बोले उन्नाव : रखवाली के लिए रतजगों का हिसाब देगा कौन
Unnao News - किसान अन्नदाता कहलाते हैं, लेकिन मौजूदा हालात में उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। खाद-बीज की किल्लत, अन्ना मवेशियों का खतरा और सिंचाई के लिए पानी की कमी से किसान परेशान हैं। सरकार से उचित...
किसान को अन्नदाता और धरती पुत्र भी कहा जाता है। पूरी दुनिया में अमीर हों या गरीब, नौकरीपेशा हो या उद्योगपति सभी भोजन के लिए किसान पर आश्रित हैं पर मौजूदा हालात में हमारे अन्नदाता चौतरफा परेशानियों का सामना कर रहे हैं। खाद-बीज की किल्लत है तो अन्ना मवेशी नींद हराम किए हुए हैं। सिंचाई के लिए कभी नहर तो कभी ट्यूबवेल से पानी नहीं मिलता है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से किसानों ने अपनी पीड़ा साझा की। कहा कि मौसम की बेरहमी के बाद सहयोग की कोई मुराद न पूरी होने से किसान समस्याओं से घिरे हैं। जिले में सैकड़ों गोशालाएं होने के बावजूद फसल की रखवाली करने के लिए रातभर जागना पड़ता है। आखिर, इसका हिसाब देगा कौन?
जनपद में करीब आठ लाख चालीस हजार किसान हैं, जो घने कोहरे, तेज धूप और बारिश में कड़ी मशक्कत से 2 लाख 26 हजार हेक्टेयर में गेहूं, 98 हजार हेक्टेयर मेंं धान और 29 हजार हेक्टेयर में सरसों की उपज करते हैं। इसके अलावा आलू, तिलहन आदि खेती बड़े पैमाने पर करके गांव से लेकर शहर में बसे लोगों तक मुहैया कराते हैं। लेकिन, सुविधाओं की बात की जाए तो ज्यादातर किसान उससे काफी दूर हैं। किसान शिवप्यारे का कहना है कि जब खेती का समय आता है तो समय से नहरों में पानी नहीं मिलता है। इसलिए अपनी सुविधाओं पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में जितनी बचत नहीं होती है, उससे ज्यादा लागत लग जाती है। समय से नहरों में पानी की उपलब्धता कराने के लिए शासन-प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
किसान किशोर ने बताया कि खाद के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ता है। इसके बाद भी मिल जाए तो बड़ी बात है। अब एक और नियम बना दिया गया है कि एक बार में तीन बोरी ही खाद मिलेगी। इस कारण जिन किसानों के पास कई बीघे खेती है, उन्हें कई बार खाद के लिए लाइन में लगना पड़ता है। इसके बाद जब फसल बड़ी होती है तो अन्ना मवेशियों के लिए वह चारा बन जाती है। इन दुश्वारियों के बीच हमें खेती करना मुश्किल हो रहा है। किसानों को पराली जलाने के नाम पर भी परेशान किया जाता है। कम से कम सम्मान नहीं दिया जा रहा है तो इस तरह परेशान भी न किया जाए। किसान सुनील तिवारी का कहना है कि किसानों के लिए मुफ्त बिजली होनी चाहिए। फसल के सही दाम मिलें, प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान पर बीमित लाभ सभी को दिया जाए। नुकसान छोटा हो या फिर बड़ा, नुकसान ही होता है। इसलिए सर्वे के बाद सभी तक लाभ पहुंचाया जाए।
अन्ना मवेशियों ने रातभर जागने को मजबूर किया
किसान बकरीदी ने बताया कि जंगली सुअर और अन्ना मवेशियों ने जीना मुश्किल कर दिया है। इस कारण किसानों की आय दोगुनी तो नहीं, लेकिन कम जरूर हो रही है। इसलिए सबसे पहले अन्ना मवेशियों को गोशालाओं में भेजा जाए। किसान परेशान हैं। रातभर इनकी निगरानी के लिए मचान बनाकर जागना पड़ रहा है। कई किसानों की मवेशियों के हमले से जान भी जा चुकी है। इसलिए बहुत जरूरी है कि इनका स्थायी बंदोबस्त किया जाए। जिले में गोशलाएं भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं। बस अफसरों को गंभीरता दिखानी होगी।
नहर की सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
