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फर्जी सर्टिफिकेट पर टीचर बनी शुमाएला पाक से ऐसे पहुंची थी रामपुर, बेटी संग मां का भी सच आया सामने

  • फरजाना उर्फ माहिरा अख्तर ने जून 1979 में पाकिस्तान के रहने वाले सिबगत अली से निकाह किया था। निकाह के बाद वो पाकिस्तान चली गई। उन्हें पाकिस्तान की नागरिकता भी मिल गई। लगभग 2 साल में ही उनका तलाक हो गया। पाकिस्तान में जन्मी शुमायला दो वर्ष की उम्र में मां के साथ रामपुर लौट आई थी।

Ajay Singh लाइव हिन्दुस्तानSat, 18 Jan 2025 08:45 AM
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Pakistani woman gets teacher's job on fake certificate: यूपी के बरेली में फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी करती मिली शुमायला की मां का भी सच सामने आया है। शुमाएला की मां फरजाना उर्फ माहिरा अख्तर का मायका रामपुर के मोहल्ला आतिशबाजान में था। उसने जून 1979 में पाकिस्तान के रहने वाले सिबगत अली से निकाह किया था। निकाह के बाद वो पाकिस्तान चली गई। उन्हें पाकिस्तान की नागरिकता भी मिल गई। लगभग 2 साल में ही उनका तलाक हो गया। पाकिस्तान में जन्मी शुमायला दो वर्ष की उम्र में मां के साथ रामपुर लौट आई थी। उसने दस वर्ष तक फर्जी निवास प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी की।

भारत आते समय फरजाना उर्फ माहिरा ने पाकिस्तानी पासपोर्ट पर वीजा प्राप्त किया था। वह अपनी दोनों बेटियों शुमाएला व आलिमा के साथ अपने मायके रामपुर आकर रहने लगी। वीजा अवधि खत्म होने पर भी जब वो वापस नहीं लौटी तो एलआईयू ने रामपुर में वर्ष 1983 में मुकदमा दर्ज करा दिया। 25 जून 1985 को उन्हें सीजेएम कोर्ट से कोर्ट की समाप्ति तक अदालत में मौजूद रहने की सजा सुनाई गई। बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसी बीच 22 जनवरी 1992 को फरजाना उर्फ माहिरा अख्तर बेसिक शिक्षा विभाग में टीचर बन गईं। उन्हें प्राथमिक विद्यालय कुम्हरिया कला में तैनाती मिली थी। मामला शासन तक पहुंचा। जांच हुई मगर दबा दी गई। वर्ष 2022 में हिन्दुस्तान ने पूरे प्रकरण का खुलासा किया तो नए सिरे से जांच हुई। शासन के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग ने माहिरा को तथ्य छुपाकर नौकरी करने के आरोप में वर्ष 2022 में बर्खास्त कर दिया गया।

प्रमुख सचिव गृह ने डीएम को किया था तलब

इससे पहले इस प्रकरण में 2015 में रामपुर के तत्कालीन डीएम चंद्र प्रकाश त्रिपाठी को प्रमुख सचिव गृह ने तलब किया था। जिस पर तत्कालीन एसपी, एलआईयू, आईबी के अधिकारियों के साथ बैठक कर तत्कालीन डीएम ने रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें प्रथम दृष्ट्या बीएसए को दोषी माना गया था। बाद में दो जून 2015 को प्रमुख सचिव गृह के समक्ष पेश हो डीएम-एसपी ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट उन्हें सौंप दी थी। तत्कालीन सरकार में ऊंची पहुंच के चलते उस वक्त के एक कद्दावर नेता और अफसरों ने इस चर्चित प्रकरण को दबा दिया था।

अधिकारियों ने दबाया, हिन्दुस्तान ने किया उजागर

पाकिस्तान की नागरिकता छुपाकर नौकरी करने वाली मां-बेटी के प्रकरण को अधिकारियों ने खूब दबाया। वर्ष 2022 में हिन्दुस्तान ने इस प्रकरण का खुलासा किया तो हडकम्प मच गया। वर्ष 2022 से वर्ष 2024 तक शुमायला के निवास प्रमाण पत्र की जांच रिपोर्ट के लिए बीएसए बरेली को एसडीएम रामपुर को दर्जन भर से ज्यादा बार पत्र भेजने पड़े, तब जाकर रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के आधार पर हाईप्रोफाइल मामले में कार्रवाई हो पाई।

पाकिस्तानी होने के बाद भी सत्यापन पर सवाल

शुमायला का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। जन्म के दो वर्ष बाद वो अपनी मां के साथ भारत आ गई। भारत में ही उसका लालन-पालन हुआ। मां को भारत की नागरिकता दुबारा से नहीं मिलने के कारण शुमायला की भी भारतीय नागरिकता नहीं मिली। शुमायला के पाकिस्तानी होने के बाद भी उनके निवास और जाति प्रमाण पत्र की शुरुआती सत्यापन रिपोर्ट सही होकर आ गई थी। ऐसे में अधिकारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता।

शुमायला से की जाएगी वेतन-भत्ते की रिकवरी

बीएसए संजय सिंह ने बताया कि सहायक अध्यापिका शुमायला खान को बर्खास्त कर उसके ऊपर रिपोर्ट दर्ज करवा दी गई है। वेतन-भत्तों की रिकवरी के लिए लेखा अधिकारी को पत्र भेजा गया है। उसका आकलन कराया जा रहा है। नियमानुसार रिकवरी भी की जाएगी।

नागरिकता न मिलने पर भी उठे सवाल

इस पूरे प्रकरण में कुछ लोगों ने सुमायला को भारतीय नागरिकता न मिलने पर भी सवाल उठाया है। लोगों का कहना है कि सुमायला का जन्म भले पाकिस्तान में हुआ मगर उसकी मां माहिरा भारतीय हैं और उनका जन्म भारत में ही हुआ था। निकाह के बाद वह पाकिस्तान गई मगर दो-तीन साल बाद ही वह वापस आ गई। भारत में ही पढ़ाई-लिखाई करने के बाद शुमायला ने नौकरी पाई तो उसे भारत की नागरिकता भी मिल जानी चाहिए थी।

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