यूपी के इस अस्पताल में पैसे बिना नहीं रुकेगा इलाज, भोपाल से मिलेगी मदद
- इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का पैसों के अभाव में इलाज नहीं रुकेगा। एम्स गोरखपुर के मरीजों के इलाज में मदद एम्स भोपाल करेगा। इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। एम्स गोरखपुर की इमरजेंसी में अगर कोई गरीब मरीज इलाज के लिए आता है और उसके पास पैसों की तंगी है तो उसका इलाज एम्स भोपाल करेगा।
Treatment in AIIMS Gorakhpur: एम्स गोरखपुर की इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का पैसों के अभाव में इलाज नहीं रुकेगा। एम्स गोरखपुर के मरीजों के इलाज में मदद एम्स भोपाल करेगा। इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। एम्स गोरखपुर और एम्स भोपाल के बीच इस पर सहमति बन गई है। यह फैसला एम्स के कार्यकारी निदेशक प्रो. डॉ. अजय सिंह की पहल पर हुआ है। गोरखपुर एम्स के कार्यकारी निदेशक प्रो. डॉ. अजय सिंह भोपाल एम्स के निदेशक हैं। यहां ज्वाइनिंग के बाद ही डॉ. अजय ने यह भरोसा दिलाया था कि एम्स गोरखपुर में कई सेवाओं में बदलाव किया जाएगा। इसका असर धीरे-धीरे दिखने लगा है।
इसके तहत एम्स गोरखपुर की इमरजेंसी में अगर कोई गरीब मरीज इलाज के लिए आता है और उसके पास पैसों की तंगी है तो उसका इलाज एम्स भोपाल करेगा। जरूरत के मुताबिक रुपये सहित अन्य सेवाएं एम्स भोपाल की टीम उपलब्ध कराएगी। बशर्ते इसकी जानकारी एम्स गोरखपुर की टीम को एम्स भोपाल को देनी होगी। यह भी तय करना होगा कि मरीज की आर्थिक स्थिति वास्तव में ठीक नहीं है। इसके बाद एम्स भोपाल की टीम मरीज की पूरी हिस्ट्री लेकर उसके इलाज में लगने वाले खर्च का वहन करेगी। एम्स के कार्यकारी निदेशक ने बताया कि दोनों एम्स के बीच सहमति बन गई है। दोनों संस्थानों के इमरजेंसी डॉक्टरों को इसकी जानकारी भी दे दी गई है।
इलाज में भी करेंगे सहायता
एम्स गोरखपुर में अभी सुपर स्पेशियलिटी की पूरी टीम नहीं आई है, जबकि एम्स भोपाल पुराना है। वहां सुविधाएं भी अधिक हैं, जिनका लाभ एम्स गोरखपुर को भी मिलेगा। गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों के इलाज में भी जरूरत के अनुसार एम्स भोपाल की टीम भी मदद करेगी।
नेशनल कांफ्रेंस में एम्स ने दुर्लभ बीमारी की प्रस्तुति की
एम्स के दंत रोग विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. श्रीनिवास टीएस ने हाल ही में गोवा 16 से 18 अक्तूबर के गोल के प्रतिष्ठित 48वें आईएसपी राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। डॉ. श्रीनिवास ने जिंजिवल लेयोमायोमेटस हैमार्टोमा (एलएच) का पेपर प्रस्तुत किया। बताया कि यह बेहद दुर्लभ बीमारी है। दुनिया में केवल 43 मामले दर्ज किए गए। जबकि, भारत में केवल तीन मामले अब मिले हैं। वहीं, वयस्कों में यह पहला मामला था। एम्स के डॉक्टरों ने मरीज की सर्जरी कर जान बचाई है। एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा कि एम्स गोरखपुर के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। मरीज के इलाज और केस में मदद के लिए डॉ. दीपांशु और डॉ. दिव्या सिंह के प्रति आभार व्यक्त किया है।