किसान शिवशंकर का कहना है कि नहरों में पानी समय से नहीं आता है। सफाई के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। जब तेज फ्लो से पानी छोड़ा जाता है तो माइनरें कट जाती हैं और किसानों की फसल बर्बाद होती हैं। इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। सरकार हर बार किसानों को राहत देने के लिए नहर सफाई के लिए बजट जारी करती है, लेकिन जिम्मेदार अफसर और ठेकेदार मिलकर उसका बंदरबांट करते हैं। टेल तक पानी भी नहीं पहुंचता है।
खाद-बीज समय से मिले और बिजली हो मुफ्त
किसान फुस्सू का कहना है कि फसल की पैदावार आसान नहीं है। इसमें जिस तरह से खर्च होता है, उससे किसान अपने परिवार का पेट नहीं पाल पा रहे हैं। इसके लिए जरूरी है कि खाद और बीज समय से देने के साथ कम रेट पर दिया जाए और बिजली मुफ्त मिले। सरकारी नलकूप खराब रहते हैं, उन्हें तत्काल दुरुस्त कराया जाना चाहिए। कई बार प्राकृतिक आपदा की ऐसी मार पड़ती है कि सालभर के लिए भी गेहूं और चावल की पैदावार नहीं होती है। मदद के लिए कोई योजना बने तो अच्छा रहेगा। कई किसानों को योजनाओं की जानकारी नहीं होती है। इसलिए शिविर लगाकर जागरूक भी करना चाहिए।
सुझाव
1. किसानों की फसल को उचित रेट दिलाने के लिए कानून बनना चाहिए।
2. अन्ना मवेशियों को गोशाला में भेजने के लिए हर माह नियमित अभियान चलाया जाए। इनके कारण फसलें चौपट हो रही हैं।
3. नहरों में पानी की व्यवस्था फसलों की शुरुआती दौर में करना बहुत जरूरी है।
4. बीज और खाद को समय से दिलाया जाए। इनकी कीमत भी कम की जाए।
5. बिजली मुफ्त की जाए। नलकूप की संख्या बढ़ाई जाए।
6. प्राकृतिक आपदा के बाद सभी किसानों को नुकसान पर लाभ दिया जाए।
शिकायतें
1. अन्ना मवेशियों और जंगली सुअरों से फसलें चौपट हो
रही हैं।
2. नहर की सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है। टेल तक भी पानी नहीं पहुंचता है।
3. सरकारी नलकूलों की व्यवस्था बहुत खराब है। निजी संसाधनों से पानी लगाने में जेब ढीली हो रही है।
4. किसानों की समस्याओं की सुनवाई के लिए कोई नियमित पटल नहीं हैं।
5. सरकारी दफ्तरों और मंडियों में किसानों को प्राथमिकता नहीं दी जाती है।
6. खाद-बीज के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ती है। समितियों में भी अच्छा व्यवहार नहीं होता है।
बोले किसान
सरकार काम बहुत अच्छे से कर रही है। लेकिन, अन्ना मवेशी फसल चौपट कर रहे हैं। इस पर लगाम लगाई जाए। - रामस्वरूप त्रिवेदी
पेंशन की व्यवस्था होनी चाहिए। बढ़ती महंगाई से रोज कमाकर खाना ही मुश्किल हो रहा है। बुढ़ापे के लिए क्या जोड़ पाएंगे। - बिटई
मवेशी से राहत दी जाए। जितनी फसल पैदा करने में में मेहनत नहीं लगती है, उससे ज्यादा फसलों को बचाने में लग रही है। - शहनाज
पति नहीं हैं। मां-बाप के साथ रहकर खेती करती हूं। जैसे-तैसे खर्च चलाती हूं। अगर मदद मिल जाए तो राहत हो जाएगी। - मुन्नी
नहरों में जब जरूरत होती है तो पानी नहीं आता है। निजी संसाधनों से फसल पैदा करते हैं। खेती में नाम मात्र का बचता है। - बकरीदी
मवेशियों की चहलकदमी बहुत परेशान करती है। फसल बचाना मुश्किल हो रहा है। इन्हें गोशाला भिजवाया जाए। - जान मोहम्मद
बोले जिम्मेदार
पशुओं को गोशालाओं में भेजा जाएगा
मवेशियों को गोशाला में संरक्षित करने के लिए समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। जितनी गोशालाएं हैं, उसमें मानक के अनुसार मवेशी संरक्षित हैं। फिर जिलेभर में अभियान चलाकर मवेशियों को गोशाला भेजा जाएगा। किसानों को परेशान नहीं होने दिया जाएगा। - डॉ. महावीर प्रसाद, सीवीओ
ओवरफ्लो से कट जाती है माइनर
किसानों को विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। जानकारी के अभाव में जिन किसानों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, वह विभाग आकर भी पता कर सकते हैं। इसके अलावा बीमित धनराशि का लाभ भी संबंधित एजेंसी की ओर से किसानों तक पहुंचाया जाता है।
- शशांक चौधरी, कृषि अधिकारी व प्रभारी उपनिदेशक
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