यूपी के इस जिले में है जैन धर्म का सबसे प्राचीन मंदिर, सात वेदियों पर विराजमान हैं तीर्थंकरों की अद्भूत मूर्तियां
- यूपी के बागपत में जैन धर्म का सबसे प्राचीन मंदिर है। यहां स्थित दिगंबर जैन बड़ा मंदिर 650 साल का इतिहास खुद में समेटे हुए है। दीवारों और छतों पर की गई स्वर्णकार नक्काशी इतनी बेजोड़ है कि जिसका कोई दूसरे सा नहीं है। इस मंदिर में कुल सात वेदियां हैं।
भारत में अलग-अलग धर्म और सभ्यताओं के लोग प्यार से रहते हैं। यहां अलग अलग धर्म के कई ऐसे धार्मिक स्थल मौजूद हैं जो अपनी मान्यताओं के लिए मशहूर हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बार में बताने जा रहे हैं जो खुद में इतिहास समेटे हुए है। वहीं यहां भक्त अपनी मुराद पूरी करने आते हैं। आज हम आपको बागपत के बड़ौत में दिगंबर जैन बड़ा मंदिर के बारे में बताएंगे जो 650 साल का इतिहास खुद में समेटे हुए है।
मंदिर में दीवारों और छतों पर की गई स्वर्णकार नक्काशी इतनी बेजोड़ है कि जिसका कोई दूसरे सानी नहीं है। इस मंदिर में कुल सात वेदियां हैं। पहली वेदी पर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विराजमान हैं। दूसरी वेदी पर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजमान हैं। इसी प्रतिमा के बराबर में चौथी वेदी पर भगवान नेमिनाथ विराजमान हैं। अगर यदि इस नेमिनाथ भगवान की प्रतिमा की बात करें तो यह देश भर में मिलने वाली भगवान नेमिनाथ की प्रतिमाओं में सबसे दुर्लभ प्रतिमाएं मानी जाती है। यह प्रतिमा श्याम वर्ण में है।
चौथी वेदी पर भगवान पार्श्वनाथ की अति दुर्लभ प्रतिमा विराजमान है यह प्रतिमा बड़ौत में ही खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी। इसके पास में रखी दूसरी प्रतिमाएं पन्ना धातु से बनी हुई हैं। पांचवी वेदी पर अरहनाथ भगवान की खड्ग आसन में प्रतिमा विराजमान हैं। इस प्रतिमा में भगवान मुस्कुराते हुए प्रतीत होते हैं। छठी वेदी पर चंद्रप्रभु भगवान की मूल प्रतिमा विराजमान हैं। इस अतिशयकारी प्रतिमा के चारों ओर स्वर्ण नक्काशी की गई है। साथ ही चंद्रगुप्त के 16 स्वपन्नों को भी चित्रों के माध्यम से बड़े सुंदर ढंग से दिखाया गया है। सातवीं वेदी पर भी भगवान चंद्रप्रभु की प्रतिमा विराजमान है।
हस्तलिखित ग्रंथों का बड़ा संग्रह
मंदिर के प्रथम तल में हजारों वर्ष प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथ मौजूद हैं, जोकि बेहद दुर्लभ हैं। इन सभी दुर्लभ ग्रंथों का संग्रह मंदिर में किया गया है। इस मंदिर में हर वर्ष दशलक्षण पर्व पर 13 दीप महामंडल विधान का आयोजन होता है, जिसके बाद यहां से भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। इसे देखने के लिए और पूजा-अर्चना करने के लिए देशभर से श्रद्धालुओं का जमावड़ा यहां पर लगता है।
100 से अधिक परिवारों ने रखी थी नींव
शहर के प्राचीन बड़ा जैन मंदिर के आसपास लगभग 100 जैन परिवारों ने यहां बसेरा किया था और आज भी इतने ही परिवार यहां पर निवास करते हैं। धार्मिक अनुष्ठानों के अलावा दूसरे आयोजनों में भी ये परिवार बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं और आपसी भाईचारे की मिसाल पेश करते हैं।
यहां पर श्रद्धालुओं के सभी मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण
बागपत जनपद के यदि प्राचीन जैन मंदिरों की बात करें तो उन्हें बड़ौत स्थित दिगंबर जैन बड़ा मंदिर का नाम सबसे अग्रणी श्रेणी में आता है। दिगंबर जैन बड़ा मंदिर लगभग 650 साल पुराना है। इस मंदिर की प्राचीनता और यहां विराजमान अतिशयकारी मूर्तियों के कारण यहां पर श्रद्धालुओं के सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।