नवाबगंज पक्षी विहार में हिरनों के लिए सिर्फ फूस के आशियाने
Unnao News - नवाबगंज के पक्षी विहार में हिरनों की जीवन रक्षा के लिए फूस के आशियाने बनाए जा रहे हैं, लेकिन ये नाकाफी हैं। सर्दी में हिरनों को उचित देखरेख नहीं मिल रही है और भोजन की कमी के कारण उनकी संख्या भी स्थिर...
नवाबगंज, संवाददाता। पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे पक्षी विहार के हिरन अपनी जिंदगी बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। अफसरों की उदासनीता वन्य जीवों पर भारी पड़ रही है। भीषण सर्दी में हिरनों को बचाने के विए फूस के आशियाने बनाए जा रहे हैं, जो नाकाफी हैं। नवाबगंज स्थित शहीद चंद्रशेखर आजाद पक्षी विहार के डियर पार्क में हिरनों को सर्दी से बचाने के लिए वन विभाग द्वारा फूस के आशियाने बनाए गए हैं। 10 हेक्टेयर के डियर पार्क में नर-मादा समेत करीब 24 हिरन पर्यटकों को लुभाते हैं। पहले हिरनों की देखरेख के लिए चार कर्मी तैनात किए गए थे, लेकिन अब महज दो कर्मियों के कंधों पर इनके रखरखाव की जिम्मेदारी है। भोजन के नाम पर हिरनों को सूखा भूसा दिया जाता है। आटा, चोकर और खली न मिलने से हिरन कमजोर हो गए हैं।
तीस से अधिक नहीं हो पाई हिरनों की संख्या
वर्ष 1982 में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए डियर पार्क का निर्माण हुआ था, तब 12 नर और मादा हिरण आए थे। बीते चार दशकों में हिरनों ने सिर्फ 12 बच्चों को जन्म दिया। एक दशक से हिरनों की संख्या तीस से अधिक नहीं हो पाई।
विटामिन के इंजेक्शन भी न लग रहे
डियर पार्क में तैनात कर्मचारी रामस्वरूप ने बताया कि नर-मादा समेत 24 हिरन हैं। सर्दियों में न तो हिरनों का मेडिकल चेकअप होता है और न ही विटामिन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं।
इस साल जन्मे दो शावकों का रिकॉर्ड नहीं
डियर पार्क में नर-मादा 24 हिरनों के बीच मात्र दो शावकों का ही जन्म 15 दिन पहले हुआ है। इनका कागज पर अब तक रिकॉर्ड दर्ज नहीं किया गया।
पोस्टमार्टम हाउस का इस्तेमाल आज तक नहीं
डियर पार्क में मरे हिरनों के पोस्टमार्टम के लिए पीएम हाउस वर्ष 2015 में बनाया गया था। इसका उपयोग आज तक नहीं हुआ है।
मृत हिरनों का रिकार्ड नहीं ?
डियर पार्क में हिरनों के मरने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। क्या 40 साल में हिरनों की मौत नहीं हुई।
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