Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़The matter of recruitment of 69 thousand teachers reached the Supreme Court, the decision of the High Court was challeng

69 हजार शिक्षकों की भर्ती का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती

69 हजार शिक्षकों की भर्ती का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष अदालत में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।

Deep Pandey हिन्दुस्तानTue, 27 Aug 2024 08:32 AM
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उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण नियमों का पालन नहीं करने संबंधी विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष अदालत में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसके तहत 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा 13 अगस्त को आदेश पारित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ सामान्य वर्ग के चयनित उम्मीदवार द्वारा चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया कि सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया पारदर्शी थी। चयन प्रक्रिया उत्तर प्रदेश लोक सेवा (एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण) अधिनियम, 1994 और उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक नियमावली-1981 के प्रावधानों के अनुरूप थी, जिसके तहत ओबीसी को 27 फीसदी, एससी के लिए 21 फीसदी और एसटी के लिए 2 फीसदी आरक्षण दिया गया है।

याचिकाकर्ता रवि सक्सेना ने याचिका में कहा कि इसके अतिरिक्त 25 सितम्बर 2018 के शासनादेश के अनुसार दिव्यांगजनों को 4 फीसदी, स्वतंत्रता सेनानी के आश्रितों को 2 फीसदी, पूर्व सैनिकों को 5 फीसदी और महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण भी संबंधित अधिनियम के तहत दिया गया है। याचिका में कहा गया कि ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा जारी मेरिट लिस्ट दोबारा तैयार करने की कोई जरूरत नहीं है।

याचिका में हाईकोर्ट का फैसला रद्द करने की मांग करते हुए कहा गया कि यदि शिक्षक भर्ती के लिए दोबारा से मेरिट लिस्ट तैयार होती है तो सामान्य वर्ग के हजारों अभ्यर्थियों और उनके परिवारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा। जो कई साल से सरकार द्वारा जारी मेरिट लिस्ट के आधार पर बतौर शिक्षक सेवा कर रहे हैं। याचिका में कहा गया कि यदि ऐसा हुआ तो यह संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत सम्मान पूर्वक जीवन जीने का उनका मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया जाएगा।

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