऐसा फंसाया है कि शादियों की रौनक बढ़ाने वाले खुद रोनी सूरत लिए नजर आते हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से गेस्ट हाउस संचालकों ने अपनी पीड़ा साझा की। सभी ने एक सुर में कहा कि नगर पालिका उनसे टैक्स तो वसूलती है, लेकिन गेस्ट हाउस के बाहर साफ सफाई उन्हीं को करानी पड़ती है। तमाम नियमों का फंदा लगाकर गेस्ट हाउस को नोटिस थमा दिया जाता है। गेस्ट हाउस संचालकों का उत्पीड़न बंद होना चाहिए। जिले के लगभग 40 फीसदी मांगलिक कार्यक्रम अब गेस्ट हाउस से होने लगे हैं। शहरी इलाके में यही आंकड़ा 90 फीसदी पहुंच जाता है। नगर क्षेत्र में 130 से अधिक ऐसे गेस्ट हाउस और रिजॉर्ट हैं, जिनकी न तो लो प्रोफाइल है और न ही सामाजिक गतिविधियों की मेन स्ट्रीम से खुद को अलग रखते हैं। फिर भी गेस्ट हाउस और होटल संचालकों को आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गदनखेड़ा बाईपास पर बने एक रिजॉर्ट के मालिक विजय त्रिपाठी कहते हैं कि नियमों के फंदे में फंसकर व्यापार चलाना अब मुश्किल है। हर्ष डिवाइन गेस्ट हाउस के संचालक हर्षित सिंह का कहना है कि पालिका की तरफ से टैक्स को लेकर लंबी-चौड़ी नोटिस आई है, जबकि उनका प्रतिष्ठान छोटा है। वह ज्यादातर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सिर्फ मूल खर्चे पर गेस्ट हाउस किराए पर देते हैं। कई बार तो ऐसा होता है कि सफाई वाला भी कम ही आता है। नगरी इलाके में तमाम गेस्ट हाउस ऐसे हैं, जहां सफाई को लेकर समस्या है। कई गेस्ट हाउस संचालकों ने आठ से दस लाख रुपये खर्च कर फायर किट लगवाई। कई महीने बीत गए पर उनको अब तक एनओसी नहीं दी गई। यही हाल बिजली विभाग का है।

सूरज भदौरिया ने बताया कि बिजली निगम के शोषण से वह तंग आ चुके हैं। उन्हें कभी सही बिल नहीं मिला है। शिकायत पर उल्टा विभाग लोड बढ़ाकर उपभोग की बात कहकर जुर्माना लगा देता है। संदीप राजपूत ने भी इन कड़े नियमों पर कुछ राहत देने की बात कही है। बताते हैं कि यूएसडीए ने जमकर परेशान किया। करोड़ों की इमारत बनाने के बाद भी नक्शा देने में आनाकानी कर रहे हैं।

सीसीटीवी चेक करने के नाम पर पुलिस करती परेशान

शहर में अब अधिकांश शादी और पार्टी होटलों में भी होने लगी हैं। नगर क्षेत्र के अलावा हाईवे से सटे इलाकों में तकरीबन 70 ऐसे होटल बने हैं। इनमें आधा सैकड़ा ऐसे हैं, जिनमें पार्टी का आयोजन होता है। नाम न छापने की शर्त पर संचालकों का कहना था कि सीसीटीवी फुटेज के नाम पर पुलिस जबरिया परेशान करती है। कई बार अभद्रतापूर्ण व्यवहार भी करती है, जबकि वह नियमों के साथ अपना कारोबार करते है। इस पर उच्च अफसरों को संज्ञान लेना चाहिए।

व्यापारी आयोग का गठन जरूरी

व्यापार मंडल के पदाधिकारी सुमित, हर्षित और सूरज सिंह कहते हैं कि व्यापारी कल्याण बोर्ड की स्थापना जरूर हुई है, लेकिन वहां कारोबारियों से सुझाव ही लिए जाते हैं। उनका समाधान अब तक नहीं किया गया। व्यापारी आयोग की स्थापना पूरे उत्तर प्रदेश में होनी चाहिए ताकि व्यापारियों की समस्याओं का समाधान हो सके।

फायर एनओसी के लिए सरल प्रक्रिया हो

शहर में अधिकतर गेस्ट हाउस, होटल और रिजॉर्ट मालिकों को अब तक दमकल विभाग से एनओसी नहीं मिली है, जबकि वे सभी नियमों के पालन करने का दावा करते हैं। इसको लेकर कई बार उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एनओसी के लिए बस कार्यालयों के चक्कर लगाते रहते हैं।कार्यक्रम के दौरान उन्हें भय रहता है कि प्रशासनिक अफसर कोई ऐसी कार्रवाई न कर दे, जिससे उनके सम्मान को चोट पहुंच जाए। वह कहते हैं कि एनओसी को लेकर प्रशासनिक व्यवस्था को सरल करना होगा। साथ ही, संचालकों को कार्रवाई के नाम पर बेवजह परेशान न किया जाए।

