संभल में ASI नहीं, राज्य पुरातत्व विभाग ने किया सर्वेक्षण; आज बावड़ी पर हो रही खुदाई
- संभल के चन्दौसी में मोहल्ला लक्ष्मनगंज मुस्लिम बहुल इलाका है। एक हफ्ते पहले यहीं 152 वर्ष पुराना बांके बिहारी मंदिर प्रकाश में आया था। सनातन सेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख ने DM से इस मंदिर को सरकारी संरक्षण में लेने और इससे करीब 100 मीटर की दूरी पर एक मैदान में खोदाई कराने की मांग की थी।
Sambhal News: यूपी के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) ने नहीं राज्य पुरातत्व विभाग (State Archeology Department) की टीम सर्वेक्षण कर रही है। संभल के खग्गुसराय में बीते 14 दिसंबर को मिले प्राचीन मंदिर और कुएं की जांच के लिए राज्य पुरातत्व विभाग की टीम पिछले शुक्रवार (20 दिसम्बर) को संभल पहुंची थी। टीम ने खग्गुसराय में मिले प्राचीन कार्तिकेश्वर महादेव मंदिर के अलावा भद्रका आश्रम, स्वर्गदीप, चक्रपाणि और मोक्ष तीर्थ के साथ ही 19 प्राचीन कुओं का गहन सर्वेक्षण किया। इस दौरान किसी स्तर पर कंफ्यूजन के नाते एएसआई टीम के सर्वेक्षण की बात प्रसारित होने लगी जबकि सर्वेक्षण राज्य पुरातत्व विभाग की टीम ने किया। इस बीच रविवार को संभल के चंदौसी क्षेत्र में स्थित सदियों पुरानी बावड़ी पर खुदाई का काम शुरू हो गया है। सनातन सेवक संघ की मांग पर जिलाधिकारी ने शनिवार को मोहल्ला लक्ष्मण गंज में मुस्लिम आबादी के बीच बने मैदान की खोदाई कराई थी। खोदाई के दौरान प्राचीन बावड़ी और दो कमरे निकले हैं। वे काफी पुराने बताए जा रहे हैं। अंधेरा होने के कारण शनिवार शाम करीब छह बजे खोदाई बंद कर दी गई थी। रविवार की सुबह से एक बार फिर खुदाई शुरू की गई।
अब चंदौसी के मैदान में मिली बावड़ी और दो प्राचीन कमरे
चन्दौसी में मोहल्ला लक्ष्मनगंज मुस्लिम बहुल इलाका है। एक सप्ताह पहले इसी आबादी के बीच 152 वर्ष पुराना बांके बिहारी मंदिर प्रकाश में आया था। इसके बाद सनातन सेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख कौशल किशोर ने शनिवार को जिलाधिकारी से इस मंदिर को सरकारी संरक्षण में लेने, जमीन की पैमाइश कराने तथा इससे करीब 100 मीटर की दूरी पर एक मैदान में खोदाई कराने की मांग की थी। जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया के निर्देश पर नगरपालिका की टीम ने शनिवार को मैदान की खोदाई शुरू की। इस दौरान वहां खासी भीड़ लग गई। करीब सात-आठ फिट की खोदाई पर मैदान में बावड़ी की सीढ़ी व दो कमरे दिखाई दिए। गहरी खोदाई होने पर और कमरे निकल सकते हैं। अंधेरा होने के कारण शाम को खोदाई बंद कर दी गई। स्थानीय निवासी मोहम्मद शरीफ ने बताया कि यहां पर उनके समय में करीब 30 वर्ष पूर्व बावड़ी हुआ करती थी। इसमें किन्नर रहते थे।
डीएम के अनुरोध पर आई राज्य पुरातत्व विभाग की टीम
बता दें कि डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने बीते 14 दिसंबर को खग्गुसराय में मिले प्राचीन मंदिर और कुएं की उम्र का पता लगाने के लिए पत्र लिखकर इसकी कार्बन डेटिंग का अनुरोध किया था। टीम के आने से पहले गुरुवार को राजस्व विभाग की विशेष टीम ने इन तीर्थ स्थलों और कुओं की पैमाइश आदि कर ली थी ताकि सर्वेक्षण सुगमता से हो सके। आए उत्खनन एवं अन्वेषण अधिकारी राम विनय, सहायक पुरातत्व अधिकारी डॉ. कृष्ण मोहन दुबे, सर्वेक्षक अनिल कुमार सिंह और आउटसोर्स हिमांशु सिंह ने चार तीर्थों और 19 कूपों की भौतिक जांच की। स्थलों की नाप की और जांच के लिए सैंपल लिए। टीम के साथ नायब तहसीलदार सत्येंद्र चाहल भी मौजूद रहे।
दूसरे दिन यानी शनिवार को उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग की चार सदस्यीय टीम ने श्री कल्कि विष्णु मंदिर का गहन सर्वेक्षण किया। मंदिर के कृष्ण कूप और मंदिर की अद्भुत वास्तुकला और धार्मिक महत्व को बारीकी से परखा गया। इस दौरान टीम ने फोटो और वीडियोग्राफी कर मंदिर के ऐतिहासिक पहलुओं का दस्तावेजीकरण भी किया। पुरातत्व विभाग की टीम ने अपने सर्वेक्षण के बाद कहा कि मंदिर और कृष्ण कूप के निर्माण के समय, शैली और उद्देश्य का पता लगाने के लिए अभी और गहन शोध की आवश्यकता है। बाद में नगर पालिका की टीम ने पहुंचकर कूप की साफ सफाई भी कराई।
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उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग की टीम दो दिन पूर्व डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया के विशेष अनुरोध पर जनपद में पहुंची थी। टीम ने मंदिर के अलावा कई अन्य ऐतिहासिक स्थलों का भी सर्वेक्षण किया। शुक्रवार को टीम ने पांच तीर्थ स्थलों और 19 कूपों का निरीक्षण किया। शनिवार को प्राचीन श्री कल्कि विष्णु मंदिर के अलावा तोता-मैना की कब्र और सौंधन किले का भी सर्वे करने की सूचना मिली है। हालांकि प्रशासन ने इन स्थानों की पुष्टि नहीं की है। वहीं, टीम ने प्राचीन कृष्ण कूप को नजदीक से देखा और इसके निर्माण की तकनीक और समय-काल का अनुमान लगाने का प्रयास किया। मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा ने पुरातत्व विभाग की टीम को मंदिर के इतिहास और विशेषताओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनका परिवार दस पीढ़ियों से इस मंदिर की सेवा कर रहा है। पुजारी ने बताया कि यह विश्व का एकमात्र कल्कि विष्णु मंदिर है, जहां भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की भविष्यवाणी का विशेष महत्व है। एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि पुरातत्व विभाग की टीम मंदिर और कूप के कालखंड और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का पता लगाने में जुटी हुई है। मान्यता है कि कलियुग में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार संभल में ही होगा। इसी विश्वास के चलते यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था का केंद्र है।