नियमों में फंसे तो बंद कर दिए मैरिज हॉल

शहर में करीब आधा दर्जन मैरिज हॉल साल 1980 के बाद बने हैं। वह 2006 तक तो चलें फिर धीरे-धीरे बंद हो गए। राजू और आलम ने बताया कि नए दौर में पुरानी इमारतें काम नहीं आती हैं। नियम कानून के फंदे ऐसे कि गेस्ट हाउस बंद करना मजबूरी बन गया। आए दिन मानकों का अभाव बताकर कारण बताओ नोटिस थमा दी जाती है। मैरिज लॉन बंद होने से कई परिवारों के घर रोजी-रोटी का संकट है। खाने-कमाने के लाले हैं। इन आधा दर्जन मैरिज हॉल में काम करने वाले 170 से अधिक लोगों की रोजी संकट में है।

शामियाना के लिए चार गुने महंगे हुए कपड़े

संचालकों का कहना है कि गेस्ट हाउस में सबसे ज्यादा काम कपड़े का रहता है। डिजाइनर कपड़े से ही सजावट होती है। सामियाना आदि में भी इन कपड़ो के पर्दे जरूरी होते हैं, लेकिन अब वह महंगे हो गए हैं। बाबू बाजपेई कहते हैं कि कानपुर में जो कपड़ा दस वर्ष पहले एक हजार रुपये मिल जाता था, वह अब चार हजार रुपये पार कर चुका है। हर सहालग अलग-अलग डिजाइन के कपड़े सजाने के लिए मंगाए जाते हैं। महंगाई बढ़ी तो व्यापार पर असर भी पड़ गया। लेबर भी नहीं मिलते हैं।

सुझाव

1. होटल और गेस्ट हाउस संचालकों को फायर एनओसी जारी करने के लिए अधिकारियों को सहूलियत बरतनी चाहिए।

2. बिजली विभाग की ओर से संचालकों को बिल जमा करने के लिए निर्धारित समय बढ़ाकर छूट देनी चाहिए।

3. सड़कों का चौड़ीकरण किया जाना चाहिए ताकि पार्किंग व्यवस्था दुरुस्त हो सके और वाहन चालकों को असुविधा न हो।

4. रात के समय पुलिसकर्मियों को गेस्ट हाउस के आसपास असमााजिक तत्वों पर सख्ती करनी चाहिए।

5. होटल और गेस्ट हाउस में ग्राहकों से अक्सर नोकझोंक होती है। बेगारी पर रोक लगाकर सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करवाई जानी चाहिए।

शिकायतें

1. जांच के दौरान गेस्ट हाउस संचालकों को कोई जानकारी नहीं दी जाती है। कुछ दिन बाद मानकों का अभाव दिखाकर अधिकारी कारण बताओ नोटिस भेज देते हैं।

2. मानकों को पूरा करने के बाद भी फायर विभाग के अधिकारियों से एनओसी जारी नहीं की जाती है।

3. सड़क किनारे गेस्ट हाउस और होटल बने होने के कारण पार्किंग की समस्या बनी रहती है। रात में पुलिसकर्मी भी परेशान करते हैं।

4. सभी टैक्स अदा करने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई सुविधा नहीं दी जा रही है।

5. नगर पालिका को टैक्स देने के बावजूद गेस्ट हाउस के बाहर खुद ही सफाई करवानी पड़ती है। सूखा कचरा भी उठाने तक नहीं आते हैं।

लाखों खर्च कर होटल तैयार करवाया। अब फायर एनओसी के लिए विभाग के फेरे लगाने पड़ रहे हैं।

- जितेंद्र सिंह

दमकल विभाग से नोटिस भेज दी जाती है। टैंक-पानी की व्यवस्था के बाद भी परेशान हो रहे हैं।

- गुड्डू रस्तोगी

पार्किंग की सबसे अधिक समस्या रहती है। आए दिन पुलिस भी बेवजह परेशान करती है।

- मनोज गुप्ता

सड़क की चौड़ाई कम होने के कारण अधिक दिक्कत होती है। नियमों के जाल को कम करना चाहिए। -अंकित शुक्ला

असामाजिक तत्वों की वजह से रात में दिक्कत होती है। शिकायत के बावजूद पुलिस सुनती नहीं है। - मनीष मिश्रा

बोले जिम्मेदार

संचालकों के आरोप बेबुनियाद

गेस्ट हाउस संचालकों का आरोप गलत है। किसी भी इमारत में आग लगने से बचाव के लिए इंतजाम दुरूस्त होना जरूरी है। बिना इसके एनओसी मिलना मुश्किल है। संचालक फायर सेफ्टी इंतजाम दुरुस्त कर एनओसी भी प्राप्त कर सकते हैं।

- शिवराम यादव, एफएसओ- फायर विभाग उन्नाव

सूचना दें, समस्याएं तत्काल हल होंगी

सफाई के लिए दिन के अलावा रात में भी टीमें लगी हैं। सहालग के दिनों में जो सूचनाएं मिलती हैं, उसका निस्तारण भी कराया जाता है। टैक्स बढ़कर आया है तो गेस्ट हाउस मालिकान अपनी समस्या बताते हुए आपत्ति पत्र लगाएं। समस्याओं का तत्काल निस्तारण किया जाएगा।

- एसके गौतम, ईओ नगर पालिका परिषद

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